छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके खासमखास लोगों ने अपने-अपने इलाकों को ही तबाह करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। अब फिर से वोट मांगने की घड़ी आई है तो इनके पसीने छूट रहे हैं।
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मुख्यमंत्री के खास और विधानसभा अध्यक्ष रहे धरमलाल कौशिक भी अपनी सीट बिल्हा पर ऐसे ही बुरे फंस गए हैं।
बिल्हा की समस्याओं की बात करें तो साफ लगता है कि यहां की समस्याओं में कमी नहीं बल्कि बढ़ोतरी ही हुई है। भाजपा सरकार ने गरीबों के लिए जो योजनाएं बनाई भी हैं तो उनका लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार बिल्हा विधान सभा के अमेरी अकबरी ग्राम पंचायत का ग्राम मांझी टोला रमन सरकार के कुशासन का नमूना बन चुका है।
गांव में बसे लोगों के पास न तो स्मार्ट कार्ड हैं और न ही किसी को गैस सिलेडर दिया गया है। रमन सिंह ने मोबाइल बांटकर लोगों को लुभाने की कोशिश की थी, लेकिन इस गांव में किसी को मोबाइल भी नहीं मिले।
गांव की सबसे सबसे बड़ी समस्या पानी, सडक़ और बिजली की है। यहां पांच हैंडपंप लगे हैं लेकिन उनमें से 4 खराब हैं। बिजली का कोई ठिकाना कभी रहा ही नहीं और सड़क बनाने का काम तो जैसे सरकारों का रहा ही नहीं। बहुचर्चित प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केवल सात लोगों को मकान दिए गए हैं।
मांझी टोला पारा में 22 साल पहले उन लोगों को बसाया गया था जिनको जमीन से बेदखल कर उनकी जमीन नोवा आयरन को दे दी गई थी। हटाने के पहले इस परिवार के एक एक व्यक्ति को नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन किसी को नौकरी नहीं मिली।
स्कूल में पांचवीं तक का है जिसमें तीन शिक्षक नियुक्त हैं, लेकिन तीनों ही स्कूल नहीं आते। बच्चियां भी स्कूल में समय बर्बाद करने के बजाय मछली बेचकर जीवन यापन करना बेहतर मानती हैं।
बस्ती के आधे लोगों का स्मार्ट कार्ड बना है लेकिन कइयों के कार्ड में अंगूठा नहीं आ रहा है, और नाम गलत हैं। इस कारण इलाज के लिए लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।