'लिंचिंग' पर पीएम को पत्र लिखने पर वर्धा यूनिवर्सिटी से 6 दलित-ओबीसी छात्र निष्कासित

Written by sabrang india | Published on: October 10, 2019
वर्धा। 9 अक्टूबर को बीएसपी संस्थापक मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि मनाने व लिंचिंग की घटनाओं पर पीएम मोदी को सामूहिक पत्र लिखने के मामले में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा छह छात्रों को निष्कासित करने का मामला सामने आया है। 



निष्कासन पत्र में विवि प्रशासन ने कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के आलोक में लागू लागू आचार संहिता के उल्लंघन व न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप हेतु आयोजित किए जा रहे सामूहिक धरना प्रदर्शन को दृष्टिगत रखते हुए 6 छात्रों को निष्कासित किया जा रहा है। निष्कासित किए गए छात्र हैं, चंदन सरोज, नीरज कुमार, राजेश सारथी, रजनीश अंबेडकर, पंकज वेल, वैभव पिंपलकर। 



निष्कासन के बाद चंदन सरोज ने सबरंग को बताया कि यह कार्यक्रम किसी भी पार्टी से संबंधित नहीं था। ना ही किसी राजनेता का इससे लेना देना है। उन्होंने देश में घट रही घटनाओं दलितों-मुस्लिमों के मॉब लिंचिंग, बलात्कार व यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं, कश्मीर को कैद करने, एनआरसी, रेलवे व बीएसएनएल के निजीकरण जैसे देश बेचने के जारी अभियान तथा लुटेरे कॉरपोरेटों के हित में बैंकों को बर्बाद करने आदि समेत संविधान व लोकतंत्र पर जारी फासीवादी हमले को लेकर पीएम मोदी को सामूहिक रूप से पत्र लिखने की अनुमति प्रशासन से मांगी थी।



इसके बाद प्रशासन ने उन्हें पत्र लेखन की अनुमति नहीं दी। प्रशासन ने उन्हें रोकने के लिए एक पत्र वेबसाइट पर जारी किया जिसे कुछ देर बाद ही हटा लिया था। इसके बाद उन्होंने 9 तारीख को सामूहिक रूप से पत्र लेखन कार्यक्रम की कोशिश की लेकिन कार्यक्रम विफल करने के लिए वहां सुरक्षाकर्मी आदि लगा दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि निष्कासित किए गए सभी छात्र एससी व ओबीसी वर्ग से हैं। 

चंदन सरोज का कहना है कि भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात कर छात्र-छात्राओं को गांधी हिल में घुसने से रोका, जिसका छात्र-छात्राओं ने ज़ोरदार विरोध किया और गेट पर ही प्रतिरोध सभा की। छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि विवि कैम्पस में साम्प्रदायिक नफरत और मनुवादी-यथास्थितिवादी समाज बनाने में लगे आरएसएस की शाखाएं नियमित रूप से लगाई जा रही हैं, किंतु लोकतंत्र, संविधान व न्याय में यकीन रखने वाले छात्रों को शांतिपूर्ण कार्यक्रम करने और देश की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लेखन तक से रोका जा रहा है।
 

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