नई दिल्ली। केंद्र सरकार और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच आज (बुधवार) एक बार फिर बातचीत होगी। उम्मीद की जा रही है कि इस छठे दौर की वार्ता में कोई समाधान निकल सकता है और किसान अपना आंदोलन समाप्त करने को राजी होंगे लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं।

किसान संगठनों ने बैठक से पहले कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी।
केंद्र और किसानों के बीच छठे दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। कृषि मंत्री तोमर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
कृषि मंत्री तोमर ने सोमवार को कहा था कि उन्हें गतिरोध के जल्द दूर होने की उम्मीद है। केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का 'तार्किक हल' खोजने के लिए 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को केंद्र को लिखे पत्र में कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए।
मोर्चा ने आगे कहा कि बैठक के अजेंडे में एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश में संशोधन को शामिल किया जाना चाहिए ताकि किसानों को दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके। पत्र के जरिए मोर्चा ने वार्ता के लिए सरकार के आमंत्रण को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है। पत्र में यह भी कहा गया कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिए जाने का मुद्दा भी वार्ता के अजेंडे में शामिल होना चाहिए। पिछले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी।

किसान संगठनों ने बैठक से पहले कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी।
केंद्र और किसानों के बीच छठे दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। कृषि मंत्री तोमर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
कृषि मंत्री तोमर ने सोमवार को कहा था कि उन्हें गतिरोध के जल्द दूर होने की उम्मीद है। केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का 'तार्किक हल' खोजने के लिए 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को केंद्र को लिखे पत्र में कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए।
मोर्चा ने आगे कहा कि बैठक के अजेंडे में एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश में संशोधन को शामिल किया जाना चाहिए ताकि किसानों को दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके। पत्र के जरिए मोर्चा ने वार्ता के लिए सरकार के आमंत्रण को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है। पत्र में यह भी कहा गया कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिए जाने का मुद्दा भी वार्ता के अजेंडे में शामिल होना चाहिए। पिछले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी।