क्या अपना घर बिक जाने पर किसी को गर्व करना चाहिए? वो भी तब, जब कर्ज चुकाने के दबाव में घर बेचना पड़ा हो? चलिए गर्व न सही, क्या अपना घर खरीदने वाले को आप निवेशक कह सकते हैं? कारोबार की ऐसी उलटबांसी आज देश के बड़े अख़बारों में पूरे पन्ने के विज्ञापन के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी और व्लादीमिर पुतिन की तस्वीरों के साथ प्रकाशित हुई है जिसमें बताया गया है कि एस्सार कंपनी ने अपना कारोबार रूस की एक कंपनी को बेच दिया है और उससे आने वाला पैसा देश का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है।
एस्सार कंपनी ने अख़बारों को आज पूरे पन्ने का एक विज्ञापन दिया है। विज्ञापन कहता है कि एस्सार ने अपनी कंपनियों एस्सार ऑयल और वादिनार बंदरगाह की बिक्री कर है जिससे 85,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। कंपनी का दावा है कि यह भारत में हुआ सबसे बड़ा एफडीआइ यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। इस सूचना के नीचे नरेंद्र मोदी-पुतिन की मुस्कराती तस्वीरें छपी हैं।
उसके नीचे की पंक्ति कहती है कि यह एक ऐतिहासिक दिन है जो दोनों देशों के बीच ज्यादा साझीदारी के लिए दोनों नेताओं के साझा नजरिये को साथ लाने का काम करता है। सवाल उठता है कि क्या एक निजी कंपनी के बिकने को एफडीआइ का नाम दिया जा सकता है? क्या देश की एक कंपनी अपने विदेशी कारोबार को बेच दे तो उस पर राष्ट्राध्यक्ष को गर्व होना चाहिए?
सवाल इससे भी ज्यादा बड़ा है क्योंकि अख़बारों की इस सौदे से जुड़ी ख़बरों में भी इस बिक्री को एफडीआइ बताया गया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड की ख़बर में एस्सार समूह के निदेशक प्रशांत रुइया के हवाले से कहा गया है कि इस बिक्री से आने वाला आधा पैसा समूह की कर्जदारी को निप्आने में खर्च होगा। रुइया के मुताबिक इस बिक्री से आने वाला पैसा विदेशी और स्थानीय देनदारों का कर्ज चुकाने में खर्च होगा, जिसकी राशि 88000 करोड़ रुपये है।
अगर कोई कंपनी अपना कारोबार बेचकर कर्ज चुका रही है, तो यह पैसा एफडीआइ कैसे हुआ? अख़बार इस सौदे को ''विन-विन डील'' बता रहा है। अख़बार प्वाइंटर में कहता है कि यह देश का सबसे बड़ा एफडीआइ है जिससे एस्सार का आधा कर्ज समाप्त हो जाएगा।
देश के सबसे बड़े कारोबारी अख़बार दि इकनॉमिक टाइम्स की ख़बर के मुताबिक क्रेडिट सुइस का अनुमान है कि एस्सार समूह एक लाख करोड़ की कर्जदारी में है जो उसे देश की तीन सबसे बड़ी कर्जदार कंपनियों में शामिल करता है। इस ख़बर में असल बात इस पंक्ति से ज़ाहिर होती है: ''एस्सार के साथ यह सौदा क्रेमलिन की कूटनीतिक विजय के रूप में देखा जा रहा है जो पड़ोसी देशों के प्रति रूस के विस्तारवादी रवैये के खिलाफ़ मॉस्को पर पश्चिम के प्रतिबंधों का असर हलका करने में मदद कर सकता है।'' ख़बर कहती है कि एस्सार ऑयल के खरीदार रोसनेफ्ट कंपनी के चेयरमैन इगोर सेचिन पुतिन के करीबी सलाहकारों में से एक हैं।
Courtesy: Media Vigil
एस्सार कंपनी ने अख़बारों को आज पूरे पन्ने का एक विज्ञापन दिया है। विज्ञापन कहता है कि एस्सार ने अपनी कंपनियों एस्सार ऑयल और वादिनार बंदरगाह की बिक्री कर है जिससे 85,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। कंपनी का दावा है कि यह भारत में हुआ सबसे बड़ा एफडीआइ यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। इस सूचना के नीचे नरेंद्र मोदी-पुतिन की मुस्कराती तस्वीरें छपी हैं।
उसके नीचे की पंक्ति कहती है कि यह एक ऐतिहासिक दिन है जो दोनों देशों के बीच ज्यादा साझीदारी के लिए दोनों नेताओं के साझा नजरिये को साथ लाने का काम करता है। सवाल उठता है कि क्या एक निजी कंपनी के बिकने को एफडीआइ का नाम दिया जा सकता है? क्या देश की एक कंपनी अपने विदेशी कारोबार को बेच दे तो उस पर राष्ट्राध्यक्ष को गर्व होना चाहिए?
सवाल इससे भी ज्यादा बड़ा है क्योंकि अख़बारों की इस सौदे से जुड़ी ख़बरों में भी इस बिक्री को एफडीआइ बताया गया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड की ख़बर में एस्सार समूह के निदेशक प्रशांत रुइया के हवाले से कहा गया है कि इस बिक्री से आने वाला आधा पैसा समूह की कर्जदारी को निप्आने में खर्च होगा। रुइया के मुताबिक इस बिक्री से आने वाला पैसा विदेशी और स्थानीय देनदारों का कर्ज चुकाने में खर्च होगा, जिसकी राशि 88000 करोड़ रुपये है।
अगर कोई कंपनी अपना कारोबार बेचकर कर्ज चुका रही है, तो यह पैसा एफडीआइ कैसे हुआ? अख़बार इस सौदे को ''विन-विन डील'' बता रहा है। अख़बार प्वाइंटर में कहता है कि यह देश का सबसे बड़ा एफडीआइ है जिससे एस्सार का आधा कर्ज समाप्त हो जाएगा।
देश के सबसे बड़े कारोबारी अख़बार दि इकनॉमिक टाइम्स की ख़बर के मुताबिक क्रेडिट सुइस का अनुमान है कि एस्सार समूह एक लाख करोड़ की कर्जदारी में है जो उसे देश की तीन सबसे बड़ी कर्जदार कंपनियों में शामिल करता है। इस ख़बर में असल बात इस पंक्ति से ज़ाहिर होती है: ''एस्सार के साथ यह सौदा क्रेमलिन की कूटनीतिक विजय के रूप में देखा जा रहा है जो पड़ोसी देशों के प्रति रूस के विस्तारवादी रवैये के खिलाफ़ मॉस्को पर पश्चिम के प्रतिबंधों का असर हलका करने में मदद कर सकता है।'' ख़बर कहती है कि एस्सार ऑयल के खरीदार रोसनेफ्ट कंपनी के चेयरमैन इगोर सेचिन पुतिन के करीबी सलाहकारों में से एक हैं।
Courtesy: Media Vigil