केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेताओं के अनुसार, वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में समूह रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलेंगे।
साभार : इंडियन एक्सप्रेस
'दिल्ली चलो' आह्वान पर अड़े किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम, गैर-राजनीतिक) ने 6 दिसंबर से दिल्ली की ओर पैदल मार्च करने की योजना की घोषणा की है। 235 किलोमीटर का यह मार्च पंजाब के पटियाला जिले के राजपुरा निर्वाचन क्षेत्र में शंभू सीमा से शुरू होगा। केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेताओं के अनुसार, वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में समूह रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलेंगे।
चंडीगढ़ के किसान भवन में दोनों मंचों की बैठक के बाद केएमएम के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "हाल ही में रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और हरियाणा के कृषि मंत्री ने संकेत दिया है कि किसान दिल्ली तक पैदल जा सकते हैं। हरियाणा और केंद्र सरकार दोनों को अपनी प्रतिबद्धताओं को कायम रखना चाहिए।"
“हमारे दल 6 दिसंबर को दोपहर करीब 12 बजे शंभू से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। अगले दिनों में हम सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक अपनी पैदल यात्रा जारी रखेंगे। शंभू बॉर्डर से रवाना होने वाले पहले जत्थे का नेतृत्व किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह छताला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह चांदीवाला करेंगे। हमें पूरा भरोसा है कि हरियाणा के निवासी रास्ते में हमारे खाने-पीने और रहने की पर्याप्त व्यवस्था करेंगे।”
केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के सदस्य 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे हैं और रविवार को उनका धरना 293वें दिन में प्रवेश कर गया। वे 12 अन्य मांगों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
पंधेर ने कहा कि शंभू से शुरू होने के बाद पहला पड़ाव 6 दिसंबर को ही अंबाला के जग्गी सिटी सेंटर में होगा और अगले दिन मोर्चा अंबाला के मोहरा में रात भर रुकेगा, उसके बाद खानपुर जट्टा और पिपली में रुकेगा।
किसानों के 'दिल्ली चलो' विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर 3-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। 5000 पुलिस तैनात किए गए हैं।
सोमवार को एक अधिकारी ने कहा कि किसानों के 'दिल्ली चलो' विरोध मार्च से पहले 3-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई है और नोएडा-दिल्ली के कुछ हिस्सों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया कि नोएडा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शिवहरि मीना के अनुसार, "हम 'दिल्ली चलो' मार्च को लेकर किसानों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। कल भी हमने उनसे 3 घंटे बात की। हमने 3-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था भी तैयार की है...करीब 5,000 पुलिसकर्मी विभिन्न स्थानों पर जांच कर रहे हैं...हमने ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की है...करीब 1000 पीएससी कर्मियों को भी तैनात किया गया है, वाटर कैनन की व्यवस्था है..." पुलिस का कहना है कि वे लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं और यातायात प्रबंधन को भी देख रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की गई है। लगभग 5,000 पुलिस अधिकारी और 1,000 पीएससी कार्यकर्ता तैनात किए गए हैं, तथा आपातकालीन और यातायात प्रबंधन के लिए वाटर कैनन, टीजीएस दस्ता, अग्निशमन दस्ता और अन्य को तैनात किया गया है।
बता दें कि 28 नवंबर को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू), संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और अन्य किसान समूहों के बैनर तले हजारों किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय के बाहर चल रहे अपने विरोध प्रदर्शन को ओमेगा में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के कार्यालय के बाहर स्थानांतरित कर दिया, जिसमें भूमि अधिग्रहण से विस्थापित किसानों के लिए 10% विकसित भूखंडों का आवंटन, नए कानूनी लाभों के कार्यान्वयन और किसान कल्याण के लिए एक राज्य समिति द्वारा सिफारिशों को अपनाने की मांग की गई।
साभार : इंडियन एक्सप्रेस
'दिल्ली चलो' आह्वान पर अड़े किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम, गैर-राजनीतिक) ने 6 दिसंबर से दिल्ली की ओर पैदल मार्च करने की योजना की घोषणा की है। 235 किलोमीटर का यह मार्च पंजाब के पटियाला जिले के राजपुरा निर्वाचन क्षेत्र में शंभू सीमा से शुरू होगा। केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेताओं के अनुसार, वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में समूह रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलेंगे।
चंडीगढ़ के किसान भवन में दोनों मंचों की बैठक के बाद केएमएम के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "हाल ही में रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और हरियाणा के कृषि मंत्री ने संकेत दिया है कि किसान दिल्ली तक पैदल जा सकते हैं। हरियाणा और केंद्र सरकार दोनों को अपनी प्रतिबद्धताओं को कायम रखना चाहिए।"
“हमारे दल 6 दिसंबर को दोपहर करीब 12 बजे शंभू से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। अगले दिनों में हम सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक अपनी पैदल यात्रा जारी रखेंगे। शंभू बॉर्डर से रवाना होने वाले पहले जत्थे का नेतृत्व किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह छताला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह चांदीवाला करेंगे। हमें पूरा भरोसा है कि हरियाणा के निवासी रास्ते में हमारे खाने-पीने और रहने की पर्याप्त व्यवस्था करेंगे।”
केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के सदस्य 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे हैं और रविवार को उनका धरना 293वें दिन में प्रवेश कर गया। वे 12 अन्य मांगों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
पंधेर ने कहा कि शंभू से शुरू होने के बाद पहला पड़ाव 6 दिसंबर को ही अंबाला के जग्गी सिटी सेंटर में होगा और अगले दिन मोर्चा अंबाला के मोहरा में रात भर रुकेगा, उसके बाद खानपुर जट्टा और पिपली में रुकेगा।
किसानों के 'दिल्ली चलो' विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर 3-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। 5000 पुलिस तैनात किए गए हैं।
सोमवार को एक अधिकारी ने कहा कि किसानों के 'दिल्ली चलो' विरोध मार्च से पहले 3-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई है और नोएडा-दिल्ली के कुछ हिस्सों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया कि नोएडा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शिवहरि मीना के अनुसार, "हम 'दिल्ली चलो' मार्च को लेकर किसानों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। कल भी हमने उनसे 3 घंटे बात की। हमने 3-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था भी तैयार की है...करीब 5,000 पुलिसकर्मी विभिन्न स्थानों पर जांच कर रहे हैं...हमने ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की है...करीब 1000 पीएससी कर्मियों को भी तैनात किया गया है, वाटर कैनन की व्यवस्था है..." पुलिस का कहना है कि वे लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं और यातायात प्रबंधन को भी देख रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की गई है। लगभग 5,000 पुलिस अधिकारी और 1,000 पीएससी कार्यकर्ता तैनात किए गए हैं, तथा आपातकालीन और यातायात प्रबंधन के लिए वाटर कैनन, टीजीएस दस्ता, अग्निशमन दस्ता और अन्य को तैनात किया गया है।
बता दें कि 28 नवंबर को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू), संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और अन्य किसान समूहों के बैनर तले हजारों किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय के बाहर चल रहे अपने विरोध प्रदर्शन को ओमेगा में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के कार्यालय के बाहर स्थानांतरित कर दिया, जिसमें भूमि अधिग्रहण से विस्थापित किसानों के लिए 10% विकसित भूखंडों का आवंटन, नए कानूनी लाभों के कार्यान्वयन और किसान कल्याण के लिए एक राज्य समिति द्वारा सिफारिशों को अपनाने की मांग की गई।