वन ग्राम- भवानीपुर में 15 दिसंबर को "वन अधिकार दिवस" मनाया गया जिसमें सभी वन ग्रामों के सैकड़ों प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
वन निवासियों द्वारा जनपद बहराइच में वन अधिकार कानून 2006 के क्रियान्वयन की स्थिति पर गहन चर्चा की गई और यह कहा गया कि अभी तक इस कानून को मात्र 20% लागू किया जा सका है एक वन ग्राम को राजस्व ग्राम घोषित किया गया है तथा 93 मालिकाना हक वितरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा महबूबनगर के 144 और हाल ही में निर्धारित किए गए 72 दावेदारों के मालिकाना हक वितरित किया जाना प्रतीक्षारत है। उपस्थित लोगों ने वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन में प्रशासन की शिथिलता पर दुख जताया।
इसके साथ ही उपस्थित वन निवासियों द्वारा हस्ताक्षरित केंद्र और सरकार को संबोधित एक ज्ञापन रजिस्टर रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित किया गया जिसमें निम्न मुख्य मांगें की गईं-
1- वनग्राम-भवानीपुर, बिछिया, टेडिया, ढकिया, महबूबनगर तथा श्रीराम पुरवा, सुकड़ी पुरवा, रामपुर रतिया ,तुलसी पुरवा, जागा पुरवा, हल्दी प्लाट आदि वन बस्तियों सहित सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया जाए।
2-राजस्व ग्राम की भांति वन ग्रामों में भी सभी प्रकार के पक्के स्कूल, पक्के आवास ,पक्की रोड और शौचालय जैसी सुविधाएं तत्काल मुहैया कराई जाएं।
3-जिन वन निवासियों के अधिकार पत्र बन चुके हैं उन्हें शिविर लगाकर वितरित किया जाए तथा जिन वन निवासियों के अभी तक अधिकार पत्र नहीं बने हैं उन्हें वन ग्राम स्तरीय शिविर लगाकर भौतिक सत्यापन करके अधिकार पत्र दिया जाए, साथ ही जिन वननिवासियों को दावा प्रपत्र अभी तक वितरित नहीं किए गए हैं उन्हें दावा प्रपत्र उपलब्ध कराया जाए।
4-वन विभाग द्वारा वन निवासियों पर वन अधिकार आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से दर्ज फर्जी मुकदमों को समाप्त किया जाए।
5-वन निवासियों को वन उपज के संग्रहण और विक्रय हेतु वन अधिकार कानून में उल्लिखित प्रावधानों को तत्काल लागू किया जाए।
6-13 दिसंबर 2005 के पूर्व बिना मुआवजा दिए जबरन हटाए गए जमुनिया, बाजपुर और कटेस तथा कटियारा के वन निवासियों को या तो वन अधिकार कानून 2006 के तहत यथावत पुनर्वास का अधिकार दिया जाए या फिर उन्हें पुनर्स्थापन नियमावली 2020 के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से पुनःस्थापन लाभ दिलाया जाए।
7-भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 20 के तहत मिहिन पुरवा विकासखंड के सभी ग्राम पंचायतों की लगभग 50,000 एकड़ राजस्व भूमि को वापस किया जाए।
8- सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार के तहत जंगल को लगाने बचाने पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने का अधिकार ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति को सौंपा जाए तथा संरक्षित वन क्षेत्र से इको पर्यटन को समाप्त किया जाए।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने वन अधिकार कानून 2006 की देशभर में स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया कि देश के वन क्षेत्रों में निवास करने वाले 42 लाख दावेदारों में से 20 लाख दावेदारों को 56 लाख हेक्टेयर वन भूमि पर पर मालिकाना हक दिया जा चुका है शेष लोगों की सुनवाई चल रही है।
बैठक में संविधान में वर्णित अधिकारों और कर्तव्यों पर उपस्थित बच्चों द्वारा वाद विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया तथा उन्हें संविधान की जानकारी देने वाली पाठ्य सामग्री भी वितरित की गई।
