उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों का नामांकन एससी-एसटी से भी कम, यूपी में स्थिति सबसे ख़राब: AISHE रिपोर्ट

Written by Navnish Kumar | Published on: June 2, 2023
"कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने अमेरिका दौरे में कहा है कि भारत में मुस्लिमों की स्थिति 1980 के दशक के दलितों के जैसे हो गई है। कुछ इसी तरह की बात एक रिपोर्ट में भी सामने आई है जिसके अनुसार, उच्च शिक्षा में मुस्लिमों छात्रों का प्रतिनिधित्व कम होता जा रहा है।"



ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन से पता चला है कि उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा। यहां 36 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं केरल में 43 प्रतिशत मुसलमानों ने उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराया है। 'द हिंदू' के हवाले से 'द वायर' में छपी रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नामांकन में क्रमश: 4.2 प्रतिशत, 11.9 प्रतिशत और 4 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जबकि मुस्लिम समुदाय के नामांकन में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (AISHE सर्वे) 2020-21 में यह जानकारी सामने आई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अभूतपूर्व गिरावट आंशिक रूप से कोविड-19 महामारी के कारण समुदाय की सापेक्ष आर्थिक दरिद्रता की ओर इशारा करती है, जो इसके प्रतिभाशाली छात्रों को स्नातक स्तर पर उच्च शिक्षा शुरू करने के बजाय रोजगार पाने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मजबूर करती है। 

यही नहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, जहां मुसलमानों की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है, ने 36 प्रतिशत की गिरावट के साथ सबसे खराब प्रदर्शन किया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में 26 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 8.5 प्रतिशत और तमिलनाडु में 8.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। द हिंदू के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी में मुसलमानों की नामांकन दर मात्र 4.5 प्रतिशत है, हालांकि राज्य ने वर्ष के दौरान कॉलेजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हर पांचवां मुस्लिम छात्र राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन करने में विफल रहा, जो आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली में शिक्षा में सुधार के बारे में की जा रहीं बातों पर सवाल उठाता है। केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां मुसलमान शिक्षा के मामले में सबसे निचले पायदान पर नहीं हैं। यहां 43 प्रतिशत मुसलमानों ने उच्च शिक्षा के लिए अपना नामांकन कराया है।

उच्च शिक्षा के संस्थानों में मुस्लिम शिक्षकों की गैरमौजूदगी मुस्लिम छात्रों की अनुपस्थिति को प्रतिबिंबित करती है। राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य श्रेणी के शिक्षक कुल शिक्षकों का 56 प्रतिशत है। वहीं ओबीसी, एससी और एसटी शिक्षक क्रमश: 32 प्रतिशत, 9 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत शिक्षक हैं। इस कड़ी में मुस्लिम समुदाय केवल 5.6 फीसदी शिक्षक हैं। यह सर्वे ओबीसी समुदाय की एक उज्ज्वल तस्वीर प्रस्तुत करता है, जो देश में उच्च शिक्षा में कुल नामांकन का 36 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जाति का हिस्सा 14 प्रतिशत है। दोनों समुदाय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लगभग 50 प्रतिशत सीटों को कवर करते हैं।

खास यह भी है कि उच्च शिक्षा में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व की भारी कमी के बावजूद कर्नाटक की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले मुसलमानों को दिए जा रहे 4 प्रतिशत आरक्षण को खत्म कर दिया था।

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