अयोध्या मस्जिद परियोजना अधर में, राम मंदिर निर्माण ज़ोरों पर

Written by Tarique Anwar | Published on: December 7, 2022
नगर निकायों, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अग्निशमन सेवाओं से नक्शा और एनओसी के निर्माण के लिए मंज़ूरी न मिलने के कारण निर्माण शुरू नहीं हुआ है।


प्रस्तावित अयोध्या की मस्जिद जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या के धन्नीपुर गांव में बनेगी। फोटो साभार: इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को अयोध्या में एक मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ ज़मीन आवंटित करने और विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ करने का आदेश देने के क़रीब तीन साल बाद, निर्माण नक्शों के मंज़ूरी और नागरिक प्राधिकरणों, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अग्निशमन सेवाओं से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के मिलने के कारण ये परियोजना अधर में है।

दूसरी ओर, एससी के आदेश के बाद कि उक्त विवादित भूमि को राम मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट को सौंप दिया जाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त 2020 को शिलान्यास किया गया जिसके बाद से भूमि पर निर्माण ज़ोरों पर है।

लंबे समय तक चले बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि टाइटल सूट के बाद शीर्ष अदालत ने अपने 1,045 पन्नों के फ़ैसले में राज्य सरकार को नवंबर 2019 में प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण के लिए यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ ज़मीन आवंटित करने का आदेश दिया था।

मस्जिद के लिए भूमि का आवंटन धनीपुर गांव में किया गया जो विवादित स्थल 2.77 एकड़ से 24 किलो मीटर दूर है। इस स्थान पर ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद 6 दिसंबर, 1992 को ध्वस्त होने से पहले मौजूद थी।

वक़्फ़ बोर्ड द्वारा स्थापित ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) की देखरेख में इस वैकल्पिक भूमि पर 2,000 लोगों की क्षमता वाली एक मस्जिद के अलावा इसमें स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह (1857 के ब्रिटिश-विरोधी युद्ध के नायक) को समर्पित एक 300 बिस्तरों वाले सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के साथ-साथ एक शोध केंद्र और रोज़ाना क़रीब 1,000 लोगों को खिलाने वाले एक सामुदायिक रसोईघर के निर्माण का भी प्रस्ताव है।

कथित तौर पर इसे एक वर्ष से अधिक समय से लंबित रखते हुए अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने बोर्ड के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल के बाद ही इस परियोजना को मंज़ूरी दे दी है और ट्रस्ट ने 30 जून को एडीए के उपाध्यक्ष विशाल सिंह से मुलाक़ात की है।

“आईआईसीएफ़ (अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट ) ने मंज़ूरी के लिए प्रसंस्करण शुल्क के रूप में 5 लाख रुपये के साथ पिछले साल 25 मई को एडीए को 11 सेटों में नक्शा प्रस्तुत किया था।

आईआईसीएफ के ट्रस्टी अरशद अफ़ज़ल ख़ान ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, “इस साल 30 जून को विशाल सिंह से मिलने के बाद ही हमें एक आधिकारिक सूचना मिली थी। हमें एडीए की वेबसाइट पर अप्रूवल के लिए ऑनलाइन आवेदन करने को कहा गया था। हमने उस आदेश का पालन किया लेकिन इसके लिए कई एनओसी की ज़रूरत थी। हम सभी एनओसी को सुरक्षित करने का आग्रह करते हुए एडीए के पास वापस गए।"

ख़ान ने आगे कहा कि, “इस बिंदु पर, अयोध्या के ज़िला मजिस्ट्रेट नीतीश कुमार ने दख़ल दिया और उसके लिए एक अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की। 18 अक्टूबर को एडीए के सचिव सत्येंद्र सिंह ने हमें बताया कि राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक़ यह प्लॉट कृषि भूमि है। इसलिए इसका उपयोग बदले बिना इस पर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है। हमें भूमि के उपयोग में बदलाव की मांग करने वाले एक आवेदन के लिए एक प्रोफार्मा दिया गया था। हमने यह भी किया।” उन्होंने आगे कहा, "यह अभी भी अधिकारियों के पास लंबित है।"

ख़ान ने कहा, क़रीब दो महीने पहले, अग्निशमन विभाग ने '12 मीटर से कम संकरी सड़क होने पर आपत्ति जताते हुए हमें मस्जिद और अन्य सुविधाओं के लिए एनओसी जारी करने से इनकार कर दिया। ट्रस्ट ने सरकार से इस मुद्दे को हल करने का आग्रह किया है क्योंकि उसके पास उक्त रोड के दोनों ओर ख़ाली ज़मीन है। ख़ान ने आरोप लगाया, 'हमें अब तक उक्त मार्ग को चौड़ा करने के लिए अतिरिक्त ज]मीन भी मुहैया नहीं कराई गई है।'

यह पूछे जाने पर कि क्या वह दो समान धार्मिक स्थलों के निर्माण को सुविधाजनक बनाने में अधिकारियों की मुस्तैदी के बीच अंतर देखते हैं, ख़ान ने कहा कि यह एक "वाजिब" सवाल है, लेकिन सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।

इस बारे में पूछे जाने पर कि सिंह ने किसी भी तरह के भेदभाव से इनकार किया और स्पष्ट किया कि परियोजना को मंज़ूरी देने के लिए "तकनीकी मुद्दों" को हल किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “आवंटित भूमि के उपयोग को बदलना होगा और इस संबंध में एक आवेदन पर कार्रवाई की जा रही है। कुछ और तकनीकी ख़ामियां हैं, जिन पर भी काम किया जा रहा है। जल्द ही, सब कुछ हल हो जाएगा।”

अग्निशमन विभाग द्वारा परियोजना के लिए एनओसी अस्वीकार करने के बारे में पूछे जाने पर अयोध्या के मुख्य अग्निशमन अधिकारी आरके राय ने कहा, “उक्त मार्ग 12 मीटर चौड़ा होना चाहिए; हालांकि, मुख्य मार्ग चार मीटर से अधिक चौड़ा नहीं है। अन्य मार्गों की चौड़ाई छह मीटर से अधिक नहीं है। इसलिए, मंजूरी रोक दी गई है और ट्रस्ट को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है।”

बाबरी मस्जिद से कोई समानता नहीं

डिजाइनिंग के प्रभारी ख़ान के अनुसार, ये मस्जिद बाबरी मस्जिद के जैसी नहीं होगी जिसे मुग़ल सम्राट बाबर के जनरल मीर बाक़ी ने 1528-29 में बनाया था और न ही दिल्ली सल्तनत के मस्जिदों की प्रतिकृति होगी।


फोटो साभार: प्रवीण जैन

उन्होंने कहा, “बाबर हमारा आदर्श नहीं है। हमारे आदर्श हमारे सूफी संत, स्वतंत्रता सेनानी और विद्वान हैं। इसलिए प्रस्तावित अयोध्या की मस्जिद किसी भी तरह से बाबरी मस्जिद जैसी नहीं दिखेगी। इसलिए, नई मस्जिद में मुग़ल-युग की मस्जिद और उसके विध्वंस का कोई संदर्भ नहीं होगा।”

ख़ान ने कहा कि प्रस्तावित मस्जिद के परिसर के संग्रहालय में शाह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित एक स्मारक होगा। उन्होंने कहा, "ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ (परोपकार) की इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार, प्रस्तावित परिसर में एक सामुदायिक रसोई और ग़रीबों को खिलाने और बड़े पैमाने पर मानवता की सेवा करने के लिए एक अस्पताल होगा।"

Courtesy: Newsclick

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