आचार संहिता उल्लंघन पर मोदी शाह को क्लीनचिट का विरोध करने वाले चुनाव आयुक्त के खिलाफ जांच शुरू

Written by sabrang india | Published on: November 12, 2019
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर आरोप लगते रहे हैं कि वे सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग विरोधियों को ठिकाने लगाने में कर रहे हैं। पी चिदंबरम हों या लालू यादव, या डी शिवकुमार, सभी मामलों में आरोप लगे हैं। ऐसा ही एक आरोप चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को लेकर लग रहा है। लोकसभा चुनाव में मोदी और शाह को क्लीनचिट पर आपत्ति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के बेटे अबीर लवासा की कथित रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जांच की जा रही है। साथ ही उस कंपनी की भी जांच की जा रही है जिसके वे निदेशक हैं।



बता दें कि हाल के महीनों में, केंद्रीय एजेंसियों द्वारा अशोक लवासा के परिवार के चार सदस्यों को जांच के दायरे में रखा गया है। अशोक लवासा ने ही लोकसभा चुनाव के दौरान पांच मौकों पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आयोग द्वारा दी गई क्लीन चिट का विरोध किया था।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ईडी अबीर लवासा के खिलाफ विदेशी मुद्रा कानूनों के कथित उल्लंघनों की जांच कर रहा है। अखबार ने रिपोर्ट किया है कि मॉरीशस स्थित निवेशक सामा कैपिटल से मार्च 2019 में नौरिश ऑर्गेनिक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा जुटाए गए 7।25 करोड़ रुपये का निवेश जांच का केंद्र बिंदु है। 14 नवंबर, 2017 को अबीर इस कंपनी के निदेशक बने थे। उन्हें पिछले सप्ताह मामले में जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था।

एक ईडी अधिकारी का हवाला देते हुए अखबार ने लिखा, ‘उस कंपनी में निवेश के संबंध में जांच की जा रही है जहां (अबीर) लवासा निदेशक हैं। कंपनी घाटे में चल रही थी और फिर भी प्रीमियम पर भारी निवेश प्राप्त किया। इसलिए हम (अबीर) लवासा से इस बारे में सवाल करना चाहते हैं।’

अबीर ने इंडियन एक्सप्रेस को पुष्टि की कि उन्हें समन मिला है और कहा कि वे कंपनी की जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने इसके आगे कोई टिप्पणी नहीं की। पिछले हफ्ते ये खुलासा हुआ था कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 11 कंपनियों को पत्र लिखकर कहा था कि वे अपने रिकॉर्ड्स खंगाल कर बताएं कि 2009-2013 के दौरान विद्युत मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहीं अपने प्रभाव का अनुचित इस्तेमाल तो नहीं किया था।

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