जल्द खुलेगा गोरक्षकों की हिंसा और हंगामे से बंद जयपुर का होटल हयात रब्बानी

Written by Saisha Bacha | Published on: May 26, 2017

अदालत ने साफ कहा है कि होटल हयात रब्बानी में बीफ नहीं चिकन परोसा जा रहा था। लिहाजा, जयपुर नगरपालिका बीफ परोसने के आरोप  में होटल पर लगाई गई सील को तुरंत तोड़े। 


Hotel Hayat Rabbani 
जयपुर में बीफ परोसने के आरोप में बंद हुए होटल हयात रब्बानी के दोबारा खुलने की राह की अड़चनें खत्म होती दिख रही हैं। 29 अप्रैल और अब फिर 23 मई को अदालत के एक फैसले से होटल के मालिक को राहत मिली है। अदालत ने कहा कि होटल को गोरक्षकों ने हिंसा कर जबरदस्ती बंद करवा दिया।
 
सिटी कोर्ट ने 29 अप्रैल को ही होटल को खोलने के आदेश दिए थे। लेकिन नगरपालिका ने बहाने बना कर इस आदेश को अमल नहीं किया। उल्टे अदालत के आदेश पर स्टे लेने या इसे बदलवाने की याचिका दायर कर दी। लेकिन अदालत ने 23 मई के एक फैसले में साफ कह दिया कि या तो होटल खुलवाया जाए या फिर अदालत की अवमानना की सजा के लिए तैयार रहें।
 
दरअसल इस साल 19 मार्च को जयपुर के कांति चंद्र रोड पर मौजूद होटल हयात रब्बानी में साध्वी कमल दीदी के उकसावे पर उनके समर्थकों और स्वयंभू गोरक्षकों ने हंगामा किया था। उन्होंने यहां बीफ परोसे जाने का आरोप लगाया था और होटल की लॉबी में घुस कर स्टाफ से मारपीट की थी। स्थानीय पुलिस ने होटल के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। कहा गया कि उनके पास से बीफ मिला। होटल के मालिक नईम रब्बानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 295 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई।
 
लेकिन जयपुर सिटी सिविल कोर्ट के अतिरिक्त सिविल मजिस्ट्रेट और मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अमरजीत सिंह ने होटल मालिक नईम रब्बानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 अप्रैल को कहा कि जयपुर नगरपालिका सात दिन के अंदर होटल पर लगाई गई सील को खत्म करे। अदालत ने कहा को होटल से मीट का जो सैंपल लिया गया था वह बीफ नहीं था। फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री की जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है। यह चिकन था। नईम रब्बानी पहले भी यह बता चुके हैं।
 
(हिंदी में दिए गए इस फैसले को यहां पढ़ सकते हैं  Hindi may be read here.)
 
इसके बावजूद नगरपालिका सील हटाने को तैयार नहीं थी। आखिरकार, 10 मई, 2017 को होटल मालिक नईम रब्बानी ने नगरपालिका को नोटिस भेजा। इसके खिलाफ जयपुर नगरपालिका ने अतरिक्त जिला जज की अदालत में अपील की। लेकिन जज जे भूपेंद्र सिंह ने अपील खारिज करते हुए 23 मई, 2017 को होटल मालिक के पक्ष में फैसला दिया और होटल दोबारा खुलवाने को कहा। होटल के खिलाफ कोई कदम न उठाते हुए अदालत ने इसके मालिक रब्बानी को इसे तुरंत खोलने को कहा। अभी होटल को हुए नुकसान की भरपाई के लिए दी गई याचिका पर सुनवाई होनी है।
होटल मालिक नईम रब्बानी ने मीडिया में जो बयान दिए उसके मुताबिक 19 मार्च को पांच-छह लोगों ने होटल के स्टाफ कासिम की पिटाई कर दी। वे होटल के डंप यार्ड से ‘जय गो माता’ के नारे लगा रहे थे। शाम होते ही वहां लोगों की संख्या बढ़ गई और करीब 80 से 100 लोग जमा हो गए और हिंसक विरोध प्रदर्शन करने लगे। मदद के लिए न पुलिस आई और न कोई राहत की उम्मीद दिख रही थी। गोरक्षक जोर-जबरदस्ती पर उतारू थे।
 
आजादी, बराबरी और भाईचारे की बात करने की बात करने वाले भारत में इस तरह की हरकतों को कैसे सही ठहराया जा सकता है। गोरक्षा के नाम पर इस तरह की हिंसा की इजाजत कैसे दी जा सकती है। ऐसे हालात कैसे बर्दाश्त किए जा सकते हैं, जहां स्थानीय पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
 
यूपी के दादरी में बीफ रखने के कथित आरोप में अखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दिए जाने के बाद पूरे देश में हुए विरोध से लगने लगा था कि अब ऐसे मामले नहीं होंगे। लेकिन गोरक्षा के नाम पर गोरक्षकों की हिंसा जारी है। दरअसल अब साध्वी कमल दीदी जैसे भक्षकों को उनके अपराध के लिए दंडित करने की जरूरत है। वह गोरक्षा के नाम पर हिंसा फैला रहे हैं।
 
भारत को अपने मूल संवैधानिक मूल्यों के समर्थन में खड़े होने की जरूरत है। चाहे, न्यायपालिका में हो चाहे कार्यपालिका और चाहे विधायका से। हर ओर से यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत बहुसंख्यकों की हिंसा और धौंस का देश न बन जाए।
 
 

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