वाराणसी में नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार हुई एकता शेखर जेल से रिहा हो गई हैं। पुलिस ने 19 दिसंबर को एकता और उनके पति रवि शेखर को गिरफ्तार किया था। दोनों की 13 महीने की बेटी अकेले अपने रिश्तेदारों के साथ रह रही थी।

वाराणसी में नागरिकता (संशोधन) कानून का विरोध करने पर 19 दिसंबर को गिरफ्तार किए गए एकता शेखर और रवि शेखर जेल से रिहा हो गए हैं। इन दोनों के जेल जाने के बाद उनकी दुधमुंही बेटी चंपक अकेले अपने रिश्तेदारों के पास रह रही थी।
14 महीने की चंपक को उसके माता-पिता से अलग होने की खबरों को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की काफी आलोचना हो रही थी।
उन्हें वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को जमानत दी थी। लेकिन कुछ औपचारिकताएं पूरी न होने की वजह से उनकी रिहाई कल नहीं हो पाई थी। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जेल प्रशासन ने गुरुवार को उन्हें रिहा कर दिया।
जेल से रिहा होने के बाद एकता शेखर ने कहा, '' मेरी बेटी चंपक मेरे ही दूध पर निर्भर है। मैं उसको लेकर चिंतित थी। यह मेरे लिए बहुत ही कठिन था।''
दरअसल नागरिकता कानून का विरोध करने की वजह से वाराणसी प्रशासन ने 70 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से कुछ लोगों को पहले ही जमानत मिल गई थी। लेकिन 56 लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। इनमें दो महिलाएं थीं। इन लोगों को वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को जमानत दे दी थी। लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी न होने की वजह से कल वो जेल से रिहा नहीं हो पाए थे।
जेल प्रशासन ने गुरुवार सुबह एकता शेखर और सानिया नाम की एक और महिला को रिहा कर दिया। अन्य लोगों की रिहाई शाम तक हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इतने लोगों की गिरफ्तारी की आलोचना हो रही थी, क्योंकि वहां कोई हिंसा भी नहीं हुई थी और लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया था।
एकता और रवि शेखर की गिरफ्तारी की काफी आलोचना हो रही थी, क्योंकि उनकी 14 महीने की बच्ची उनके बिना अकेले रह रही थी।

वाराणसी में नागरिकता (संशोधन) कानून का विरोध करने पर 19 दिसंबर को गिरफ्तार किए गए एकता शेखर और रवि शेखर जेल से रिहा हो गए हैं। इन दोनों के जेल जाने के बाद उनकी दुधमुंही बेटी चंपक अकेले अपने रिश्तेदारों के पास रह रही थी।
14 महीने की चंपक को उसके माता-पिता से अलग होने की खबरों को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की काफी आलोचना हो रही थी।
उन्हें वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को जमानत दी थी। लेकिन कुछ औपचारिकताएं पूरी न होने की वजह से उनकी रिहाई कल नहीं हो पाई थी। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जेल प्रशासन ने गुरुवार को उन्हें रिहा कर दिया।
जेल से रिहा होने के बाद एकता शेखर ने कहा, '' मेरी बेटी चंपक मेरे ही दूध पर निर्भर है। मैं उसको लेकर चिंतित थी। यह मेरे लिए बहुत ही कठिन था।''
दरअसल नागरिकता कानून का विरोध करने की वजह से वाराणसी प्रशासन ने 70 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से कुछ लोगों को पहले ही जमानत मिल गई थी। लेकिन 56 लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। इनमें दो महिलाएं थीं। इन लोगों को वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को जमानत दे दी थी। लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी न होने की वजह से कल वो जेल से रिहा नहीं हो पाए थे।
जेल प्रशासन ने गुरुवार सुबह एकता शेखर और सानिया नाम की एक और महिला को रिहा कर दिया। अन्य लोगों की रिहाई शाम तक हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इतने लोगों की गिरफ्तारी की आलोचना हो रही थी, क्योंकि वहां कोई हिंसा भी नहीं हुई थी और लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया था।
एकता और रवि शेखर की गिरफ्तारी की काफी आलोचना हो रही थी, क्योंकि उनकी 14 महीने की बच्ची उनके बिना अकेले रह रही थी।