मध्यप्रदेश में बलात्कारों की बढ़ती घटनाओं को लेकर अब हाईकोर्ट ने भी चिंता और नाराजगी जताई है। इंदौर हाईकोर्ट ने मंदसौर गैंगरेप के आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में हालात खतरनाक हैं और ऐसा लगता है, जैसे अपराधियों को कानून का कोई डर नहीं रह गया है।
नईदुनिया में छपी खबर के मुताबिक न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अखबारों में लगातार छप रही खबरों से पता लगता है कि मध्यप्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति कितनी भयावह हो चुकी है। जस्टिस राहुल आर्य की खंडपीठ ने कहा कि राज्य में बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। महिलाओं और खासकर स्कूल जाने वाली बच्चियों में डर बैठा हुआ है। जिन एजेंसियों पर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वो अपना दायित्व ठीक से नहीं निभा पा रही हैं।
मध्यप्रदेश में भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार पर हाईकोर्ट की टिप्पणी पूरे प्रदेश की स्थिति का सच बयान करती है। हर दिन 13 के औसत से बलात्कार हो रहे हैं, और सरकार कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता पूरी करके रह जाती है। कई सारे मामलों में तो भाजपा के नेता ही बलात्कार के मामलों में सीधे आरोपी रहे हैं, और बहुत सारे मामलों में बलात्कारियों को संरक्षण देने वाले भी यही नेता हैं।
इसके पहले भी अदालतें मध्यप्रदेश सरकार के रवैये पर तल्ख टिप्पणियां करती रही हैं, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। पिछले साल नवंबर में भोपाल गैंगरेप मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी।
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने पीड़ित छात्रा की एफआईआर दर्ज करने और मेडिकल जांच में गलती को गंभीरता से लेते हुए इसे ट्रेजेडी ऑफ एरर्स तक बताया था।
प्रदेश में पुलिस का रवैया हमेशा बलात्कारियों को बचाने का होता है, जिस पर अदालतों ने नाराजगी जताई है और पूर्व में भी जताती रही हैं। इसी साल फरवरी में भाजपा नेता और सिलाई-कढ़ाई बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेंद्र नामदेव पर एक एसिड पीड़िता ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसके बाद राजेंद्र नामदेव पुलिस हिरासत से ही फरार हो गया था और किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
छतरपुर में ही भाजपा के जिला खेल प्रकोष्ठ का संयोजक संतोष पाराशर अपनी ही भतीजी के साथ बलात्कार करके फरार हो गया था और करीब 5 माह बाद उसने खुद ही सरेंडर किया।
शिवराज सरकार ने प्रदेश को रेप स्टेट बना दिया है। यही आरोप नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने लगाया तो भाजपा नेता इससे सबक सीखने के बजाय इसे प्रदेश की सात करोड़ जनता का अपमान बताने लगे।
अब देखना ये है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद भी सरकार के रवैये में कोई बदलाव आता है या नहीं। फिलहाल, प्रमुख गृहसचिव ने अभी कहा है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
नईदुनिया में छपी खबर के मुताबिक न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अखबारों में लगातार छप रही खबरों से पता लगता है कि मध्यप्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति कितनी भयावह हो चुकी है। जस्टिस राहुल आर्य की खंडपीठ ने कहा कि राज्य में बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। महिलाओं और खासकर स्कूल जाने वाली बच्चियों में डर बैठा हुआ है। जिन एजेंसियों पर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वो अपना दायित्व ठीक से नहीं निभा पा रही हैं।
मध्यप्रदेश में भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार पर हाईकोर्ट की टिप्पणी पूरे प्रदेश की स्थिति का सच बयान करती है। हर दिन 13 के औसत से बलात्कार हो रहे हैं, और सरकार कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता पूरी करके रह जाती है। कई सारे मामलों में तो भाजपा के नेता ही बलात्कार के मामलों में सीधे आरोपी रहे हैं, और बहुत सारे मामलों में बलात्कारियों को संरक्षण देने वाले भी यही नेता हैं।
इसके पहले भी अदालतें मध्यप्रदेश सरकार के रवैये पर तल्ख टिप्पणियां करती रही हैं, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। पिछले साल नवंबर में भोपाल गैंगरेप मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी।
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने पीड़ित छात्रा की एफआईआर दर्ज करने और मेडिकल जांच में गलती को गंभीरता से लेते हुए इसे ट्रेजेडी ऑफ एरर्स तक बताया था।
प्रदेश में पुलिस का रवैया हमेशा बलात्कारियों को बचाने का होता है, जिस पर अदालतों ने नाराजगी जताई है और पूर्व में भी जताती रही हैं। इसी साल फरवरी में भाजपा नेता और सिलाई-कढ़ाई बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेंद्र नामदेव पर एक एसिड पीड़िता ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसके बाद राजेंद्र नामदेव पुलिस हिरासत से ही फरार हो गया था और किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
छतरपुर में ही भाजपा के जिला खेल प्रकोष्ठ का संयोजक संतोष पाराशर अपनी ही भतीजी के साथ बलात्कार करके फरार हो गया था और करीब 5 माह बाद उसने खुद ही सरेंडर किया।
शिवराज सरकार ने प्रदेश को रेप स्टेट बना दिया है। यही आरोप नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने लगाया तो भाजपा नेता इससे सबक सीखने के बजाय इसे प्रदेश की सात करोड़ जनता का अपमान बताने लगे।
अब देखना ये है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद भी सरकार के रवैये में कोई बदलाव आता है या नहीं। फिलहाल, प्रमुख गृहसचिव ने अभी कहा है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।