किसान आंदोलन : 5 जून को 'संपूर्ण क्रांति दिवस' मनाएंगे किसान, बीजेपी MLA और MP के दफ्तर घेरेंगे

Written by Navnish Kumar | Published on: May 31, 2021

नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लागू करने को 5 जून को अध्यादेश जारी किया गया था। अध्यादेश लागू होने के एक साल पूरा होने पर आंदोलनकारी किसानों ने 5 जून 2021 को संपूर्ण क्रांति दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है। किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि 5 जून को किसान, भाजपा सांसद और विधायकों के दफ्तरों के आगे तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने को भी रणनीति तैयार की गई है।



खास है कि 5 जून 2020 को संसद से पास कृषि कानूनों को लागू करने के लिए अध्यादेश जारी करने के बाद पिछले साल सितंबर महीने में राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगाई थी। इन्हीं तीनों कानूनों को वापस लिये जाने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर देश के हजारों किसान पिछले साल नंवबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।

आंदोलन में शामिल 40 से ज्यादा किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की थी और तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ जनांदोलन शुरू किया था। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने 5 जून को देश भर में संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने का आह्वान किया है। मोर्चा ने  कहा, हम नागरिकों से भाजपा सांसदों, विधायकों और प्रतिनिधियों के कार्यालयों के सामने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने की अपील करते हैं। इसे जनांदोलन बनाया जाए और सरकार को कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर किया जाए।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश
टिकैत ने कहा है कि कोरोना काल में कानून बन सकते हैं तो रद्द क्यों नहीं हो सकते। उन्होने कहा कि रोटी तिजोरी की वस्तु न बने, इसलिए किसान 6 माह से सड़कों पर पड़ा है, भूख का व्यापार हम नहीं करने देंगे और आंदोलन की वजह भी यही है।

टिकैत ने ट्वीट कर लिखा कि किसान शांति के साथ आंदोलन चलाते रहेंगे और एक दिन सरकार को झुकने पर मजबूर कर देंगे। इसके बाद टिकैत ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। किसान नेता ने एक अन्य ट्वीट में लिखा आन्दोलन जब तक भी करना पड़े, आंदोलन के लिए तैयार रहना है, इस आंदोलन को भी अपनी फसल की तरह सींचना है, समय लगेगा।आंदोलन लंबा चलेगा। इसलिए बिना हिंसा का सहारा लिए लड़ते रहना है। #जीतेगा_किसान।

उधर, वेस्ट यूपी में टोल प्लाजा पर शुरू हुए धरने के बाद अब गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों की संख्या बढ़ाने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए एक रणनीति के तहत एक ब्लाक से एक ट्रैक्टर और 10 किसानों को एक सप्ताह के लिए बॉर्डर पर बुलाया जाएगा। तीन दिन बाद किसानों की संख्या गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचनी शुरू हो जाएगी। 

पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान पिछले 6 महीने से दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। चुनाव, कोरोना संक्रमण और गेहूं व गन्ना कटाई के चलते पिछले तीन महीने से किसानों की आवाजाही प्रभावित हुई थी। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जहां किसान टोल प्लाजा पर धरना देकर बैठ गए हैं, वहीं रविवार को भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने संगठन की मंडलीय समीक्षा बैठक गाजीपुर बॉर्डर पर ही ली। 

उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा पर चल रहे धरने के साथ ही अब बॉर्डर पर भी किसानों की संख्या बढ़ानी जरूरी है। किसानों का फसल का अधिकतर काम पूरा हो चुका है। उन्होंने प्रत्येक जिले के प्रत्येक ब्लाक से एक ट्रैक्टर और उसमें 10 किसानों का फॉर्मूला तय किया है। जिस जनपद में जितने ब्लाक है, उतने ही ट्रैक्टर और उनमें 10-10 किसान बॉर्डर पहुंचेंगे। एक बार पहुंचे किसान यहां पर सात दिन रहेंगे। इसके बाद दूसरा जत्था आएगा और इसी तरह किसान गाजीपुर बॉर्डर आते-जाते रहेंगे। इससे किसान अपनी फसल की देखभाल भी करते रहेंगे और आंदोलन का हिस्सा भी बनते रहेंगे।
 

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