छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने जिस तरीके से किसानों की अनदेखी की और उन्हें आत्महत्याओं के लिए मजबूर किया, उससे नाराज किसान संगठन अब ऐसा दीर्घकालीन आंदोलन चलाने की तैयारी कर रहे हैं जिसका असर राजनीतिक भी हो।
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नईदुनिया के मुताबिक छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन ने अगस्त से अक्टूबर तक लगातार आंदोलन करने की योजना बनाई है। इसके पीछे सोच ये है कि नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में किसानों को रमन सिंह सरकार को सबक सिखाने के लिए तैयार किया जाए।
किसान अपने आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त से 15 अगस्त तक वादा पूरा करो सप्ताह मनाने से करेंगे। इसके बाद 26 जुलाई से कश्मीर से कन्याकुमारी तक चलने वाली राष्ट्रीय किसान महासंघ की यात्रा भी छत्तीसगढ़ से गुजरेगी। यात्रा दो दिन छत्तीसगढ़ में रहेगी और इस दौरान दुर्ग समेत तीन स्थानों पर किसानों की सभाएं होंगी।
इसके बाद 27 और 28 अक्टूबर को दुर्ग में दो दिन की किसान महापंचायत की जाएगी। इसमें भाजपा के बागी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा तथा राष्ट्रीय स्तर के कई किसान नेता भी भाग लेंगे।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन ने कहा है कि कर्ज के लंबी अवधि के ऋण में कन्वर्जन पर किसानों से 13 प्रतिशत तक ब्याज वसूला जा रहा है, और कर्ज न चुका पाने वाले किसानों को खाद और बीज नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, फसल बीमा से अगर कुछ राशि मिलती भी है तो उसे किसानों के कर्ज में शामिल किया जा रहा है। किसान डीएपी खाद के दाम में भी भारी बढ़ोतरी किए जाने से परेशान हैं।
किसान इस बात से भी नाराज हैं कि सरकार किसानों की आत्महत्याओं की घटनाओं को एकदम नकार रही है। पिछले दिनों कृषिमंत्री बृजमोहन अग्रवाल तो यहां तक कह चुके हैं कि देश में सबसे ज्यादा सुखी छत्तीसगढ़ के किसान हैं।
किसानों का असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। राजनांदगांव में किसान कई दिनों से चने का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। राजनांदगांव मुख्यमंत्री का निर्वाचन इलाका भी है, फिर भी सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।