केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक टीवी कार्यक्रम में कहा था, "जो कोई भी सीएए से जुड़े मुद्दों पर मुझसे चर्चा करना चाहता है मेरे कार्यालय से समय ले सकता है। हम तीन दिनों के अंदर समय देंगे। इसका असर यह हुआ कि सीएए का विरोध करने वाले कई लोगों ने उनसे मिलना चाहा।
शाहीनबाग में धरना देने वालों ने गृहमंत्री के घर तक मार्च करने का निर्णय किया लेकिन उन्हें रोक दिया गया। इंडिया टुडे की एक खबर के अनुसार, तब पुलिस ने कहा था, "सिर्फ एक प्रतिनिधिमंडल को अमित शाह से मिलने की इजाजत दी जा सकती है।" दूसरी ओर, इस दावे के बाद आईएएस छोड़ने वाले कन्नन गोपीनाथन ने गृहमंत्रालय से मिलने के लिए बाकायदा समय मांगा।
तीन दिन हो गए उनके मेल का जवाब भी नहीं आया। इसपर टेलीग्राफ ने लिखा है कि सोमवार को उसने भी केंद्रीय गृहमंत्रालय की प्रवक्ता वसुधा गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश एक से ज्यादा बार की ताकि गोपीनाथन के निवेदन पर प्रतिक्रिया ली जा सके। प्रवक्ता ने ना तो फोन उठाया ना व्हाट्सऐप्प पर संदेश का जवाब दिया।
इसपर गोपानीथन ने ट्वीट किया है, "तीन दिन हो गए कोई जवाब नहीं है। अमितशाह के कहे को महत्व नहीं देना चाहिए था। पर इस झूठ की पोल खोलनी थी। .... मैं अब इसपर आगे की कार्रवाई नहीं कर रहा हूं। पर इसे लोकतंत्र में एक सीख की तरह लिया जाए" (यह टेलीग्राफ में अंग्रेजी में प्रकाशित ट्वीट के एक अंश का हिन्दी अनुवाद है)।
कन्नन गोपीनाथन ने आगे कहा है, "मुमकिन है अपनी क्रोनोलॉजी के जरिए वे हमें इस कानून को पहले ही समझा चुके हैं और इसीलिए स्पष्ट करना नहीं चाहते हैं।"
शाहीनबाग में धरना देने वालों ने गृहमंत्री के घर तक मार्च करने का निर्णय किया लेकिन उन्हें रोक दिया गया। इंडिया टुडे की एक खबर के अनुसार, तब पुलिस ने कहा था, "सिर्फ एक प्रतिनिधिमंडल को अमित शाह से मिलने की इजाजत दी जा सकती है।" दूसरी ओर, इस दावे के बाद आईएएस छोड़ने वाले कन्नन गोपीनाथन ने गृहमंत्रालय से मिलने के लिए बाकायदा समय मांगा।
तीन दिन हो गए उनके मेल का जवाब भी नहीं आया। इसपर टेलीग्राफ ने लिखा है कि सोमवार को उसने भी केंद्रीय गृहमंत्रालय की प्रवक्ता वसुधा गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश एक से ज्यादा बार की ताकि गोपीनाथन के निवेदन पर प्रतिक्रिया ली जा सके। प्रवक्ता ने ना तो फोन उठाया ना व्हाट्सऐप्प पर संदेश का जवाब दिया।
इसपर गोपानीथन ने ट्वीट किया है, "तीन दिन हो गए कोई जवाब नहीं है। अमितशाह के कहे को महत्व नहीं देना चाहिए था। पर इस झूठ की पोल खोलनी थी। .... मैं अब इसपर आगे की कार्रवाई नहीं कर रहा हूं। पर इसे लोकतंत्र में एक सीख की तरह लिया जाए" (यह टेलीग्राफ में अंग्रेजी में प्रकाशित ट्वीट के एक अंश का हिन्दी अनुवाद है)।
कन्नन गोपीनाथन ने आगे कहा है, "मुमकिन है अपनी क्रोनोलॉजी के जरिए वे हमें इस कानून को पहले ही समझा चुके हैं और इसीलिए स्पष्ट करना नहीं चाहते हैं।"