BHU में बही संघ की ज्ञान-गंगा- कौटिल्य अर्थशास्त्र में जीएसटी, मनु के दर्शन में भूमंडलीकरण

Published on: December 7, 2017
नई दिल्ली। केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भाजपा शासित राजस्थान से खबरें सामने आई थीं कि वहां की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव किया जाएगा। बदलाव में खास बात यह थी कि महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी का युद्ध विजेता के तौर पर बच्चों को पढ़ाया जाएगा। इसके बाद खबर आई कि वसुंधरा सरकार किताबों से कांग्रेस से जुड़े महापुरुषों को हटवा रही है। तथ्यों के साथ तोड़मरोड़ की ऐसी ही खबर भाजपा शासित यूपी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सामने आई है। 



संघ और भाजपा पर मनुवाद को बढ़ावा देने के आरोप पहले से ही लगते रहे हैं। बीएचयू के एमए (मास्टर ऑफ ऑर्ट्स) के पॉलिटिकल साइंस के पेपर में कौटिल्य को जीएसटी का जनक बताने की तैयारी की गई है वहीं मनु को ग्लोबलाइजेशन का पहला भारतीय विचारक के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की गई है। 

एमए पॉलिटिकल साइंस के ये दो सवाल चर्चाओं में हैं.....

सवाल नंबर 1- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में GST के स्वरूप पर निबंध लिखिए.

सवाल नंबर 2- मनु ग्लोबलाइजेशन के पहले भारतीय विचारक हैं. चर्चा कीजिए.


हालांकि छात्रों का कहना है कि 'प्राचीन और मध्यकालीन भारत में सामाजिक और राजनीतिक विचार' के तहत ये टॉपिक्स उनके कोर्स का हिस्सा नहीं हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेपर तैयार करने वाले प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने कहा, 'हमने इस पर विचार किया और पाया कि दोनों विचारकों के दर्शन को नए उदाहरणों जैसे जीएसटी और ग्लोबलाइजेशन के जरिए छात्रों को पढ़ाया जाए।'



उन्होंने कहा, 'यह मेरा विचार था कि छात्रों को इन उदाहरणों से परिचित कराया जाए। अगर ये किताब में नहीं हैं तो क्या हुआ? क्या ये हमारा दायित्व नहीं है कि पढ़ाने के नए तरीके खोजे जाएं।'

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प्रोफेसर मिश्रा बीएचयू में सोशल साइंस की फैकल्टी के तहत भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और भारतीय राजनीतिक विचार पढ़ाते हैं। मिश्रा ने इस बात को स्वीकार किया कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य हैं, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ये निजी मत है और छात्रों को वे जो कुछ पढ़ाते हैं, उससे कोई लेना देना नहीं है।
 

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