सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सेतलवाड़ को गुजरात एटीएस ने मुंबई से गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं ने विरोध दर्ज कराया है। छात्र नेताओं का कहना है कि अगर तीस्ता सेतलवाड़ को रिहा नहीं किया गया तो वे सड़क पर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। छात्र नेता जानिब हसन ने कहा कि इस मुद्दे पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र शांत नहीं बैठेंगे। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत विरोध दर्ज कर अपनी बात उठाई जाएगी।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रों ने सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी का विरोध किया है। छात्र जल्द ही सड़क पर उतरकर तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई को लेकर प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि तीस्ता सेतलवाड़ का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लगाव रहा है और वह कई बार एएमयू के कार्यक्रम में भी भाग ले चुकी हैं। वहीं अब एएमयू छात्र तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी को लेकर आक्रोशित हैं। छात्र नेताओं ने कहा कि तीस्ता सेतलवाड़ हमेशा कमजोरों के साथ खड़ी रही हैं, लेकिन आज सरकार उन्हीं पर अत्याचार कर रही है। हम चुप नहीं बैठेंगे।
तीस्ता सेतलवाड़ सोशल एक्टिविस्ट हैं और करीब तीन दशक से गरीब और मजलूमों की आवाज बनी हैं। तीस्ता को गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी के बाद गिरफ्तार किया गया है। तीस्ता कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर उनकी मदद कर रही थीं।
'सरकार लोगों को दबाने और डराने का काम कर रही'
राजस्थान पत्रिका की खबर के अनुसार, तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी के मामले को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र नेता जानिब हसन का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी से सरकार की दमनकारी नीति का खुलासा होता है। उन्होंने कहा कि जो जुल्म के खिलाफ आवाज उठाएगा, उस पर अत्याचार किया जाएगा। छात्र नेता ने कहा कि सरकार लोगों को दबाने और डराने का काम कर रही है। अगर वह नहीं डर रहे हैं तो उन्हें जेल में डालने का काम किया जा रहा है। छात्र नेता जानिब हसन ने कहा कि इस मुद्दे पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र शांत नहीं बैठेंगे। एएमयू का छात्र खामोश नहीं बैठेगा। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत विरोध दर्ज कर अपनी बात उठाई जाएगी।
उधर, सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सेतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की गिरफ्तारी के विरोध में इलाहाबाद नागरिक समाज के सदस्यों ने भी सिविल लाइंस धरना स्थल पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान वक्ताओं ने दोनों को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग उठाई।
वक्ताओं ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने का अभियान चलाने वाली तीस्ता और आरबी श्रीकुमार के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की गई है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि इन लोगों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। यही कारण है कि इन पर कार्रवाई की जा रही है। धरने में आनंद मालवीय, राजवेंद्र सिंह, एम सईद, स्मृति कार्तिकेय, नौशाद खां, सबीहा मोहानी, खुशनुमा, उत्तपला शुक्ला, गायत्री गांगुली, सिद्धेश्वर मिश्र, सरताज सिद्दीकी आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अधिवक्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट रवि किरण जैन ने की। संचालन डॉ. कमल उसरी ने किया।
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तीस्ता सेतलवाड़ को विरासत में मिले हैं हिम्मत और साहस
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रों ने सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी का विरोध किया है। छात्र जल्द ही सड़क पर उतरकर तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई को लेकर प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि तीस्ता सेतलवाड़ का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लगाव रहा है और वह कई बार एएमयू के कार्यक्रम में भी भाग ले चुकी हैं। वहीं अब एएमयू छात्र तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी को लेकर आक्रोशित हैं। छात्र नेताओं ने कहा कि तीस्ता सेतलवाड़ हमेशा कमजोरों के साथ खड़ी रही हैं, लेकिन आज सरकार उन्हीं पर अत्याचार कर रही है। हम चुप नहीं बैठेंगे।
तीस्ता सेतलवाड़ सोशल एक्टिविस्ट हैं और करीब तीन दशक से गरीब और मजलूमों की आवाज बनी हैं। तीस्ता को गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी के बाद गिरफ्तार किया गया है। तीस्ता कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर उनकी मदद कर रही थीं।
'सरकार लोगों को दबाने और डराने का काम कर रही'
राजस्थान पत्रिका की खबर के अनुसार, तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी के मामले को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र नेता जानिब हसन का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी से सरकार की दमनकारी नीति का खुलासा होता है। उन्होंने कहा कि जो जुल्म के खिलाफ आवाज उठाएगा, उस पर अत्याचार किया जाएगा। छात्र नेता ने कहा कि सरकार लोगों को दबाने और डराने का काम कर रही है। अगर वह नहीं डर रहे हैं तो उन्हें जेल में डालने का काम किया जा रहा है। छात्र नेता जानिब हसन ने कहा कि इस मुद्दे पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र शांत नहीं बैठेंगे। एएमयू का छात्र खामोश नहीं बैठेगा। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत विरोध दर्ज कर अपनी बात उठाई जाएगी।
उधर, सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सेतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की गिरफ्तारी के विरोध में इलाहाबाद नागरिक समाज के सदस्यों ने भी सिविल लाइंस धरना स्थल पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान वक्ताओं ने दोनों को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग उठाई।
वक्ताओं ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने का अभियान चलाने वाली तीस्ता और आरबी श्रीकुमार के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की गई है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि इन लोगों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। यही कारण है कि इन पर कार्रवाई की जा रही है। धरने में आनंद मालवीय, राजवेंद्र सिंह, एम सईद, स्मृति कार्तिकेय, नौशाद खां, सबीहा मोहानी, खुशनुमा, उत्तपला शुक्ला, गायत्री गांगुली, सिद्धेश्वर मिश्र, सरताज सिद्दीकी आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अधिवक्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट रवि किरण जैन ने की। संचालन डॉ. कमल उसरी ने किया।
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