भाजपा नेता चिन्मयानंद ने पूछा- 'क्या सिर्फ मोदी की रैलियों में भीड़ जुटाने तक सीमित रह गए हैं योगी?'

Written by Navnish Kumar | Published on: January 3, 2022
उत्तर प्रदेश में नए मुख्य सचिव की तैनाती से राजनीतिक हलकों में पुख्ता तौर से यह एक अजीब सी बहस छिड़ गई है कि मोदी ने योगी से उत्तर प्रदेश की कमान छीन ली है? पीएम मोदी के अपने खासमखास व रिटायर हो रहे अफसर को सेवा विस्तार देने और उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव बनाने को, राजनीतिक हलकों में सीएम योगी के 'पर' कुतरने के तौर पर देखा जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि क्या केशुभाई और कल्याण सिंह की तरह, योगी को भी मुख्य धारा की राजनीति से किनारे कर दिया जाएगा? बहस यहां तक है कि पूर्व गृह राज्यमंत्री व भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद ने बाकायदा फेसबुक पोस्ट लिखकर रिटायर हो रहे अफसर को सेवा विस्तार देने और, मुख्य सचिव बनाने के औचित्य पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। इस फैसले को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए, स्वामी चिन्मयानंद ने पूछा है कि क्या योगी, सिर्फ मोदी की सभाओं में भीड़ जुटाने का कारिंदा मात्र रह गए हैं?'



दो दिन पहले ही सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक चिंतक लोकेश सलारपुरी ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर सवाल उठाते हुए लिखा था कि "योगी राजनीति के बेहद कच्चे खिलाड़ी साबित हुए! केशुभाई पटेल, कल्याण सिंह की तरह अत्यंत महीन चालाकी के साथ इनका इलाज कर दिया गया है! अब योगी जी फड़फड़ा भले ही लें परन्तु कर कुछ नही पाएंगे! एक तरीके से कार्यवाहक मुख्यमंत्री सरीखे होकर रह जाएंगे! अगर भाजपा सत्ता में आ भी गयी तो ये तय है कि किसी भी कीमत पर योगी सीएम नही बनाये जाएंगे!! अमित शाह और मोदी, योगी की लोकप्रियता को खुद के लिए खतरा मान रहे थे!! कभी अटल जी कल्याण सिंह से घबराए थे! तो अटल, आडवाणी कभी गुजरात में केशुभाई पटेल से घबराए थे! 
    
सलारपुरी लिखते हैं कि वैसे भी आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज़ादी के बाद से उत्तर प्रदेश के 21 मुख्यमंत्रियों में से मात्र तीन ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए हैं!! मायावती पहली थीं, अखिलेश दूसरे और योगी तीसरे होंगे!! दरअसल यूपी की ताक़त ही उसकी कमज़ोरी है! जब जब केंद्र और यूपी में एक पार्टी की सरकार हुई तब तब हमेशा यूपी के सीएम और केंद्र सरकार में तलवारें खिंचती रही हैं!! अत्यंत डेमोक्रेटिक नेहरू जी के युग मे गोविंद वल्लभ पंत जी, इंदिरा युग में एनडी तिवारी से लेकर बहुगुणा तक, राजीव युग मे वीर बहादुर सिंह, तिवारी जी तक खींचतान रही ही है!!

उप्र निर्माण संगठन नाम के एक यूजर इसे सही विश्लेषण बताते हुए लिखते हैं कि योगीजी की बॉडी लैंग्वेज काफी कुछ बयान कर रही है। ऊपर से नीति आयोग ने यूपी की पोल पट्टी खोल दी है। केंद्र सरकार न सिर्फ योगी को बौना साबित करने पर अमादा है अपितु जानबूझकर जलील भी कर रहा है। दूसरा, बाबा चाहते तो यूपी का कायाकल्प कर सकते थे लेकिन उन्होंने आत्ममुग्धता, बदले की भावना, अति उत्साह, अफसरों पर निर्भरता, प्रधानमंत्री पद की लालसा आदि के चलते 5 साल खराब कर दिए। पिछली सरकार का डायल 100 एक अच्छा कदम था किंतु इस सरकार ने ऐसा कोई कार्य भी नहीं किया। एक अन्य यूजर अशोक पंवार लिखते हैं कि योगी का जाना ही बेहतर है वह मठाधीश ही रहें यह ठीक है। क्योंकि संत और राजा का आवरण ओढ़कर भी वह निरे जातिवादी सिद्ध हुए। ऐसी लोकप्रियता से तो वैसे भी भाजपा को नुक्सान ही होना है।


लेकिन सबसे बड़ा व तीखा हमला वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने बोला है। बीजेपी के तीन बार के पूर्व सांसद और देश के पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने फेसबुक पोस्ट पर नए मुख्य सचिव की तैनाती पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या योगी, सिर्फ मोदी की सभाओं में भीड़ जुटाने का कारिंदा मात्र बन कर रह गए हैं?' स्वामी चिन्मयानंद ने रिटायर हो रहे अफसर (दुर्गा शंकर मिश्रा) को सेवा विस्तार देकर मुख्य सचिव बनाए जाने के औचित्य पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लिखा है कि क्या मोदी अब केंद्र के विभिन्न विभागों की तरह उत्तर प्रदेश का शासन भी इन्हीं के बल पर चलाएंगे? 

शाहजहांपुर से पूर्व सांसद और देश के पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर 31 दिसंबर को एक पोस्ट लिखी है। स्वामी चिन्मयानंद ने 11 लाइन की फेसबुक पर नए मुख्य सचिव की तैनाती पर सवाल खड़े किए हैं कि 'यह आखिर किसका फैसला?' स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने लिखा है कि 'वर्ष के अंतिम दिन उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में व्यापक फेरबदल चौंकाने वाला है, मुख्य सचिव पद पर तमाम योग्य प्रशासनिक अधिकारियों के होने के बावजूद भी अवकाश प्राप्त अधिकारी को सेवा विस्तार देकर प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया जाना क्या उचित है? क्या यह योगी का निर्णय है अथवा किसी अन्य का, इतना ही नहीं तमाम जिलों में जिला अधिकारियों के स्थानांतरण भी इसी बुजुर्ग अधिकारी के निर्देश पर हुए हैं? क्या मोदी अब केंद्र के विभिन्न विभागों की तरह उत्तर प्रदेश प्रशासन भी इन्हीं के बल पर चलाएंगे? क्या योगी सिर्फ मोदी की सभाओं में भीड़ जुटाने का कारिंदा मात्र रह गए हैं? गुजरात, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न चुनावों में आपको महिमामंडित करने वाला आपका यह संत सिपाही क्या अब आपके काम का नहीं रह गया?' 

इस पोस्ट पर स्वामी चिन्मयानंद से मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि यह पोस्ट उनके द्वारा ही लिखी गई है। कहा कि मैंने सिर्फ एक रिटायर हो रहे अधिकारी को मुख्य सचिव बनाए जाने के औचित्य पर सवाल खड़ा किया है। मेरा कोई विरोध नहीं है। मैंने व्यवस्था का विरोध नहीं किया है। बस जब प्रदेश में तमाम अन्य अधिकारी मौजूद हैं, तो रिटायरमेंट से 2 दिन पहले मुख्य सचिव बनाया जाना कहां तक उचित है? 

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