कृषि कानून फिर से लाने पर कांग्रेस ने घेरा तो कृषि मंत्री ने दी सफाई, फिर शुरू हो सकता है किसान आंदोलन

Written by Navnish Kumar | Published on: December 27, 2021
कृषि कानूनों को फिर से लेकर आने के बयान पर कांग्रेस ने घेरा तो कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सफाई देते नजर आए। उधर, वादों पर धीमे अमल को लेकर भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार ने वादों पर तेजी से अमल नहीं किया तो किसान आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है। दरअसल नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि कृषि कानूनों पर हमने एक कदम पीछे खींचा है, लेकिन हम फिर से आगे बढ़ेंगे।



25 दिसंबर को कृषि कानूनों को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बयान कि 'सरकार एक कदम पीछे गई है, हम फिर आगे बढ़ेंगे' पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। कृषि मंत्री के बयान पर हमला करते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार दोबारा कृषि कानून लाने की साजिश कर रही है। हालांकि कांग्रेस का इतना कहना था कि कृषि मंत्री तोमर सफाई देते नजर आए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दोबारा कृषि कानून नहीं लाने जा रही है। उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया है। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तोमर के बयान पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ''देश के कृषि मंत्री ने मोदी जी की माफ़ी का अपमान किया है। ये बेहद निंदनीय है। अगर फिर से कृषि व किसान विरोधी कदम आगे बढ़ाए तो फिर से अन्नदाता सत्याग्रह होगा। पहले भी अहंकार को हराया था, फिर हरायेंगे।'' 

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि खेत खलिहान के खिलाफ मोदी सरकार का षड्यंत्र और रची गई साजिश आखिरकार उजागर हो ही गई। काले कानून वापस लाने के मोदी जी के इशारे पर किए जा रहे षड्यंत्र का जबाब खुद प्रधानमंत्री को देना चाहिए और फिर रची जा रही इस साजिश के लिए अन्नदाताओं से माफी मांगनी चाहिए। उधर, कानूनों पर फिर से आगे बढ़ने के बयान के बारे में पूछे जाने पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सफाई दी है। उन्होंने कहा मैंने कृषि कानून वापस लाए जाने की बात नहीं कही है। उन्होंने कहा, ''मैंने कहा था कि सरकार ने एक अच्छा कृषि कानून बनाया था। हमने किसी वजह से उसे वापस लिया। सरकार किसानों के हित के लिए काम करती रहेगी।'' खास है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने का ऐलान किया और देश से माफी मांगी थी। संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों कानूनों को वापस लेने पर लोकसभा और राज्यसभा ने मुहर भी लगा दी थी।

उधर वादों पर धीमे अमल से किसान नेता राकेश टिकैत भी सरकार से खफा दिखे। उन्होंने कहा कि सरकार हमारे वादों पर बहुत धीमी गति से काम कर रही है। अगर हमारे वादे पूरे नहीं किए गए तो किसान दोबारा से आंदोलन कर सकते हैं। भाकियू नेता  टिकैत ने कहा है कि सरकार ने अभी सिर्फ तीनों कृषि कानून ही वापस लिए हैं। बाकी मांगे पूरी नहीं हुई है। अगर वादे पूरे नहीं किए गए तो आंदोलन दोबारा से हो सकता है।

शनिवार को जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अभी सिर्फ तीनों कृषि कानून वापस लिए हैं। उन्होंने एमएसपी पर कानून नहीं बनाया है। सरकार ने कमेटी बनाने की बात जरूर कही है लेकिन सरकार बहुत धीमी गति से काम कर रही है। अगर हमारे वादे पूरे नहीं किए गए तो जल्दी ही किसान दोबारा से आंदोलन कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी को लेकर कहा कि लोगों को उनसे सावधान रहना चाहिए। वे भाजपा से भी ज्यादा खतरनाक हैं। साथ ही उन्होंने आगामी उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि उत्तरप्रदेश का किसान उनको फायदा पहुंचाने वाले राजनीतिक दल को ही वोट करेगा।

पंजाब के 22 किसान संगठनों ने चुनाव लड़ने के फैसले पर टिकैत ने कहा कि इस बाबत संयुक्त किसान मोर्चा ही कोई निर्णय लेगा। खास है कि पंजाब में 22 किसान संगठनों ने मिलकर एक पार्टी बनाई है जिसका नाम संयुक्त समाज मोर्चा रखा गया है। इस पार्टी का नेतृत्व किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल करेंगे। ये पार्टी पंजाब विधानसभा के सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी बनाने के फैसले पर राजेवाल ने कहा कि यह निर्णय पंजाब के लोगों की मांग और भारी दबाव के बाद लिया गया है। किसान संगठनों द्वारा बनाई गई पार्टी में तीन और किसान संगठनों के शामिल होने की चर्चा है। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े कई किसान संगठनों ने चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है। इसमें कीर्ति किसान संघ, क्रांतिकारी किसान संघ, बीकेयू-क्रांतिकारी, दोआबा संघर्ष समिति, बीकेयू-सिद्धूपुर, बीकेयू-उग्राहां, बीकेयू-अराजनैतिक, किसान संघर्ष समिति और जय किसान आंदोलन शामिल है। 

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इसे लेकर स्पष्ट कहा है कि उनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। चुनाव लड़ने वाले नेता मोर्चा में शामिल रहेंगे या नहीं, इसका फैसला 15 जनवरी को होने वाले मीटिंग में लिया जाएगा।

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