एम्स रायपुर के पीजी छात्र डॉक्टर ए रविकुमार की कथित आत्महत्या का मामला सामने आया है। उनके परिवार ने कहा कि रवि पर काम का बोझ था और वह नींद की दवा ले रहे थे। उधर संस्थान का कहना है कि उन्हें डॉक्टर से काम के दबाव को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली थी।

फोटो साभार : ईटी
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित एम्स के एक 26 वर्षीय छात्र की कथित रूप से आत्महत्या का मामला सामने आया है। छात्र ने एक नोट में काम के दबाव और निंद न पूरी होने का जिक्र किया है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, तेलंगाना के रहने वाले डॉक्टर ए. रविकुमार शनिवार 3 मई दोपहर रायपुर शहर के कोटा इलाके में स्थित अपने किराये के कमरे में मृत पाए गए।
पुलिस के अनुसार, रविकुमार ने 2023 में रायपुर एम्स में फॉरेंसिक मेडिसिन में पोस्टग्रेजुएशन शुरू किया था। इससे पहले उन्होंने आदिलाबाद स्थित राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। उनके परिवार का कहना है कि रविकुमार तेलंगाना के वानपर्थी इलाके में स्कूल और कॉलेज दोनों में टॉपर रहे थे।
शनिवार को दोपहर में जब रविकुमार ने दरवाजा नहीं खोला और न ही फोन कॉल्स का जवाब दिया, तो उनके रूममेट ने पुलिस को सूचना दी और बाद में रविकुमार मृत पाए गए।
रविकुमार के रिश्तेदार ने अखबार को बताया है कि रवि ने परिवार को कई बार काम के दबाव और नींद की कमी की शिकायत की थी।
उन्होंने बताया, ‘रवि ने मुझे बताया था कि उसे लगातार 36 घंटे तक काम करना पड़ा था। छुट्टी पर होने के बावजूद उसे बार-बार फोन करके वापस बुलाया जाता था। काम का दबाव एक बड़ी वजह थी।उसने मेरी पत्नी (रवि की बहन) को बताया था कि उसे नींद नहीं आती थी और दवा ले रहा था। लेकिन हमें कभी नहीं लगा कि यह समस्या इतनी गंभीर है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘अब हम शिकायत करके क्या हासिल कर पाएंगे? उसकी जगह उसके दोस्तों को शिकायत करनी चाहिए। फॉरेंसिक मेडिसिन में एम्स में केवल दो सीटें हैं। सरकार को सीटों की संख्या बढ़ानी चाहिए ताकि काम का बोझ बंट सके। हम गरीब परिवार से हैं। उसके माता-पिता उसी पर निर्भर थे और उसको लेकर बहुत उम्मीदें थीं। वह हमारे परिवार का पहला डॉक्टर था।’
परिवार के अनुसार, रवि ने आखिरी कॉल अपने माता-पिता को थी। ‘यह कॉल 13 मिनट की थी, जबकि वह आमतौर पर कुछ ही मिनट बात करता था। वह माता-पिता से खुद का ध्यान रखने को कह रहा था।’
एम्स रायपुर के सहायक जनसंपर्क अधिकारी डॉ. लक्ष्मीकांत सी. ने कहा है कि संस्थान को रविकुमार की ओर से कभी काम के दबाव को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली।
उन्होंने कहा, ‘हमें उनकी ओर से काम के दबाव को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली थी। हम मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता सेमिनार भी आयोजित करते हैं।’

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित एम्स के एक 26 वर्षीय छात्र की कथित रूप से आत्महत्या का मामला सामने आया है। छात्र ने एक नोट में काम के दबाव और निंद न पूरी होने का जिक्र किया है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, तेलंगाना के रहने वाले डॉक्टर ए. रविकुमार शनिवार 3 मई दोपहर रायपुर शहर के कोटा इलाके में स्थित अपने किराये के कमरे में मृत पाए गए।
पुलिस के अनुसार, रविकुमार ने 2023 में रायपुर एम्स में फॉरेंसिक मेडिसिन में पोस्टग्रेजुएशन शुरू किया था। इससे पहले उन्होंने आदिलाबाद स्थित राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। उनके परिवार का कहना है कि रविकुमार तेलंगाना के वानपर्थी इलाके में स्कूल और कॉलेज दोनों में टॉपर रहे थे।
शनिवार को दोपहर में जब रविकुमार ने दरवाजा नहीं खोला और न ही फोन कॉल्स का जवाब दिया, तो उनके रूममेट ने पुलिस को सूचना दी और बाद में रविकुमार मृत पाए गए।
रविकुमार के रिश्तेदार ने अखबार को बताया है कि रवि ने परिवार को कई बार काम के दबाव और नींद की कमी की शिकायत की थी।
उन्होंने बताया, ‘रवि ने मुझे बताया था कि उसे लगातार 36 घंटे तक काम करना पड़ा था। छुट्टी पर होने के बावजूद उसे बार-बार फोन करके वापस बुलाया जाता था। काम का दबाव एक बड़ी वजह थी।उसने मेरी पत्नी (रवि की बहन) को बताया था कि उसे नींद नहीं आती थी और दवा ले रहा था। लेकिन हमें कभी नहीं लगा कि यह समस्या इतनी गंभीर है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘अब हम शिकायत करके क्या हासिल कर पाएंगे? उसकी जगह उसके दोस्तों को शिकायत करनी चाहिए। फॉरेंसिक मेडिसिन में एम्स में केवल दो सीटें हैं। सरकार को सीटों की संख्या बढ़ानी चाहिए ताकि काम का बोझ बंट सके। हम गरीब परिवार से हैं। उसके माता-पिता उसी पर निर्भर थे और उसको लेकर बहुत उम्मीदें थीं। वह हमारे परिवार का पहला डॉक्टर था।’
परिवार के अनुसार, रवि ने आखिरी कॉल अपने माता-पिता को थी। ‘यह कॉल 13 मिनट की थी, जबकि वह आमतौर पर कुछ ही मिनट बात करता था। वह माता-पिता से खुद का ध्यान रखने को कह रहा था।’
एम्स रायपुर के सहायक जनसंपर्क अधिकारी डॉ. लक्ष्मीकांत सी. ने कहा है कि संस्थान को रविकुमार की ओर से कभी काम के दबाव को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली।
उन्होंने कहा, ‘हमें उनकी ओर से काम के दबाव को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली थी। हम मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता सेमिनार भी आयोजित करते हैं।’