इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022: मोबाइल फोन सिम की तरह बिजली मिलने का दावा भ्रामक!

Written by Navnish Kumar | Published on: August 8, 2022
देश के बिजली क्षेत्र में बड़े सुधार के दावे के साथ केंद्र सरकार सोमवार को इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 लोकसभा में पेश कर सकती है। इससे बिजली में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने का रास्ता खुल सकता है। दावा है कि इससे पहली बार देश में बिजली ग्राहकों को एक से ज्यादा बिजली वितरण कंपनियों को चुनने का विकल्प मिल सकेगा। हालांकि कर्मचारी संगठन इसे सिरे से नकार रहे हैं। 



ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन AIPEF चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि मोबाइल फोन सिम की तरह बिजली कंपनियों का विकल्प मिलने का दावा भ्रामक है। इस बिल के अनुसार, केवल सरकारी डिस्कॉम के पास ही बिजली की पूरी आपूर्ति की जिम्मेदारी होगी। जबकि निजी कंपनियां केवल फायदा कमाने वाले क्षेत्रों को ही बिजली आपूर्ति करना पसंद करेंगी। कहा- बिजली निजीकरण के लिए संसद में रखे जा रहे इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 के विरोध में देश भर के तमाम बिजली कर्मचारी व इंजीनियर आज 8 अगस्त को काम छोड़कर कर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अनुसार, इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल बिजली ग्राहकों को पसंद वाले सेवा प्रदाताओं का विकल्प चुनने का दावा पूरी तरह भ्रामक है। इससे राज्य के डिस्कॉम घाटे में जा सकते हैं। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में मांग की है कि विधेयक को पेश करने से पहले व्यापक राय मशविरा के लिए ऊर्जा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाए। दुबे ने कहा कि सरकारी डिस्कॉम नेटवर्क को  कम कीमतों पर निजी लाइसेंसधारियों को सौंप दिया जाएगा। बिल के मुताबिक, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए बिजली क्षेत्र की स्थिरता, भुगतान सुरक्षा तंत्र, ग्राहकों को विकल्प प्रदान करने की जरूरतों और साथ ही नई चुनौतियों जैसे बिजली अधिनियम में बदलाव करना जरूरी हो गया है। 
 
यही नहीं, दुबे ने बताया, चूंकि ऊर्जा खरीद करार 25 सालों के लिए होते हैं। इसलिए इसकी लागत में कोई कमी नहीं होगी। सस्ती बिजली का वादा एक मजाक है। 85 फीसदी ग्राहक किसान और घरेलू उपयोग वाले हैं। यह सभी ग्राहक सब्सिडी पर बिजली पाते हैं। इसलिए इसमें कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती है। 

उधर, केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह द्वारा इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022, 8 अगस्त को लोकसभा में रखे जाने के विरोध में देश के तमाम बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों के साथ उप्र के सभी बिजलीकर्मी आज 8 अगस्त को काम छोड़कर कर दिन भर विरोध प्रदर्शन करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र ने प्रधानमंत्री से इस मामले में प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की है जिससे जल्दबाजी में इस बिल को संसद में न पारित कराया जाए और बिजली उपभोक्ताओं तथा बिजली कर्मचारियों सहित सभी स्टेकहोल्डर्स से विस्तृत चर्चा करने हेतु इस बिल को संसद की बिजली मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को संदर्भित कर दिया जाए। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों पल्लब मुकर्जी, प्रभात सिंह, गिरीश पाण्डेय, सदरूद्दीन राना, सुहेल आबिद, पीके दीक्षित, शशिकान्त श्रीवास्तव, महेन्द्र राय, मो वसीम, सनाउल्ला, डीके मिश्रा, दीपक चक्रवर्ती, प्रेमनाथ राय, मो इलियास, धर्मेन्द्र, सुनील प्रकाश पाल, विशम्भर सिंह, एके श्रीवास्तव, राम सहारे वर्मा, शम्भू रत्न दीक्षित, पीएस बाजपेई तथा जीपी सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार संसदीय परम्पराओं का उल्लंघन करते हुए इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 8 अगस्त को संसद के चालू सत्र में रखने जा रही है जिससे पूरे देश के बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा है। उन्होंने बताया कि बिल का मसौदा 5 अगस्त को लोकसभा के सांसदों को दिया गया है और इस पर केंद्रीय विद्युत् मंत्री आरके सिंह के 2 अगस्त की तारीख में हस्ताक्षर हैं। इससे स्पष्ट है कि इस बिल पर किसी भी स्टेकहोल्डर से राय नहीं माँगी गई है।
 