इस वन अधिकार दिवस समारोह को नंदकिशोर मीरा देवी, सूरजदेव फूलमती देवी ,बालक राम ,सरोज कुमार गुप्ता ,समीउद्दीन खान , केशव सिंह पूर्व प्रधान चहलवा श्रीमती कांति देवी आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक भोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन तथा सेवार्थ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।
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इसके साथ ही उपस्थित वन निवासियों द्वारा हस्ताक्षरित केंद्र और सरकार को संबोधित एक ज्ञापन रजिस्टर रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित किया गया जिसमें निम्न मुख्य मांगें की गईं-
1- वनग्राम-भवानीपुर, बिछिया, टेडिया, ढकिया, महबूबनगर तथा श्रीराम पुरवा, सुकड़ी पुरवा, रामपुर रतिया ,तुलसी पुरवा, जागा पुरवा, हल्दी प्लाट आदि वन बस्तियों सहित सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया जाए।
2-राजस्व ग्राम की भांति वन ग्रामों में भी सभी प्रकार के पक्के स्कूल, पक्के आवास ,पक्की रोड और शौचालय जैसी सुविधाएं तत्काल मुहैया कराई जाएं।
3-जिन वन निवासियों के अधिकार पत्र बन चुके हैं उन्हें शिविर लगाकर वितरित किया जाए तथा जिन वन निवासियों के अभी तक अधिकार पत्र नहीं बने हैं उन्हें वन ग्राम स्तरीय शिविर लगाकर भौतिक सत्यापन करके अधिकार पत्र दिया जाए, साथ ही जिन वननिवासियों को दावा प्रपत्र अभी तक वितरित नहीं किए गए हैं उन्हें दावा प्रपत्र उपलब्ध कराया जाए।
4-वन विभाग द्वारा वन निवासियों पर वन अधिकार आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से दर्ज फर्जी मुकदमों को समाप्त किया जाए।
5-वन निवासियों को वन उपज के संग्रहण और विक्रय हेतु वन अधिकार कानून में उल्लिखित प्रावधानों को तत्काल लागू किया जाए।
6-13 दिसंबर 2005 के पूर्व बिना मुआवजा दिए जबरन हटाए गए जमुनिया, बाजपुर और कटेस तथा कटियारा के वन निवासियों को या तो वन अधिकार कानून 2006 के तहत यथावत पुनर्वास का अधिकार दिया जाए या फिर उन्हें पुनर्स्थापन नियमावली 2020 के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से पुनःस्थापन लाभ दिलाया जाए।
7-भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 20 के तहत मिहिन पुरवा विकासखंड के सभी ग्राम पंचायतों की लगभग 50,000 एकड़ राजस्व भूमि को वापस किया जाए।
8- सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार के तहत जंगल को लगाने बचाने पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने का अधिकार ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति को सौंपा जाए तथा संरक्षित वन क्षेत्र से इको पर्यटन को समाप्त किया जाए।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने वन अधिकार कानून 2006 की देशभर में स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया कि देश के वन क्षेत्रों में निवास करने वाले 42 लाख दावेदारों में से 20 लाख दावेदारों को 56 लाख हेक्टेयर वन भूमि पर पर मालिकाना हक दिया जा चुका है शेष लोगों की सुनवाई चल रही है।
बैठक में संविधान में वर्णित अधिकारों और कर्तव्यों पर उपस्थित बच्चों द्वारा वाद विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया तथा उन्हें संविधान की जानकारी देने वाली पाठ्य सामग्री भी वितरित की गई।
इस वन अधिकार दिवस समारोह को नंदकिशोर मीरा देवी, सूरजदेव फूलमती देवी ,बालक राम ,सरोज कुमार गुप्ता ,समीउद्दीन खान , केशव सिंह पूर्व प्रधान चहलवा श्रीमती कांति देवी आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक भोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन तथा सेवार्थ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।
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