छह पूर्व सैन्य अफसरों और पूर्व नौकरशाहों अनुच्छेद-370 को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 17, 2019
जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन बिल और आर्टिकल 370 पर सरकार के फैसले को छह पूर्व सैन्य अफसरों और पूर्व नौकरशाहों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं में पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक और रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक मेहता शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन बिल को असंवैधानिक बताया है।



द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं में जम्मू-कश्मीर के लिए गृह मंत्रालय के इंटरलोक्यूटर्स ग्रुप के एक पूर्व सदस्य राधा कुमार, जम्मू-कश्मीर के पूर्व चीफ सेक्रेटरी हिंडल हैदर तैयबजी, रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल कपिल काक और रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक कुमार मेहता शामिल हैं। मेहता उरी सेक्टर में तैनात रह चुके हैं। इसके अलावा वह 1965 और 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लड़ चुके हैं।

इसके अलावा याचिकाकर्ताओं में पंजाब काडर के पूर्व आईएएस अभिताभ पांडे और केरल काडर के पूर्व आईएएस गोपाल पिल्लई भी शामिल हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीते 7 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म करने के प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इसकी घोषणा की थी।

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया, “समय-समय पर बिना रूप बदले और अपवादों के संशोधित किए गए भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू - कश्मीर राज्य पर लागू होंगे, चाहे वे संविधान के आर्टिकल 152 या आर्टिकल 308 या जम्मू-कश्मीर के संविधान के किसी अन्य प्रावधान, या कानून, दस्तावेज, फैसला, अध्यादेश, आदेश, उपनियम, शासन, अधिनियम, अधिसूचना, रिवाज या भारतीय क्षेत्र में कानून या कोई अन्य साधन, संधि या अनुच्छेद 370 के अंतर्गत समझौता या अन्य तरह से दिया गया हो।”

आर्टिकल 370 के कारण जम्मू - कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। आर्टिकल 370 और अनुच्छेद 35ए संयुक्त रूप से स्पष्ट करते थे कि राज्य के निवासी भारत के अन्य राज्यों के नागरिकों से अलग कानून में रहते हैं। इन नियमों में नागरिकता, संपत्ति का मालिकाना हक और मूल कर्तव्य थे। इस अनुच्छेद के कारण देश के अन्य राज्यों के नागरिकों के जम्मू एवं कश्मीर में संपत्ति खरीदने पर प्रतिबंध था।

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