प्रयागराज। लॉ स्टूडेंट के यौन शौषण के मामले में पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। एलएलएम छात्रा के यौन शोषण के आरोप में चिन्मयानंद जेल में बंद थे। बीते 16 नवंबर को हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आपको बता दें कि स्वामी चिन्मयानंद शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद लॉ कॉलेज भी चलाते हैं। स्वामी चिन्मयानंद पर तकरीबन आठ साल पहले नवंबर 2011 में शाहजहांपुर में एफआईआर दर्ज हुई थी। उनके ही आश्रम में कई वर्षों तक रहने वाली एक युवती ने उनके खिलाफ रेप और यौन शोषण का आरोप लगाया था।
राज्य सरकार ने 2018 में शाहजहांपुर की एक अदालत से केस को वापस लेने का फैसला भी किया था। शाहजहांपुर प्रशासन ने 9 मार्च 2018 को वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को पत्र लिखकर केस वापस लेने को कहा था। पत्र में लिखा था कि प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत केस वापस लेने का फैसला लिया है।
इसके बाद स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की एक छात्रा ने 24 अगस्त को एक विडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण और कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने के आरोप लगाए और उसे व उसके परिवार को जान का खतरा बताया था। विडियो सामने आने के बाद छात्रा लापता हो गई थी।
इस मामले में 25 अगस्त को पीड़िता के पिता की ओर से कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने की धाराओं में स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया गया था। इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने पांच करोड़ रुपए रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज करा दिया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 30 अगस्त को पीड़िता को उसके एक दोस्त के साथ राजस्थान से बरामद कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीड़िता को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की। छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद पर करीब नौ माह तक यौन शोषण करने, रेप कर उसका विडियो बनाने, नहाने का विडियो बनाने और उन्हें गायब कर साक्ष्य मिटाने जैसे गंभीर आरोप लगाए।
20 सितंबर को यूपी पुलिस की एसआईटी ने चिन्मयानंद को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित की गई एसआईटी ने स्वामी चिन्मयानंद को यौन शोषण का आरोपी था। वहीं पीड़िता समेत संजय, विक्रम तथा सचिन को स्वामी चिन्मयानंद से 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में जेल भेज दिया गया था।
राम मंदिर आंदोलन में चिन्मयानंद ने गोरखपुर के गोरक्षा पीठ के महंत और पूर्व सांसद अवैद्यनाथ के साथ मिलकर बड़ी भूमिका निभाई थी। 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चिन्मयानंद को बदायूं की सीट से टिकट दिया था, जहां से उनका कोई ताल्लुक नहीं था लेकिन कहते हैं कि मंदिर आंदोलन की लहर में उन्होंने ये चुनाव जीत लिया था।
इसके सात साल बाद चिन्मयानंद 1998 में मछलीशहर से और 1999 में जौनपुर सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री बनाए गए। स्वामी चिन्मयानंद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अपना करीबी बताते हैं। कहा जाता है कि 2017 में जब बीजेपी भारी बहुमत से जीती थी तो इन्होंने ही सबसे पहले योगी का नाम सीएम पद के लिए सुझाया था।
आपको बता दें कि स्वामी चिन्मयानंद शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद लॉ कॉलेज भी चलाते हैं। स्वामी चिन्मयानंद पर तकरीबन आठ साल पहले नवंबर 2011 में शाहजहांपुर में एफआईआर दर्ज हुई थी। उनके ही आश्रम में कई वर्षों तक रहने वाली एक युवती ने उनके खिलाफ रेप और यौन शोषण का आरोप लगाया था।
राज्य सरकार ने 2018 में शाहजहांपुर की एक अदालत से केस को वापस लेने का फैसला भी किया था। शाहजहांपुर प्रशासन ने 9 मार्च 2018 को वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को पत्र लिखकर केस वापस लेने को कहा था। पत्र में लिखा था कि प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत केस वापस लेने का फैसला लिया है।
इसके बाद स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की एक छात्रा ने 24 अगस्त को एक विडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण और कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने के आरोप लगाए और उसे व उसके परिवार को जान का खतरा बताया था। विडियो सामने आने के बाद छात्रा लापता हो गई थी।
इस मामले में 25 अगस्त को पीड़िता के पिता की ओर से कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने की धाराओं में स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया गया था। इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने पांच करोड़ रुपए रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज करा दिया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 30 अगस्त को पीड़िता को उसके एक दोस्त के साथ राजस्थान से बरामद कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीड़िता को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की। छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद पर करीब नौ माह तक यौन शोषण करने, रेप कर उसका विडियो बनाने, नहाने का विडियो बनाने और उन्हें गायब कर साक्ष्य मिटाने जैसे गंभीर आरोप लगाए।
20 सितंबर को यूपी पुलिस की एसआईटी ने चिन्मयानंद को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित की गई एसआईटी ने स्वामी चिन्मयानंद को यौन शोषण का आरोपी था। वहीं पीड़िता समेत संजय, विक्रम तथा सचिन को स्वामी चिन्मयानंद से 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में जेल भेज दिया गया था।
राम मंदिर आंदोलन में चिन्मयानंद ने गोरखपुर के गोरक्षा पीठ के महंत और पूर्व सांसद अवैद्यनाथ के साथ मिलकर बड़ी भूमिका निभाई थी। 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चिन्मयानंद को बदायूं की सीट से टिकट दिया था, जहां से उनका कोई ताल्लुक नहीं था लेकिन कहते हैं कि मंदिर आंदोलन की लहर में उन्होंने ये चुनाव जीत लिया था।
इसके सात साल बाद चिन्मयानंद 1998 में मछलीशहर से और 1999 में जौनपुर सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री बनाए गए। स्वामी चिन्मयानंद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अपना करीबी बताते हैं। कहा जाता है कि 2017 में जब बीजेपी भारी बहुमत से जीती थी तो इन्होंने ही सबसे पहले योगी का नाम सीएम पद के लिए सुझाया था।