राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा किताबें मंगवाने के पीछे की वजह सामने आने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है।
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
राजस्थान सरकार ने उन किताबों को अब वापस मंगा लिया है जिनमें गुजरात दंगों का जिक्र किया गया था। किताब वापस मंगाने की वजह पहले कुछ और बताई गई थी। लेकिन अब जो दूसरी वजह सामने आई, उससे राजनीतिक में सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
पहली वजह में किताबों में कुछ तकनीकी खामियां बताई गई थी जिन्हें दुरूस्त करने की बात कही गई थी और कहा गया था कि इसके बाद ही यह पठनीय होगी।
आईएएनएस के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार किताबों की प्रिंटिंग क्वालिटी खराब बताई गई थी, कुछ पन्नों में हेरफेर होने की बात कही गई थी। कहा गया था कि ऐसा होने से बच्चों को पढ़ने में दिक्कत हो सकती है।
इसी को देखते हुए यह किताबें मंगवाई गई है। लेकिन, इसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने किताबें मंगवाने के पीछे की जो वजह बताई, उससे राजनीतिक भूचाल आ गया है।
मंत्री मदन दिलावर ने अपने बयान में कहा कि इन किताबों में गोधरा कांड के हत्यारों का महिमामंडन किया गया है। गोधरा कांड के संबंध में किताबों में गलत जानकारी दी गई है। ऐसा करके बच्चों को गुमराह किया जा रहा है। इसी को देखते हुए यह किताब वापस मंगाई गई है। इन किताबों में यह बताया गया है कि गोधरा कांड में ट्रेन जलाने वाले हिंदू थे, यही नहीं उन्हें अपराधी भी कहा गया है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि गुजरात की तत्कालीन सरकार ने इस संबंध में गलत जानकारी दी है। वहीं, अब इस मामले के कई पहलू निकलकर सामने आ रहे हैं।
इसके अलावा, मदन दिलावर ने पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर अपने कार्यकाल के दौरान इस किताब के प्रकाशन की मंजूरी देने की बात कही है, जिस पर डोटासरा की प्रतिक्रिया भी सामने आई।
उन्होंने दिलावर के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि दिलावर द्वारा लगाया जा रहा आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है, जिसमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, वापस मंगाई गई किताबों में 'जीवन की बहार', 'चिट्टी एक कुत्ता और उसका जंगल फार्म' और 'अदृश्य लोग - आशा और साहस की कहानी' शामिल हैं। इनका इस्तेमाल कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए किया जा रहा था। राज्य सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों से सरकारी स्कूलों से सभी प्रतियां वापस लेने को कहा है।
वापस मंगाई गई किताबों में से एक, 'अदृश्य लोग - आशा और साहस की कहानी' सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा लिखी गई थी, जो एमपी-छत्तीसगढ़ कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी थे। वे वर्तमान में एक एनजीओ से जुड़े हैं और 2002 में गुजरात दंगों के बाद सेवानिवृत्त हो गए थे।
इस पुस्तक में मंदर ने अपने अनुभवों का वर्णन किया कि गोधरा में ट्रेन पर हमला एक "आतंकवादी साजिश" थी और कैसे घटना के बाद मुसलमानों को निशाना बनाया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया। यह दावा किया गया है कि कई बच्चे अभी भी लापता हैं, जबकि अन्य धर्मों से संबंधित लोग सताए जाने के डर से अपनी पहचान छिपाकर रह रहे हैं।
हाल ही में विदेशी डोनेशन कानून के उल्लंघन के आरोपों पर मंदर के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे।
ज्ञात हो कि 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस से अयोध्या से लौट रहे श्रद्धालुओं के एस6 कोच में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद राज्य में व्यापक हिंसा और सांप्रदायिक झड़पें हुईं जिसमें 1,044 लोगों की जान चली गई।
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
राजस्थान सरकार ने उन किताबों को अब वापस मंगा लिया है जिनमें गुजरात दंगों का जिक्र किया गया था। किताब वापस मंगाने की वजह पहले कुछ और बताई गई थी। लेकिन अब जो दूसरी वजह सामने आई, उससे राजनीतिक में सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
पहली वजह में किताबों में कुछ तकनीकी खामियां बताई गई थी जिन्हें दुरूस्त करने की बात कही गई थी और कहा गया था कि इसके बाद ही यह पठनीय होगी।
आईएएनएस के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार किताबों की प्रिंटिंग क्वालिटी खराब बताई गई थी, कुछ पन्नों में हेरफेर होने की बात कही गई थी। कहा गया था कि ऐसा होने से बच्चों को पढ़ने में दिक्कत हो सकती है।
इसी को देखते हुए यह किताबें मंगवाई गई है। लेकिन, इसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने किताबें मंगवाने के पीछे की जो वजह बताई, उससे राजनीतिक भूचाल आ गया है।
मंत्री मदन दिलावर ने अपने बयान में कहा कि इन किताबों में गोधरा कांड के हत्यारों का महिमामंडन किया गया है। गोधरा कांड के संबंध में किताबों में गलत जानकारी दी गई है। ऐसा करके बच्चों को गुमराह किया जा रहा है। इसी को देखते हुए यह किताब वापस मंगाई गई है। इन किताबों में यह बताया गया है कि गोधरा कांड में ट्रेन जलाने वाले हिंदू थे, यही नहीं उन्हें अपराधी भी कहा गया है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि गुजरात की तत्कालीन सरकार ने इस संबंध में गलत जानकारी दी है। वहीं, अब इस मामले के कई पहलू निकलकर सामने आ रहे हैं।
इसके अलावा, मदन दिलावर ने पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर अपने कार्यकाल के दौरान इस किताब के प्रकाशन की मंजूरी देने की बात कही है, जिस पर डोटासरा की प्रतिक्रिया भी सामने आई।
उन्होंने दिलावर के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि दिलावर द्वारा लगाया जा रहा आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है, जिसमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, वापस मंगाई गई किताबों में 'जीवन की बहार', 'चिट्टी एक कुत्ता और उसका जंगल फार्म' और 'अदृश्य लोग - आशा और साहस की कहानी' शामिल हैं। इनका इस्तेमाल कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए किया जा रहा था। राज्य सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों से सरकारी स्कूलों से सभी प्रतियां वापस लेने को कहा है।
वापस मंगाई गई किताबों में से एक, 'अदृश्य लोग - आशा और साहस की कहानी' सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा लिखी गई थी, जो एमपी-छत्तीसगढ़ कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी थे। वे वर्तमान में एक एनजीओ से जुड़े हैं और 2002 में गुजरात दंगों के बाद सेवानिवृत्त हो गए थे।
इस पुस्तक में मंदर ने अपने अनुभवों का वर्णन किया कि गोधरा में ट्रेन पर हमला एक "आतंकवादी साजिश" थी और कैसे घटना के बाद मुसलमानों को निशाना बनाया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया। यह दावा किया गया है कि कई बच्चे अभी भी लापता हैं, जबकि अन्य धर्मों से संबंधित लोग सताए जाने के डर से अपनी पहचान छिपाकर रह रहे हैं।
हाल ही में विदेशी डोनेशन कानून के उल्लंघन के आरोपों पर मंदर के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे।
ज्ञात हो कि 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस से अयोध्या से लौट रहे श्रद्धालुओं के एस6 कोच में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद राज्य में व्यापक हिंसा और सांप्रदायिक झड़पें हुईं जिसमें 1,044 लोगों की जान चली गई।