मॉब लिंचिंग पर 49 हस्तियों ने PM को लिखा पत्र, कहा- राम के नाम को अपवित्र होने से बचाइये

Written by sabrang india | Published on: July 25, 2019
नई दिल्ली: गायिका शुभा मुद्गल, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा और फिल्मकार श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, अपर्णा सेन और मणि रत्नम सहित विभिन्न क्षेत्रों की कम से कम 49 हस्तियों ने देश में लगातार हो रहीं लिंचिंग की घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है। 23 जुलाई को लिखे गए पत्र में हस्तियों ने कहा है कि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द और सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए।

पत्र में लिखा है, ‘मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हो रही लिंचिंग की घटनाएं तुरंत रुकनी चाहिए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ें देखकर हम चौंक गए कि साल 2016 में देश में दलितों के साथ कम से कम 840 घटनाएं हुईं। इसके साथ ही हमने उन मामलों में सजा के घटते प्रतिशत को भी देखा।’

पत्र में लिखा है, ‘फैक्टचेकर डॉट इन डाटाबेस के 30 अक्टूबर 2018 के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 तक धार्मिक पहचान के आधार पर घृणा अपराध के 254 मामले देखने को मिले। द सिटिजंस रिलिजियस हेट क्राइम वाच के अनुसार, ऐसे मामलों के 62 फीसदी शिकार मुस्लिम (देश की 14 फीसदी आबादी) और 14 फीसदी शिकार ईसाई (देश की दो फीसदी आबादी) थे।’

पत्र में कहा गया कि इनमें से लगभग 90 फीसदी मामले मई 2014 के बाद सामने आए जब देश में आपकी सरकार आई। प्रधानमंत्री ने लिंचिंग की घटनाओं की संसद में निंदा की जो कि काफी नहीं था। सवाल यह है कि वास्तव में दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

पत्र में आगे लिखा है, ‘हम महसूस करते हैं कि ऐसे अपराधों को गैर-जमानती बनाने के साथ जल्द से जल्द सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। अगर हत्या के मामलों में बिना पैरोल के प्रावधान के उम्रकैद की सजा दी जा सकती है तो ऐसी ही व्यवस्था लिंचिंग के मामलों में क्यों नहीं हो सकती है, जो कि अधिक क्रूर है? किसी भी नागरिक को अपने ही देश में भय के माहौल में नहीं जीना चाहिए।’

पत्र में कहा गया, ‘इन दिनों जय श्री राम का नारा जंग का हथियार बन गया है, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो रही है। यह मध्य युग नहीं है। भारत में राम का नाम कई लोगों के लिए पवित्र है। राम के नाम को अपवित्र करने के प्रयास रूकना चाहिए।’ पत्र के अनुसार, ‘लोगों को अपने ही देश में देशद्रोही, अर्बन नक्सल कहा जा रहा है। लोकतंत्र में इस तरह की बढ़ती घटनाओं को रोकना चाहिए और सरकार के खिलाफ उठने वाले मुद्दों को देश विरोधी भावनाओं के साथ न जोड़ा जाए।’

पत्र में आगे कहा गया, ‘सत्ताधारी पार्टी की आलोचना देश की आलोचना नहीं है। कोई भी सत्ताधारी पार्टी देश का पर्यायवाची नहीं हो सकती है। असहमतियों को बर्दाश्त करने वाला खुला माहौल ही एक देश को मजबूत बना सकता है।’ हस्तियों ने पत्र के आखिर में कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि हमारे सुझावों को एक चिंतित भारतीय और देश के भविष्य को लेकर व्याकुल नागरिक द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं के रूप में ही लिया जाएगा।’

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