बिलासपुर हाईकोर्ट ने गरियाबंद में 67 ग्रामीणों की मौत पर जताई चिंता

गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव में प्रदूषित पानी पीने से अब तक 67 ग्रामीण मौत के मुंह में समा चुके हैं, लेकिन पिछले 15 साल से सत्ता सुख भोग रही रमन सिंह की भाजपा सरकार इस बारे में हाथ पर हाथ धरे बैठी है।

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दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक देवभोग विकासखंड के इस गांव में भूजल में फ्लोराइड और भारी धातुओं की मात्रा बहुत अधिक हो गई है जिससे यहां का पानी पीकर ग्रामीणों की किडनी खराब हो रही हैं।

इतना ही नहीं, गरियाबंद जिले में किडनी के इलाज की सही व्यवस्था न होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए या तो रायपुर जाना पड़ता है या ओडीशा के भवानीपट्टनम।

हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इन मरीजों के इलाज की उचित व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है।

गरियाबंद के देवाशीष तिवारी ने ये जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद कोर्ट ने न्याय मित्र नियुक्त करके रिपोर्ट मंगाई थी। इससे पता चला कि गांव में पंप के जरिए पीने का पानी लिया जाता है लेकिन लो वोल्टेज की समस्या होने के कारण इसमें दिक्कत हो रही है। सोलर सिस्टम लगाने से भी समस्या का हल नहीं निकला।

इस पर कोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को भी पक्षकार बनाकर नोटिस जारी किया। कंपनी ने दो सप्ताह के अंदर गांव में लो वोल्टेज की समस्या दूर करने का वादा किया है।

राज्य शासन ने 13 जिलों में जल्द ही मुफ्त डायलिसिस की सुविधा देने का वादा किया है, साथ ही गरियाबंद जिले में रक्त की जांच के लिए आधुनिक मशीन लगाने का भी वादा किया है।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि एक तरफ छत्तीसगढ़ में सरप्लस बिजली उत्पादन का दावा किया जाता है, दूसरी तरफ लो वोल्टेज की दिक्कत गांवों में हो रही है, जो कि बेहद चिंताजनक बात है।

अब देखना है कि विद्युत वितरण कंपनी और राज्य सरकार अपने वादे कब तक और किस हद तक पूरे करती है।

 

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