अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में साल 2018 से अब तक यानी पिछले 5 साल से कोई छात्र संघ नहीं है। इसी को लेकर यूनिवर्सिटी के छात्र 29 सितंबर से दिन-रात धरने पर हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगभग पिछले 10 दिनों से विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर यूनिवर्सिटी के छात्र लगातार धरने पर हैं। मूल रूप से छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव कराए जाएं।
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में साल 2018 से अब तक यानी पिछले 5 साल से कोई छात्र संघ नहीं है। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं जिनमें से एक कोरोना काल भी है। महामारी के जाने के बाद भी काफी लंबे समय तक तमाम चीज़ें पटरी पर नहीं आई थीं, धीरे-धीरे थोड़ी-बहुत चीज़ें संभलनी शुरू हुई थी और इसी के साथ देश भर में विश्वविद्यालयों में बाक़ी एक्टिविटीज़ शुरू हो गईं लेकिन इन सब के बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अब तक छात्र संघ के चुनाव नहीं हुए जिसको लेकर यूनिवर्सिटी के छात्र, विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर 29 सितंबर से लगातार दिन-रात धरने पर हैं।
छात्रों का कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उन्हें छात्र संघ चुनाव की कोई तारीख नहीं मिल जाती तब तक वह इसी तरह धरने पर बैठे रहेंगे। हमने प्रदर्शन कर रहे छात्रों से बात करने की कोशिश की तो विश्वविद्यालय से एमबीए अंतिम वर्ष के छात्र आतिफ़ अहमद ने हमें बताया कि "हम (छात्र) यहां लगातार पिछले 10 दिनों से 24 घंटे इस धरने पर बैठे हुए हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हमारी मांग अब तक पूरी नहीं की गई है और जब तक हमारी यह मांग पूरी नहीं होती हम ऐसे ही यहां बैठे रहेंगे।"
केमिस्ट्री विभाग के छात्र नवेद चौधरी विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए निराशा जताते हुए बताते हैं कि "जब यह धरना शुरू हुआ तो इसके शुरू होने के लगभग 7 दिन तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई भी हमसे मिलने तक नहीं आया जोकि बहुत अफ़सोस की बात है। इसी बीच जब छात्रों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल यूनिवर्सिटी के कार्यकारी वाइस-चांसलर प्रोफ़ेसर मुहम्मद गुलरेज़ से इस मामले में मिलने पहुंचा तो उन्होंने हमें कहा कि वह हमारी तकलीफ़ को समझ रहे हैं और इस मामले पर ग़ौर भी कर रहे हैं लेकिन उन्होंने हमसे यह भी कहा कि यह सब करने में अभी काफ़ी वक्त लगेगा और इस समय हालात ख़राब हैं पहले उन्हें दुरुस्त करना होगा, उसके बाद हम छात्र संघ चुनावों के बारे में भी सोचेंगे।"
नवेद चौधरी आगे कहते हैं कि "हमें नहीं लगता कि प्रशासन इस मामले को लेकर संजीदा है क्योंकि अगर वह इस बारे में सोच रहे होते तो अब तक कोई न कोई जवाब आ जाता और छात्र इस तरह दिनों-रात धरने पर न बैठे होते, हमें भी परेशानी होती है, हमें भी धूप लगती है, हमें भी मच्छर काटते हैं, हमें भी सांप के डस का ख़तरा सताता है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन आश्वासन के सिवा अब तक कुछ न दे सका।"
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर प्रोफ़ेसर तारिक़ मंसूर हुआ करते थे जो इस साल के शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के रूप में मनोनीत हुए जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर पद से इस्तीफ़ा दे दिया और उनके बाद से अब तक प्रोफ़ेसर मुहम्मद गुलरेज़ कार्यकारी वाइस-चांसलर के रूप में विश्वविद्यालय का इंतज़ाम संभाले हुए हैं।
छात्रों का यह प्रदर्शन यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर जारी है जिसके कारण मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया है, वहां पर बैरीकेडिंग कर दी गई है जिससे आने-जाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जब छात्रों से इस पर सवाल किया गया तो उसके जवाब में एक छात्र मुहम्मद आरिज़ ने बताया कि "हम मानते हैं आने-जाने वालों को बेशक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन आए दिन विश्वविद्यालय में जिन समस्याओं से छात्र जूझ रहे हैं वे इससे कई ज़्यादा हैं। छात्र संघ हमारा अधिकार है न कि दान, और अधिकारों को हमेशा लड़कर ही लिया जाता है।"
