सरकार के खिलाफ अपनी बात रखना फिल्म अभिनेता और निर्देशक अमोल पालेकर को महंगा पड़ गया. मुंहई के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) के कार्यक्रम में उन्हें अपने भाषण के दौरान ही बीच में रोक दिया गया. वहीं बाद में पालेकर ने नाराजगी जताते हुए बताया कि कार्यक्रम में बुलाकर खुलकर विचार नहीं रखने दिया गया। इससे साफ है कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है, लेकिन वह चुप नहीं रहेंगे।
अमोल ने रविवार को कहा, एनजीएमए की निदेशक वहां मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि अपनी बात रखने से पहले मुझे बताना चाहिए था। इस पर मैंने कहा कि क्या पहले मेरा भाषण सेंसर किया जाता। मैंने भाषण में एनजीएमए के उन नियमों की ही बात की, जिन्हें बदल दिया गया है। मेरे मुद्दे से हटकर भाषण देने की बात पूरी तरह से गलत है।
पालेकर ने कहा कि मुंबई के दो कलाकारों की प्रदर्शनी भी होनी थी। इसकी इजाजत देते हुए तारीख तय कर दी गई थी। बाद में उन्हें मना कर दिया गया। क्या यह सरकार के इशारे पर किया जा रहा है? मैं यह मुद्दा लोगों के सामने रख रहा था, लेकिन मुझे रोक दिया गया। इससे मैं आहत हूं। अगर हम एनजीएमए में नहीं बोल पाएंगे तो कहां बोलेंगे।
कार्यक्रम की आयोजक जेसल ठक्कर ने कहा कि वह पालेकर का बहुत सम्मान करती हैं। उनका इरादा उन्हें ठेस पहुंचाने या भाषण को रोकने का नहीं था। हमने उनसे सिर्फ प्रभाकर बर्वे से संबंधित यादों को साझा करने को कहा था। यह कार्यक्रम उनकी मृत्यु के 24 साल बाद हो रहा था।
अमोल ने रविवार को कहा, एनजीएमए की निदेशक वहां मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि अपनी बात रखने से पहले मुझे बताना चाहिए था। इस पर मैंने कहा कि क्या पहले मेरा भाषण सेंसर किया जाता। मैंने भाषण में एनजीएमए के उन नियमों की ही बात की, जिन्हें बदल दिया गया है। मेरे मुद्दे से हटकर भाषण देने की बात पूरी तरह से गलत है।
पालेकर ने कहा कि मुंबई के दो कलाकारों की प्रदर्शनी भी होनी थी। इसकी इजाजत देते हुए तारीख तय कर दी गई थी। बाद में उन्हें मना कर दिया गया। क्या यह सरकार के इशारे पर किया जा रहा है? मैं यह मुद्दा लोगों के सामने रख रहा था, लेकिन मुझे रोक दिया गया। इससे मैं आहत हूं। अगर हम एनजीएमए में नहीं बोल पाएंगे तो कहां बोलेंगे।
कार्यक्रम की आयोजक जेसल ठक्कर ने कहा कि वह पालेकर का बहुत सम्मान करती हैं। उनका इरादा उन्हें ठेस पहुंचाने या भाषण को रोकने का नहीं था। हमने उनसे सिर्फ प्रभाकर बर्वे से संबंधित यादों को साझा करने को कहा था। यह कार्यक्रम उनकी मृत्यु के 24 साल बाद हो रहा था।