आत्मनिर्भर भारत अभियान का सपना मिथ्या या हकीकत

Written by Amrita pathak | Published on: August 13, 2020
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार 15 अगस्त 2020 को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत योजना के लिए नई रूप रेखा प्रस्तुत करेंगे. भारत की जनता को आत्मनिर्भर भारत का सपना दिखाने वाले मोदी सरकार ने दुनिया के सामने भारत को अवसरों का देश बता कर निवेश करने का न्योता दिया है. निर्माण से लेकर सेवा तक लगभग सभी क्षेत्रों में निवेश करने का आह्वाहन सरकार द्वारा किया गया है. भारत एक बड़ा बाजार है लेकिन विदेशी निवेश (खास कर साम्राज्यवादी अमेरिका) को देश के हर क्षेत्र में न्योता देकर सरकार ने देश की संप्रभुता को ताक़ पर रख दिया है. सवाल है कि क्या भारतीय सरकार इतनी सक्षम नहीं है कि अपने देश के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों का उपयोग कर हर क्षेत्र में सरकारी निवेश किया जाए? या फिर सरकार जान बुझ कर पुजीपतियों के हाथों देश को गिरवी रखने की तैयारी में हैं. देशी या विदेशी पूजीपति मुनाफे के लिए निवेश करेंगे जिससे जनता को कम और पूजीपति ज्यादा फायदे में रहेंगे. ऐसी हालत में देश की जनता को आत्मनिर्भरता का सपना दिखाना कोरी मिथ्या मालूम पड़ती है.   



आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है 
भारत की सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक योजना बनाई है जिसका नाम उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान रखा है चूँकि आत्मनिर्भर भारत अभियान एक केंद्र स्तरीय योजना है इसलिए प्रधानमंत्री द्वारा यह पैकेज देश के सभी राज्यों में लागू किया गया है। वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान भारत की जनता और अर्थव्यवस्था की दयनीय हो चुकी स्थिति को सुधारने के लिए भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की धोषणा की है इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के रूप में पहले से ही घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज जो गरीबों को कोरोनोवायरस महामारी के कारण होने वाली कठिनाइयों को दूर करने और इसके प्रसार की जांच के लिए लॉकडाउन के समय में लगाए गए, शामिल हैं। साथ ही एक्सपर्ट का कहना हैं कि सरकार के पास नकदी प्रवाह केवल 4 लाख करोड़ है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  (आरबीआई) ने 8 लाख करोड़ का नकदी प्रवाह मार्केट में डाला है। सरकार के पास 5 लाख करोड़ का अतिरिक्त कर्ज है। एक लाख करोड़ गारंटी फीस है तो वास्तविक वित्तीय पैकेज: 4 2020 है'. 
बदहाल होती देश की हालत आत्मनिर्भरता की तरफ नहीं आर्थिक संकट की तरफ इशारा करती है सरकार ने शुरू में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) को COVID-19 महामारी से प्रभावित लोगों के लिए अंतरिम उपायों के रूप में घोषित किया था। मई 2020 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान की विस्तार से घोषणा की गई थी। 

20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देश की जीडीपी का लगभग 10% है। इस पैकेज में भूमि, श्रम, नकदी और कानूनों पर जोर दिया गया है। पैकेज में MSME, कुटीर उद्योग, मध्यम वर्ग, प्रवासी, उद्योग आदि जैसे कई क्षेत्रों के लिए लाभ के उपाय शामिल हैं।

निजीकरण का रास्ता प्रशस्त करता आत्मनिर्भर भारत अभियान 
सरकारी धोषणाओं के अनुसार भारत को आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कई नीतिगत सुधार किए गए हैं जो बेशक जनता के लिए अहितकारी है लेकिन पूंजीपतियों और निवेशकों का रास्ता आसान करती है. भारत के प्रधानमंत्री ने यूएस-इंडिया बिजनस काउंसिल की ओर से आयोजित 'इंडिया आइडियाज समिट' में संबोधन के दौरान अमेरिकी कंपनियों को भारत में टेक्नॉलजी, कृषि, ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिविल एविएशन, रक्षा एवं अंतरिक्ष, वित्त एवं बीमा जैसे क्षेत्रों में निवेश का न्योता दिया और कहा कि आज पूरा विश्व भारत की तरफ आशाभरी निगाहों से देख रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत अपने यहां खुलेपन, अवसरों और विकल्पों के शानदार समन्वय को महत्व दे रहा है। उन्होंने इसे विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत अपने लोगों और शासन में खुलेपन को बढ़ावा देता है। पीएम ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इससे भारत ही नहीं दुनिया की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा जबकि सच्चाई यह है कि निवेश मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर टिकी होती है जिसका केंद्र बाजार होता है. 

विनिर्माण से लेकर रक्षा क्षेत्र में निवेश को आमंत्रित करना भारत के कुशल व् प्रशिक्षित युवाओं को कुशल मजदुर में तब्दील कर मनचाहे कीमत पर निजी कंपनियों के हवाले करने जैसा है जिसमे युवाओं के रोजगार व् भविष्य की कोई गारंटी नहीं होगी.  ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे कर युवाओं को पूंजीपतियों और निवेशकों के ऊपर निर्भर होकर जिन्दगी जीने की तरफ बढाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत दुनिया की समृधि में योगदान देगा सवाल यह उठता है कि कर्ज में डूबे हुए भारत जो सर्वाधिक भुखमरी वाले देशों में एक है, उच्चतर बेरोजगारी झेल रहा है, निजीकरण की मार झेल रहे युवाओं की लगातार नौकरियां ख़त्म हो रही है जिससे आत्महत्या की घटनाएँ बढती जा रही है, जनता को इलाज की सुविधा नहीं है, भारत महिलाओं के लिए दुनिया भर में सबसे असुरक्षित देशों में से एक है,  ऐसे देश में महज निवेश से अर्थव्यवस्था के ठीक होने की बात करना देश भर की जनता को गुमराह करने जैसा है.

कोई भी देश उस देश में रहने वाली जनता और उसकी जीवनशैली से तय होता है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के नाम पर महज घोषणाएं करके या आत्मनिर्भर भारत सप्ताह मना कर जनता को महज तसल्ली दी जा सकती है हकीकत से इनका कोई वास्ता नहीं है. वर्तमान में दुनिया भर के साथ भारत कोरोना महामारी और बाद की त्रासदी की चुनौतियों को एक साथ झेल रही है. 

सरकार इनके जीवन को सुरक्षित करने के बजाय देश की सार्वजानिक संस्थाओं को निजी हाथों में बेच कर, शिक्षा व् रोजगार का निजीकरण कर, सार्वजानिक क्षेत्र के ओधोगिक संस्थानों को बंद करके आत्मनिर्भरता की घोषणाएं कर रहे हैं.  देश की संप्रभुता को दरकिनार कर रक्षा संस्थान तक में निवेश को बढ़ावा देकर सरकार न ही सिर्फ जनता के प्रति संवैधानिक जबाबदेही से मुह फेर रही है बल्कि देश को निजीकरण की खाई में धकेल कर भारत के भविष्य को अंधकारमय बना रही है. 

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