बांग्लादेश के लंबे समय से पर्यवेक्षक और वरिष्ठ पत्रकार सुवोजित बागची प्रधानमंत्री शेख हसीना के निष्कासन और भारत में उनकी "अस्थायी शरण" के बाद देश में स्थिति का विश्लेषण करते हैं। बागची बताते हैं कि यह शासन के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार की गई गलतियों का संचयी प्रभाव था जिसने अंततः ऐसी स्थिति पैदा की कि शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। वे आगे कहते हैं कि नए घटनाक्रम बांग्लादेश में अधिक नियंत्रण हासिल करने के लिए अमेरिका और चीन द्वारा स्पष्ट और समस्याग्रस्त चालों का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, लेकिन अनुभवी पर्यवेक्षक को यकीन है कि स्थिति ऐसी नहीं होगी जहां इस्लामी चरमपंथ देश पर हावी हो जाए। वेंकटेश रामकृष्णन के साथ पूरा साक्षात्कार यहाँ देखें।
Courtesy: The Aidem
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