यूपी: अस्पताल का लोकार्पण तो हुआ, लेकिन डॉक्टरों की तैनाती न होने से मरीजों का इलाज नहीं हो रहा

Written by sabrang india | Published on: September 25, 2024
यह अस्पताल 249.52 लाख रुपये की लागत से बना है, और खोड़ा की लगभग 10 लाख की आबादी इसे शुरू होने का इंतजार कर रही है। स्वास्थ्य विभाग ने शासन को डॉक्टरों की मांग का प्रस्ताव भेजा है


फोटो साभार : जागरण

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के खोड़ा इलाके में हाल ही में बने अस्पताल का लोकार्पण हो गया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसमें डॉक्टरों की तैनाती नहीं की है। 18 सितंबर को अस्पताल का उद्घाटन हुआ, लेकिन उस दिन डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो सकी, जिससे मरीजों का इलाज शुरू नहीं हो पाया।

जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, यह अस्पताल 249.52 लाख रुपये की लागत से बना है, और खोड़ा की लगभग 10 लाख की आबादी इसे शुरू होने का इंतजार कर रही है। स्वास्थ्य विभाग ने शासन को डॉक्टरों की मांग का प्रस्ताव भेजा है, क्योंकि क्षेत्र में एक भी अस्पताल नहीं होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए जिला एमएजी अस्पताल या संजय नगर स्थित संयुक्त अस्पताल जाना पड़ता है।

खोड़ा के लोग काफी समय से अस्पताल की मांग कर रहे थे। अस्पताल का निर्माण मार्च 2023 में शुरू हुआ और पिछले महीने इसका काम पूरा हो गया। हालांकि, डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की तैनाती की कमी के कारण अस्पताल अभी तक चालू नहीं हो सका।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें 20 डॉक्टर, दो फार्मासिस्ट, 8 नर्स, आईटी समेत अन्य 15 कर्मचारियों की मांग की गई है, ताकि अस्पताल को जल्द से जल्द शुरू किया जा सके।

जिले के अन्य अस्पतालों में भी डॉक्टरों की कमी है। पहले से चल रहे जिला अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में गंभीर बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों का उपचार नहीं हो पा रहा है। जिले में चार जिला स्तरीय अस्पताल, पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 15 एडिशनल पीएचसी, 53 शहरी पीएचसी और एक ब्लॉक स्तरीय पीएचसी पर 100 से ज्यादा डॉक्टरों की कमी है, जबकि कुल 360 से अधिक पद स्वीकृत हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश सरकार ने कई अस्पताल खोले हैं, लेकिन इन अस्पतालों के लिए पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों का इंतजाम नहीं हो सका। नई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) तक सिर्फ इसलिए शुरू नहीं किए जा रहे हैं क्योंकि डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। इन अस्पतालों की इमारतों पर 50 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

इससे भी गंभीर बात यह है कि चल रहे अस्पतालों में भी गंभीर बीमारियों के मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा, क्योंकि विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो सकी है। जिले में सीएमओ के अधीन नियमित डॉक्टरों के 112 पदों के मुकाबले 102 की तैनाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत संविदा डॉक्टरों के 144 पद हैं, लेकिन तैनाती केवल 118 की है। संयुक्त अस्पताल में 42 स्वीकृत पद हैं, लेकिन तैनाती 24 की है, जबकि एमएमजी अस्पताल में 42 स्वीकृत पद हैं, लेकिन तैनाती 27 की है। जिला महिला अस्पताल में 24 पद हैं, लेकिन केवल 8 डॉक्टरों की तैनाती है।

रिपोर्ट के अनुसार, डूडाहेड़ा में 50 बेड का अस्पताल बनकर तैयार है, लेकिन डॉक्टर न मिलने के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सका है। इसी तरह बम्हेटा सीएचसी पर भी डॉक्टर नहीं हैं। लोनी का संयुक्त अस्पताल चल रहा है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने के कारण यह भी प्रभावी नहीं है। जिले में 83 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी ठीक से कार्य नहीं कर पा रहे, जिनमें 22 डॉक्टरों की कमी है।

डॉक्टरों की मांग: 

मैटरनिटी के लिए दो डॉक्टरों, संयुक्त अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के लिए चार डॉक्टरों और एनसीडी विंग के लिए चार डॉक्टरों की मांग की गई है।

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