ईपीडब्ल्यू पत्रिका ट्रस्ट के निदेशकों ने अदाणी ग्रुप पर लिखे दो लेखों को हटाए जाने के आदेश दिया जिसके बाद परांजय ठाकुरता ने संपादक पद से इस्तीफा दे दिया।
अदाणी ग्रुप के खिलाफ इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (ईपीडब्ल्यू) पत्रिका में प्रकाशित किए गए रिपोर्ट के बाद संपादक परांजय गुहा ठाकुरता ने इस्तीफा दे दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईपीडब्ल्यू नेपरंजय की स्टोरी को सपोर्ट करने से मना कर दिया था। अदाणी ग्रुप के खिलाफ जून 19 के अंक में रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। सबरंगइंडिया से बात करते हुए ईपीडब्ल्यू के पूर्व संपादक परांजय ने कहा कि मैंनेइस्तीफा दे दिया है।
यह कदम भारतीय पत्रकारिता की कमजोरी का संकेत देता है: प्रकाशन में ईपीडब्लू का एक लंबा और शानदार इतिहास रहा है और कम से कम ऐसे दबावों के प्रति आजाद होने पर खुद कोगर्व किया है।
ईपीडब्ल्यू को 13 जुलाई को अदाणी ग्रुप से मानहानि का नोटिस मिला।ये नोटिस ईपीडब्ल्यू की उस स्टोरी पर अदाणी ग्रुप की तरफ से भेजी गई जिसमें पत्रिका ने सरकार द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) केनियमों के बदलाव कर अदाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने का जिक्र किया था।पत्रिका में बताया गया था कि सेज के नियमों में बदलाव करने से ग्रुप को 500 करोड़ रुपए का फायदा हुआ।ईपीडब्ल्यू ने ‘मोदीगवर्नमेंट्स 500 रुपए करोड़ बोनांजा टू अदाणी ग्रुप कंपनी’ के शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की थी।रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ‘सेज के तहत ऊर्जा परियोजनाओं के संबंध में नियमों को बदला गया औरउद्योग तथा वानिज्य मंत्रालय के वाणिज्य विभाग ने अदाणी पावर के 500 करोड़ रुपए कस्टम ड्यूटी के तौर पर वापस करने की अनुमति दी। जबकि अदाणी ग्रुप की तरफ इस कर का भुगतान कभी किया हीनहीं गया।’
ये रिपोर्ट ईपीडब्ल्यू के 24वें अंक में 17 जून को प्रकाशित किया गया था। इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अदाणी पावर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील की तरफ से ईपीडब्ल्यू को कानूनी नोटिस प्राप्त हुआ।ज्ञात हो कि अदाणी ग्रुप के मुखिया गौतम अदाणी हैं। इस नोटिस में ईपीडब्ल्यू और स्टोरी के लेखकों को आरोपी बनाया
इस रिपोर्ट के बाद करीब एक सप्ताह पहले ईपीडब्ल्यू ने रिपोर्ट का समर्थन किया और अदाणी के वकील को जवाब में ईपीडब्ल्यू के वकील ने कहा कि आर्टिकल के सभी शब्द सत्य हैं और वे दस्तावेज परआधारित हैं। अदाणी के नोटिस के जवाब में वकील ने जो लिखा उसके कुछ अंश नीचे हैः
"8. एक्सपोर्ट प्रोमेशन स्कीम के दुरुपयोग के मुद्दे पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी आपके मुवक्किल के खिलाफ सख्त भाषा का इस्तेमाल किया था कि किस तरह आपके मुवक्किल ने स्कीम का दुरुपयोगकिया और एक्सपोर्ट टर्नओवर को बढ़ाया, और किस तरह आपके मुवक्किल ने वास्तविक एक्सपोर्ट नहीं किया। आपके मुवक्किल ने इस स्कीम के प्रावधानों से फायदा उठाने की कोशिश की। उस लेख में मेरेमुवक्किल द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के वक्तव्य को भी दिया गया है। इस तरह मेरे मुवक्किलों द्वारा लिखे गए लेख को सिर्फ दस्तावेज का ही समर्थन हासिल नहीं है बल्कि न्यायिक घोषणा का भी समर्थनहै।
"9. उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए यह पुनरावृत्त किया जाता है कि आपके मुवक्किल के नीरस दावों में पदार्थ का एक छोटा हिस्सा भी नहीं है। आपके मुवक्किल को कानूनी नोटिस वापस लेने के बारेमें सलाह दिया जाएगा जो 24 जून को जारी किया गया था। अगर ऐसा नहीं किया तो आपने जो गलत नोटिस भेजा है उसके खिलाफ हम कानूनी कार्रवाई करेंगे। आपके मुवक्किल को एक कहावत ध्यान मेंरखना चाहिए कि ‘कोई जितना भी ऊपर चला जाए, कानून सबसे ऊपर है।’ आपके मुवक्किल को यह भी बताया जाएगा कि सच्चाई नहीं दबाई जा सकती है और स्वतंत्र पत्रकार के लिए ये संवैधानिक बाध्यता है।मुझे उम्मीद है कि आप अपने मुवक्किल को उचित सलाह देंगे।
अदाणी ग्रुप पर लिखे दो लेखों को हटाए जाने को लेकर परांजय ठाकुरता ने इस्तीफा दे दिया।पिछले महीने अदाणी पावर लिमिटेड ने अपने वकील के जरिए ईपीडब्ल्यू के लेखकों और समीक्षा ट्रस्ट को नोटिसभेजा था। इन लेखकों में परांजय ठाकुरता भी शामिल हैं। समीक्षा ट्रस्ट पत्रिका का मालिक है।वकील द्वारा भेजे गए नोटिस में ये मांग की गई थी कि बिना शर्त दो लेखों को हटाया जाए।ये लेख ‘डीड द अदाणीग्रुप इवेड 1000 करोड़ इन टैक्स’ (14 जनवरी 2017) और ‘मोदी गवर्नमेंट्स 500 करोड़ बोनांजा टू द अदाणी ग्रुप’(14 जून 2017) को प्रकाशित किया गया था।अदाणी ग्रुप के वकील ने कहा था कि ये लेख हमारेमुवक्किल की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है।
नोटिस में यह कहा गया कि जब तक ऐसा नहीं किया जाता है मेरे मुवक्किल सलाह के अनुसार कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे।
समीक्षा ट्रस्ट बोर्ड की दिल्ली में मंगलवार को बैठक हुई और संपादकीय विभाग को दोनों लेखों को हटाने का आदेश दिया। ठाकुरता ने इस बैठक के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया।
1949 में इकोनॉमिक वीकली के रूप में इसकी स्थापना हुई और 1966 में ईपीडब्ल्यू नाम दिया गया। ये भारत के सबसे सम्मानित प्रकाशनों में से एक है। ठाकुरता प्रख्यात आर्थिक पत्रकार और राजनीतिकटीकाकार हैं। उन्होंने सी राम मनोहर रेड्डी से जनवरी 2017 में ये पद ग्रहण किया था। रेड्डी करीब एक दशक तक पत्रिका से जुड़े रहे।