अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की उप महासचिव रोमा ने बिहार के कैमूर जिलांतर्गत आने वाले ग्राम दीघार, प्रखंड अधौरा में वनविभाग द्वारा की जा रही मनमानी को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। इस पत्र के मुताबिक, वनविभाग द्वारा आदिवासियों की खेती की भूमि पर जबरन गड्ढा खोद कर बेदखली की कार्यवाही की जा रही है, जबकि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने वनाश्रित समुदाय की खेती की भूमि पर किसी भी प्रकार की बेदखली पर स्टे दिया था इसके बावजूद वनविभाग कोर्ट के आदेश की भी अवमानना कर रहा है। पढ़िए पूरा पत्र....
सेवा में,
जिलाधिकारी
ज़िला कैमूर
बिहार
महोदय,
ग्राम दीघार, प्रखंड अधौरा ज़िला कैमूर में वनविभाग द्वारा आदिवासियो की खेती की भूमि पर जबरन गड्ढा खोद कर बेदखली की कार्यवाही की जा रही है। जैसा कि आपको मालूम है कि देश में वनाधिकार कानून 2006 लागू है जिसके तहत वनभूमि पर काश्त करने वाले वन आश्रित समुदाय के वनाधिकारों को मान्यता दी गई है। अभी इस कानून के तहत वनों में रहने वालों को अधिकार सुनिचसित नहीं किये गए हैं और बिहार में यह प्रक्रिया बेहद ही धीमी गति से चल रही। इस कानून को लागू ना होने की वजह से वन विभाग संसद के कानून की अवमानना कर रहे हैं व इस कानून के खिलाफ काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में पिछले साल माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा वनाश्रित समुदाय की खेती की भूमि पर किसी भी प्रकार की बेदखली पर स्टे दिया गया है। इस आर्डर की कॉपी संलग्न है।
जैसा कि आपको मालूम है इस समय कोरोना संकट के चलते वैसे भी महामारी और भुखमरी फैली हुई है। अगर यह आदिवासी परिवार आपने खेतो में अनाज नही पैदा करेंगे तो ज़िंदा कैसे रह पाएंगे। इस लॉकडाउन के समय वन विभाग द्वारा गैरकानूनी एवं अवैध कार्यवाही की जा रही है व लॉकडाउन के नियमों का पालन भी नहीं किया जा रहा।
वनविभाग की इस अवैध को तुरंत रोका जाए व संसद के कानून विरुद्ध काम करने पर दंडित किया जाए और आदिवासियो के वनाधिकारों की सुरक्षा की जाए।
रोमा
उप महासचिव
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन
सेवा में,
जिलाधिकारी
ज़िला कैमूर
बिहार
महोदय,
ग्राम दीघार, प्रखंड अधौरा ज़िला कैमूर में वनविभाग द्वारा आदिवासियो की खेती की भूमि पर जबरन गड्ढा खोद कर बेदखली की कार्यवाही की जा रही है। जैसा कि आपको मालूम है कि देश में वनाधिकार कानून 2006 लागू है जिसके तहत वनभूमि पर काश्त करने वाले वन आश्रित समुदाय के वनाधिकारों को मान्यता दी गई है। अभी इस कानून के तहत वनों में रहने वालों को अधिकार सुनिचसित नहीं किये गए हैं और बिहार में यह प्रक्रिया बेहद ही धीमी गति से चल रही। इस कानून को लागू ना होने की वजह से वन विभाग संसद के कानून की अवमानना कर रहे हैं व इस कानून के खिलाफ काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में पिछले साल माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा वनाश्रित समुदाय की खेती की भूमि पर किसी भी प्रकार की बेदखली पर स्टे दिया गया है। इस आर्डर की कॉपी संलग्न है।
जैसा कि आपको मालूम है इस समय कोरोना संकट के चलते वैसे भी महामारी और भुखमरी फैली हुई है। अगर यह आदिवासी परिवार आपने खेतो में अनाज नही पैदा करेंगे तो ज़िंदा कैसे रह पाएंगे। इस लॉकडाउन के समय वन विभाग द्वारा गैरकानूनी एवं अवैध कार्यवाही की जा रही है व लॉकडाउन के नियमों का पालन भी नहीं किया जा रहा।
वनविभाग की इस अवैध को तुरंत रोका जाए व संसद के कानून विरुद्ध काम करने पर दंडित किया जाए और आदिवासियो के वनाधिकारों की सुरक्षा की जाए।
रोमा
उप महासचिव
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन