भीमा कोरेगांव पर महाराष्ट्र पुलिस की प्रेस कांफ्रेंस, कोर्ट ने उठाए सवाल

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 3, 2018
मुंबई। भीमा कोरेगांव हिंसा को लेकर महाराष्ट्र पुलिस ने 31 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दावा किया था कि पकड़े गए कार्यकर्ताओं का भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने में हाथ था और उनके पास इसके पर्याप्त सबूत हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने कहा था कि ऐसे सबूत मिले हैं कि ये लोग सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में थे। वहीं, मुंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर हैरानी जताई है। 


एलगर परिषद की भूमिका को लेकर एनआईए द्वारा जांच कराए जाने की मांग करने वाली सतीश गायकवाड की एक याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में दर्ज केस के आधार पर, ये कार्यकर्ता रैली के दौरान भड़काऊ भाषण दे रहे थे जिसके कारण वहां का माहौल खराब हुआ और हिंसा भड़क उठी थी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि एक तरफ पुलिस ट्रायल की बात करती है और दूसरी तरफ वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है। इसपर हैरानी जताते हुए कोर्ट ने कहा,' उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया?' बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी। जून में पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। जबकि 28 अगस्त को महाराष्ट्र पुलिस ने इसी मामले में 5 वामपंथी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इसके एक दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इनको नजरबंद करने का आदेश दे दिया था और पुलिस कस्टडी देने से मना कर दिया था।

भीमा कोरेगांव में हिंदू संगठन ने किया था हमला- सरकारी रिपोर्ट
बता दें कि भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के दौरान भड़की हिंसा के बाद महाराष्‍ट्र में हिंसा भड़क उठी थी। सूबे में जातीय हिंसा के चलते काफी नुकसान हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जनवरी 2018 में आईजी विश्वास नांगरे पाटील द्वारा इस मामले के तथ्यों की जांच के लिए को-ऑर्डिनेशन कमिटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भीमा कोरेगांव मामला दंगा नहीं बल्कि हमला था। यह हमले हिंदू संगठनों ने कराए थे। वारदात के वक्त मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की सिफारिश भी इस कमेटी ने की थी इस मामले के आरोपी मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे के खिलाफ कुछ सबूत भी पुलिस को सौंपने की बात कही थी। इस हिंसा में मिलिंद एकबोटे को गिरफ्तार किया गया था लेकिन संभाजी भिड़े को अभी तक बचाया जाता रहा है। शंभाजी भिड़े को बचाने के पीछे लोगों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी का गुरू होने के नाते पुलिस हाथ नहीं डाल रही है। 

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