उन्होंने बताया कि बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है जिसका अर्थ यह होता है कि बिजली के मामले में क़ानून बनाने में केंद्र और राज्य का बराबर का अधिकार है। किन्तु इस बिल पर केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य से कमेंट नहीं मांगे हैं और इसे लोकसभा में रखकर पारित कराने की कोशिश है जो संसदीय परम्परा का खुला उल्लंघन है। साथ ही देश के संघीय ढाँचे पर चोट है। संघर्ष समिति द्वारा लिए निर्णय के अनुसार 8 अगस्त को सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी व अभियन्ता कार्य छोड़कर कार्य स्थल से बाहर आ जायेंगे और दिन भर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके अतिरिक्त आगमी 10 अगस्त को राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपदों व परियोजना मुख्यालयों पर अपराह्न 4 बजे से 5 बजे तक विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे। संघर्ष समिति ने यह आह्वान किया है कि राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपदों व परियोजनाओं पर सोमवार 8 अगस्त को सभी बिजली कर्मचारी व अभियन्ता प्रातः 10 बजे एक स्थान पर एकत्र रहेंगे और जनपदों व परियोजनाओं पर पूरे दिन विरोध प्रदर्शन करेंगे। लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में लखनऊ और लेसा के सभी कर्मचारी 10 बजे एकत्र होंगे और शक्तिभवन मार्च करेंगे।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 के जरिये केन्द्र सरकार इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करने जा रही है जिसके बिजली कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं पर दूरगामी प्रतिगामी प्रभाव पड़ने वाले हैं। 

खास है कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर वायदा किया था कि किसानों तथा सभी स्टेक होल्डर्स से विस्तृत वार्ता किये बिना इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल संसद में नहीं रखा जायेगा। केंद्र सरकार ने बिजली के सबसे बड़े स्टेक होल्डर्स बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से आज तक कोई वार्ता नहीं की है। केन्द्र सरकार की इस एकतरफा कार्यवाही से बिजली कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
 
इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 में यह प्राविधान है कि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कम्पनियों को लाईसेंस दिया जायेगा। निजी क्षेत्र की नई वितरण कम्पनियां सरकारी क्षेत्र के नेटवर्क का प्रयोग कर बिजली आपूर्ति करेंगी। बिल में यह भी प्राविधान है कि यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लीगेशन अर्थात् सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की बाध्यता केवल सरकारी कम्पनी की होगी और निजी क्षेत्र की कम्पनियां मन मुताबिक केवल मुनाफे वाले औद्योगिक व व्यवसायिक उपभोक्ताओं को बिजली देकर मुनाफा कमायेंगी। नेटवर्क के अनुरक्षण का कार्य सरकारी कम्पनी के पास रहेगा और इसको सुदृढ़ करने व संचालन व अनुरक्षण पर सरकारी कम्पनी को ही पैसा खर्च करना होगा। इस प्रकार निजी कम्पनियां मात्र कुछ व्हीलिंग चार्जेस देकर मुनाफा कमायेंगी। परिणामस्वरूप सरकारी कम्पनियां आर्थिक तौर पर दिवालिया हो जायेंगी।

एआईपीईएफ के अनुसार, बिल में सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी समाप्त की जायेगी जिससे सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से बिजली की पूरी लागत वसूल की जा सके। 7.5 हार्स पावर के पंपिंग सेट को मात्र 6 घंटे चलाने पर किसानों को 10 से 12 हजार रूपये प्रतिमाह का बिल देना पड़ेगा। यही हाल आम घरेलू उपभोक्ताओं का भी होगा। इसलिए यह बिल न तो आम जनता के हित में है न ही कर्मचारियों के हित में है।

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