आरिज़ आगे कहते हैं "पिछले 5 सालों से यूनियन हॉल खाली पड़ा है, इस वक्त विश्वविद्यालय में छात्र संघ की सख़्त ज़रुरत है, छात्र संघ विश्वविद्यालय में छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन की बीज एक अहम कड़ी है। इन दिनों विश्वविद्यालय में छात्रों के हित के कई सारे मुद्दे हैं, फ़िर चाहे PhD के एडमिशन में देरी की बात हो या फ़िर एकेडमिक सेशन के फ़ॉर्म का मसला हो या फ़िर हॉस्टल में डाइनिंग का मामला हो, इसी प्रकार से विभिन्न विभागों में विभिन्न समस्याएं हैं और छात्रों की समस्याओं को विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंचाने का काम छात्र संघ आसानी से कर सकता है और छात्रों के मुद्दे बहुत मजबूती से उठा सकता है लेकिन छात्र संघ न होने के कारण ये मुद्दे दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और कोई समाधान दिखाई नहीं पड़ रहा है जिसके कारण आम छात्र परेशान हैं और विश्वविद्यालय की स्थिति भी ख़राब होती जा रही है।"
जब इस मामले में हमने विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो हमारी बात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोक्टर प्रोफ़ेसर वसीम अली से हुई। वे बताते हैं कि "पिछले 5 सालों में न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया एक बड़ी महामारी से उभरी है जिसके कारण यूनिवर्सिटी की गतिविधियां को पटरी पर लाते-लाते काफ़ी समय लग गया। इन दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन की कई दूसरी प्राथमिकताएं हैं, PhD जैसे कुछ महत्वपूर्ण कोर्सेज़ के दाखिले होने में भी निलंबन हो गया है। इसके अलावा और भी कई ज़िम्मेदारियां हैं जिन्हें जल्द पूरा करना समय की मांग है। और रही बात छात्र संघ चुनाव की तो यह हमारे लिए एक ज़रूरी विषय है और हम इस पर विचार भी कर रहे हैं लेकिन दूसरी प्राथमिकताएं इस समय ज़्यादा ज़रूरी है। जैसे हर चीज़ का अपना समय होता है उसी तरह उचित समय आते ही हम इस मामले पर भी जल्द ही कोई निर्णय लेंगे लेकिन फ़िलहाल छात्र संघ चुनाव के लिए कोई तारीख़ देना मुमकिन नहीं है।"
(उवैस सिद्दीकी़ एक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगभग पिछले 10 दिनों से विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर यूनिवर्सिटी के छात्र लगातार धरने पर हैं। मूल रूप से छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव कराए जाएं।
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में साल 2018 से अब तक यानी पिछले 5 साल से कोई छात्र संघ नहीं है। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं जिनमें से एक कोरोना काल भी है। महामारी के जाने के बाद भी काफी लंबे समय तक तमाम चीज़ें पटरी पर नहीं आई थीं, धीरे-धीरे थोड़ी-बहुत चीज़ें संभलनी शुरू हुई थी और इसी के साथ देश भर में विश्वविद्यालयों में बाक़ी एक्टिविटीज़ शुरू हो गईं लेकिन इन सब के बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अब तक छात्र संघ के चुनाव नहीं हुए जिसको लेकर यूनिवर्सिटी के छात्र, विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर 29 सितंबर से लगातार दिन-रात धरने पर हैं।
छात्रों का कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उन्हें छात्र संघ चुनाव की कोई तारीख नहीं मिल जाती तब तक वह इसी तरह धरने पर बैठे रहेंगे। हमने प्रदर्शन कर रहे छात्रों से बात करने की कोशिश की तो विश्वविद्यालय से एमबीए अंतिम वर्ष के छात्र आतिफ़ अहमद ने हमें बताया कि "हम (छात्र) यहां लगातार पिछले 10 दिनों से 24 घंटे इस धरने पर बैठे हुए हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हमारी मांग अब तक पूरी नहीं की गई है और जब तक हमारी यह मांग पूरी नहीं होती हम ऐसे ही यहां बैठे रहेंगे।"
