छत्तीसगढ़ में शौचालय के नाम पर फर्जीवाड़ा

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: November 22, 2018
छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। हालत यह है कि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त निर्मल ग्राम पंचायतों में भी ज्यादातर मकानों में शौचालय आधे-अधूरे पड़े हैं।

Chhattisgarh

दंतेवाड़ा जिले में 13 ग्राम पंचायतों को 2007-08 में निर्मल ग्राम पंचायत घोषित करके रमन सिंह सरकार ने वाहवाही लूटी थी और इनको राष्ट्रपति पुरस्कार भी दिलवाया था। 

अब हालत ये है कि गांवों में कई मकानों में शौचालय अधूरे पड़े हैं। जो शौचालय बने भी हैं, उनका भी ग्रामीण इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। बड़े पनेड़ा की यही स्थिति है।

यही हाल हाउरनार का है जहां दो साल से ज्यादा होने पर भी ग्रामीणों को शौचालय की राशि नहीं मिल पाई है। कलेक्टर से शिकायत करना तक बेकार गया है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, कल्लापारा में शौचालय बना है, सैप्टिक टैंक के लिए तीन फुट का गड्ढा है, लेकिन शौचालय के अंदर सामान रखा है। एक ग्रामीण इतवारी का कहना है कि कि पिछले साल जून में ग्राम पंचायत ने राशनकार्ड जब्त कर लिया था। दो महीने का राशन भी नहीं दिया। कर्ज लेकर उसने शौचालय बनाया था, तब उसका राशनकार्ड वापस लौटाया गया, लेकिन धन के अभाव में उसने शौचालय अधूरा छोड़ दिया।

इसी गांव के कृष्णा के शौचालय के नाम पर कच्ची ईंटों से दीवारें खड़ी हैं। तीन फुट गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है और यह अब मुर्गों का घर बना हुआ है।

एक और मामला बजरंग पारा में रहने वाले मुन्नु मड़कामी का है जिनके घर में बने शौचालय में झांड़ियां उग आई हैं। पंचायत की तरफ से एक बोरी सीमेंट ही मिला था, जबकि कहा गया था कि शौचालय बनाने पर 12000 रुपए मिलेंगे। 
 
 

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