4 युवकों की आत्महत्या ने बनाया रोजगार को बड़ा मुद्दा

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: November 26, 2018
भारतीय जनता पार्टी लगातार कहती रही है कि उसके शासन में युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया कराए गए हैं, लेकिन राजस्थान के अलवर में बेरोजगारी से परेशान चार युवकों की आत्महत्या की घटना ने पार्टी के दावे की पोल खोल दी है।

Youth Suicide

राज्य में चल रहे विधानसभा चुनावों में भी अब ये मुद्दा जोर पकड़ गया है क्योंकि 2013 के चुनावों में भाजपा ने 15 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा करके वोट बटोरे थे लेकिन हालात यह हैं कि नौकरी न मिलने से परेशान 4 युवाओं ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली है।

कांग्रेस ने कहा है वसुंधरा राजे के सरकार में बेरोजगारी बढ़ी है और 5 सालों में केवल 2 लाख 62 हजार लोगों को रोजगार मिला है, जिसमें नौकरी केवल डेढ़ लाख लोगों को मिल पाई है।

उधर, भाजपा सरकार 44 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कर रही है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट कहते हैं कि सरकार शब्दों के जाल में फंसा रही है, लोगों को न नौकरी मिली और न रोजगार।

चुनाव प्रचार जोर पकड़ने के साथ ही रोजगार के मुददे पर मौजूदा वसुंधरा राजे सरकार लगातार घिरती जा रही है। वास्तव में सरकार ने नौकरियों के लिए प्रक्रिया शुरू भी की लेकिन अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया पूरी हो ही नहीं पाई, लेकिन इसके लिए भी राज्य सरकार ही दोषी मानी जा रही है।

नईदुनिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में बेरोजगारों के संगठन राजस्थान बेरोजगार एकीकृत संघ ने सरकार के मौजूदा कार्यकाल के दौरान निकाली गई सरकारी भर्तियों और उनकी मौजूदा स्थिति के बारे में पूरी जानकारी एकत्र की है। संघ के अनुसार राजस्थान में भाजपा के सत्ता में आने के बाद कुल 2 लाख 25 हजार 398 सरकारी भर्तियां निकाली गईं। इनके अलावा 79 हजार 13 भर्तियां पिछली सरकार के समय की थीं, यानी कुल 3 लाख 4411 भर्तियां थी, लेकिन इनमें से करीब 1.74 लाख भर्तियां अब भी लंबित ही हैं।

बेरोजगार संघ राज्य सरकार पर भर्तियों के लिए दबाव भी डालता रहा है लेकिन वसुंधरा राजे की सरकार ने पुलिस के जरिए उनका दमन कराया और सबको खामोश कर दिया। अब चुनाव की बेला में ये बेरोजगार मुखर हो चले हैं।

हाल में अलवर में चार युवकों की बेरोजगारी के कारण आत्महत्या किए जाने की घटना ने इस मुद्दे के गर्मा दिया है। सचिन पायलट अलवर की घटना को कलंक बता रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इसे दर्दनाक घटना बताते हुए जांच की मांग की है। बैकफुट पर आई भाजपा अब इस मामले में राजनीति नहीं करने की सलाह दे रही है।
 
 

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