केमिस्ट्री विभाग के छात्र नवेद चौधरी विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए निराशा जताते हुए बताते हैं कि "जब यह धरना शुरू हुआ तो इसके शुरू होने के लगभग 7 दिन तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई भी हमसे मिलने तक नहीं आया जोकि बहुत अफ़सोस की बात है। इसी बीच जब छात्रों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल यूनिवर्सिटी के कार्यकारी वाइस-चांसलर प्रोफ़ेसर मुहम्मद गुलरेज़ से इस मामले में मिलने पहुंचा तो उन्होंने हमें कहा कि वह हमारी तकलीफ़ को समझ रहे हैं और इस मामले पर ग़ौर भी कर रहे हैं लेकिन उन्होंने हमसे यह भी कहा कि यह सब करने में अभी काफ़ी वक्त लगेगा और इस समय हालात ख़राब हैं पहले उन्हें दुरुस्त करना होगा, उसके बाद हम छात्र संघ चुनावों के बारे में भी सोचेंगे।"
नवेद चौधरी आगे कहते हैं कि "हमें नहीं लगता कि प्रशासन इस मामले को लेकर संजीदा है क्योंकि अगर वह इस बारे में सोच रहे होते तो अब तक कोई न कोई जवाब आ जाता और छात्र इस तरह दिनों-रात धरने पर न बैठे होते, हमें भी परेशानी होती है, हमें भी धूप लगती है, हमें भी मच्छर काटते हैं, हमें भी सांप के डस का ख़तरा सताता है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन आश्वासन के सिवा अब तक कुछ न दे सका।"
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर प्रोफ़ेसर तारिक़ मंसूर हुआ करते थे जो इस साल के शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के रूप में मनोनीत हुए जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर पद से इस्तीफ़ा दे दिया और उनके बाद से अब तक प्रोफ़ेसर मुहम्मद गुलरेज़ कार्यकारी वाइस-चांसलर के रूप में विश्वविद्यालय का इंतज़ाम संभाले हुए हैं।
छात्रों का यह प्रदर्शन यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर जारी है जिसके कारण मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया है, वहां पर बैरीकेडिंग कर दी गई है जिससे आने-जाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जब छात्रों से इस पर सवाल किया गया तो उसके जवाब में एक छात्र मुहम्मद आरिज़ ने बताया कि "हम मानते हैं आने-जाने वालों को बेशक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन आए दिन विश्वविद्यालय में जिन समस्याओं से छात्र जूझ रहे हैं वे इससे कई ज़्यादा हैं। छात्र संघ हमारा अधिकार है न कि दान, और अधिकारों को हमेशा लड़कर ही लिया जाता है।"
आरिज़ आगे कहते हैं "पिछले 5 सालों से यूनियन हॉल खाली पड़ा है, इस वक्त विश्वविद्यालय में छात्र संघ की सख़्त ज़रुरत है, छात्र संघ विश्वविद्यालय में छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन की बीज एक अहम कड़ी है। इन दिनों विश्वविद्यालय में छात्रों के हित के कई सारे मुद्दे हैं, फ़िर चाहे PhD के एडमिशन में देरी की बात हो या फ़िर एकेडमिक सेशन के फ़ॉर्म का मसला हो या फ़िर हॉस्टल में डाइनिंग का मामला हो, इसी प्रकार से विभिन्न विभागों में विभिन्न समस्याएं हैं और छात्रों की समस्याओं को विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंचाने का काम छात्र संघ आसानी से कर सकता है और छात्रों के मुद्दे बहुत मजबूती से उठा सकता है लेकिन छात्र संघ न होने के कारण ये मुद्दे दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और कोई समाधान दिखाई नहीं पड़ रहा है जिसके कारण आम छात्र परेशान हैं और विश्वविद्यालय की स्थिति भी ख़राब होती जा रही है।"
जब इस मामले में हमने विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो हमारी बात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोक्टर प्रोफ़ेसर वसीम अली से हुई। वे बताते हैं कि "पिछले 5 सालों में न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया एक बड़ी महामारी से उभरी है जिसके कारण यूनिवर्सिटी की गतिविधियां को पटरी पर लाते-लाते काफ़ी समय लग गया। इन दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन की कई दूसरी प्राथमिकताएं हैं, PhD जैसे कुछ महत्वपूर्ण कोर्सेज़ के दाखिले होने में भी निलंबन हो गया है। इसके अलावा और भी कई ज़िम्मेदारियां हैं जिन्हें जल्द पूरा करना समय की मांग है। और रही बात छात्र संघ चुनाव की तो यह हमारे लिए एक ज़रूरी विषय है और हम इस पर विचार भी कर रहे हैं लेकिन दूसरी प्राथमिकताएं इस समय ज़्यादा ज़रूरी है। जैसे हर चीज़ का अपना समय होता है उसी तरह उचित समय आते ही हम इस मामले पर भी जल्द ही कोई निर्णय लेंगे लेकिन फ़िलहाल छात्र संघ चुनाव के लिए कोई तारीख़ देना मुमकिन नहीं है।"
(उवैस सिद्दीकी़ एक स्वतंत्र पत्रकार हैं)