असम: बेदखली अभियान के दौरान झड़प में पुलिस फायरिंग से दो लोगों की मौत

Written by sabrang india | Published on: September 14, 2024
असम के कामरूप जिले में बेदखली अभियान 12 सितंबर को हिंसक हो गया। पुलिस का दावा है कि ग्रामीणों ने अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर हमला किया, जिसके जवाब में की गई लाठीचार्ज और फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई और 35 लोग घायल हो गए।



असम के कामरूप जिले में गुरुवार, 12 सितंबर को बेदखली अभियान के दौरान हिंसक झड़पें हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और फायरिंग की, जिससे दो लोगों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान जुबाहिर अली (22) और हैदर अली (19) के रूप में हुई है।

घायलों में सोनपुर के सर्किल ऑफिसर नितुल खटानियार, पुलिस उपायुक्त (पूर्व) मृणाल डेका और सोनपुर थाना प्रभारी हीरक ज्योति सैकिया शामिल हैं। बाद में वरिष्ठ नागरिकों और पुलिस अधिकारियों के साथ गांव में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया, जिन्होंने मिलकर स्थिति को नियंत्रण में लाया, लेकिन पूरे इलाके में तनाव बना रहा।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना तब घटी जब असम पुलिस कामरूप (महानगर) जिले में कथित अतिक्रमणकारियों को हटाने का अभियान चला रही थी। एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि सोनापुर सर्कल कार्यालय और पुलिस की एक टीम बांग्ला-भाषी मुस्लिम ग्रामीणों को बेदखल करने के लिए जिले के कोचुटोली गांव गई थी। उन्हें पहले भी अतिक्रमित भूमि से हटाया गया था, लेकिन वे फिर से वापस आ गए थे।

अधिकारी के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं सहित ग्रामीणों ने अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियारों, लाठियों और पत्थरों से हमला किया, जिससे एक मजिस्ट्रेट और 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना में पुलिस का एक वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया।

असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि कामरूप मेट्रो के राजस्व अधिकारी 9 सितंबर 2024 से निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए कामरूप मेट्रो के सोनापुर राजस्व सर्कल के अधिसूचित आदिवासी क्षेत्र में सरकारी जमीन से बेदखली की कार्रवाई कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के दौरान आदिवासी क्षेत्र में बनाए गए 237 अवैध ढांचों को हटाते हुए 248 बीघा सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त किया गया है, जिन्हें ऐसे ढांचों को बनाने के लिए अधिकृत नहीं किया गया था।

उन्होंने कहा कि उपद्रवियों द्वारा इस हमले के बाद पुलिस ने उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए बल का प्रयोग किया, जिसमें 13 लोग घायल हो गए, जिनमें से दो को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने इस स्थिति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि झड़प में एक राजस्व अधिकारी भी घायल हो गया।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि अतिक्रमणकारी हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में बसे हैं। लेकिन कई लोगों ने दावा किया कि वे दशकों से वहां रह रहे हैं और कुछ ने पहले के मालिकों से जमीन खरीदी है। रहीम के 14 सदस्यों के परिवार में उनके माता-पिता, चार भाई और उनके परिवार शामिल हैं। वे कहते हैं कि उनका परिवार 2002 में बाढ़ में अपनी जमीन के बह जाने के बाद दरांग जिले से इस क्षेत्र में आया था।

रहीम ने कहा, “हमारे परिवार के पास 5 बीघा जमीन है, जिसमें से 3 बीघा पर खेती होती है। हमारे पास छह कमरों का एक पक्का मकान था जिसमें हम सभी रहते थे। हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया और केवल 8 सितंबर को स्पीकर के माध्यम से लोगों से अपने घर छोड़ने का आग्रह करते हुए एक घोषणा की गई। अधिकारियों ने ढांचे को ध्वस्त कर दिया है और अब हम सभी अपने वृद्ध माता-पिता और छोटे बच्चे के साथ एक पड़ोसी के घर में रह रहे हैं। हम अपना सारा सामान नहीं बचा पाए। हम नहीं जानते कि आने वाले दिनों में क्या होगा क्योंकि पड़ोसी का घर, जहां हम अभी रह रहे हैं, जल्द ही गिर सकता है।”

ज्ञात हो कि यह पहली बार नहीं है जब असम में बेदखली अभियान हिंसक हुआ है। 23 सितंबर, 2021 को दरांग जिले में इस तरह के अभियान के दौरान हिंसा में दो नागरिकों की मौत हो गई थी और 9 पुलिसकर्मियों सहित कई अन्य लोग घायल हो गए थे।

इससे पहले सितंबर 2021 में ही धौलपुर-3 गांव में सरकारी बेदखली अभियान हिंसक हुआ था, जिसमें 12 साल के बच्चे सहित दो लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस के साथ हुई झड़पों में करीब 15 लोग घायल भी हो गए थे।

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