दिवाली की रात 10 बजे के बाद फोड़े गए पटाखे, इस लड़की ने लाइव वीडियो में किया SC के फैसले का उल्लंघन

Written by Ujjawal Krishnam | Published on: November 9, 2018

प्रदूषण नियंत्रण को मद्दे नजर रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली निमित फायरवर्क्स की समय सीमा को परिबद्ध किया था। इस से आदेश की अवहेलना तो हुई ही, लेकिन कट्टरता का कठोर रूप तब सामने आया जब कई जगह सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ये वीडियो शेयरिंग होती नजर आयी। 



पड़ताल पश्चात यह जानकारी हासिल हुई कि जिस महिला द्वारा यह भड़काऊ वीडियो बनाया गया था, उसका नाम काजल सिंगला है। हमने ओरिजिनल वीडियो को देखा, वह वास्तव में लाइव वीडियो ही था। वीडियो को अब तक २८ हजार लाइक्स और ११ हजार शेयर्स मिल चुके हैं। 

महिला लिखती है:

"Supreme Court को मेरा जवाब.....मैंने पटाके 10 बजे के बाद फोड़े....जो सज़ा देनी है,दे दीजिए....!!!
किसी को इतना भी मत डराओ की डर ही ख़त्म हो जाए
किसी को इतना भी मत दबाओ की वो बग़ावत पर उतर आए
हिंदुस्थान में हिंदुओ को रोकेंगे तो एसा ही करारा जवाब मिलेगा...जय हिंद।"

वीडियो जिस प्रोफ़ाइल से अपलोड किया गया है उसके पर्सनल प्रोफ़ाइल होने के वावजूद २ लाख फॉलोवर्स हैं। प्रोफ़ाइल की थोड़ी जांच पड़ताल से ये बात सामने आती है कि महिला कट्टर हिंदुत्ववादी विचारधारा से ताल्लुक रखती है। दूसरे संबंधित व्यक्ति जिनकी प्रतिक्रिया इसके प्रोफ़ाइल पर सामने आई है, वे भी ऐसे ही मानसिकता के मालूम होते हैं। 

अपने प्रशंसकों के बीच इस महिला को एक भावी नेता के तरह देखा जा रहा है। अगर यह बात सच में तब्दील होती है तो दुखद है। प्रश्न यहां है सार्वजनिक 'कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट' का, देखने की बात यह होगी कि क्या प्रशासन इसके वीडियो पर चुस्ती दिखाएगा या नहीं। 

सामाजिक अवैधता उभर कर अंबार बन चुका है, असमंजस की बात यह है कि स्वदेशी तीर जो कट्टरवादियों का लोहा बन बैठी थी वो आज त्योहार के नाम पर ओझल हो गई। प्रश्न यह है कि भारतीय अस्मिता को पिरोए ये कट्टरवादी जो विदेशी वस्तुओं का विरोध करतें है, वो आज कहां है। पाश्चात्य शैली के कपड़ों में महिलाएं दिख जाए तोबौखला जाते हैं, भले ही वे कपड़े भारत में बने हो, तो क्या इन्हे पता नहीं की पटाखों का उद्भव चीनी जमीन पर हुआ है? जब न्यायपीठ पटाखों पर फैसला सुनाती है तो हंगामा मच जाता है, इन्हे तो ऐसा लगता है कि धर्म खतरे में आ गया, भले ही पर्यावरण का विनाश हो जाय। यही अवैधता उनके छाती पर दाल दर रहा है, इनका यह स्वनिर्मित पागलपन है और कुछ नहीं और इनका यही पागलपन इन्हे मानसिक रूप से दिवालिया बना रहा है। 

विपदा यह भी है कि पर्यावरण से बड़ा आज स्वाविचार हो चला है। हिंदु धर्म सावरकर के कट्टरवाद से शायद अभी तक जूझ रहा है तभी इन्हे यह भी नहीं पता कि महाभारत उवाच में जब अर्जुन अश्वत्थामा पर ब्रह्मास्त्र छोड़ने ही वाले थे तो श्रीकृष्ण ने पर्यावरण को होने वाले उसके फलस्वरूप विनाश से अर्जुन को अवगत कराया था जिसके तत्पश्चात अर्जुन ने अपना विचार बदल दिया। क्या हम उस एक अश्वत्थामा रूपक गुरूर के भरी पूर्ती लिए पूरे पर्यावरण को ही मृत्यु में धकेल दें?

प्रश्न है कि क्या सनातन धर्म इतना कमजोर हो गया है जो उसको ऐसे लोगों का सहारा लेना पड़ रहा है? नहीं वह सनातन धर्म नहीं, यह ऐसे कट्टर विचारकों का द्वेष है जो सौहार्द पूर्ण और गंगा जमुनी तहजीब में हमेशा से रोड़ा रहे हैं। समस्तीपुर में विगत दशहरा के दौरान भड़की हिंसा से बात साफ हो गई है कि ऐसी हिंसा को निर्मित किया जा रहा है, इसका सिर्फ राजनैतिक फायदा है।

दिवाली पर हम पटाखे क्यूं जला रहे हैं, क्या हमारे अंदर द्वेष कम है? मन के अंदर झांके, द्वेष को स्वाबोधित करें तो पता चलेगा कि इसे ही जलाने में सौ दिवाली कम पड़ जाए। 



 

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