‘मुजफ्फरनगर लाइव’ से डर गया है योगी प्रशासन पश्चिमी यूपी में फिल्म न दिखाने का फरमान

Written by सबरंगइंडिया स्टाफ | Published on: November 21, 2017

यूपी सरकार मुजफ्फरनगर में हुए 2013 से जुड़े दंगों की पृष्ठभूमि की फिल्म ‘मुजफ्फरनगर लाइव’ को पश्चिम यूपी के पांच जिलों में प्रदर्शन की इजाजत नहीं दे रही है।



पश्चिम यूपी के पांच जिलों मुजफ्फरगर, शामली, बिजनौर, सहारनपुर और बागपत के सिनेमाघरों को प्रशासन की ओर से मौखिक आदेश मिला है कि वे इस फिल्म को न दिखाएं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि उसकी ओर से इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया गया है। फिल्म के प्रोड्यूसर मनोज कुमार मंडी का कहना है कि यह मुजफ्फरनगर में हुए 2013 के दंगों से प्रेरित फिल्म है। इसे मुजफ्फरनगर प्रशासन के आला अधिकारियों ने देखा है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। फिर भी सिनेमाघर मालिक फिल्म को नहीं दिखा रहे हैं।

सिनेमाघर मालिकों को एक अघोषित निर्देश है कि वे इस फिल्म को न दिखाएं। प्रशासन को डर है कि इस फिल्म को दिखाने से निकाय चुनाव के दौरान माहौल खराब हो सकता है। मुजफ्फरनगर ईस्ट के अतरिक्त जिलाधीश हरीश चंद्र ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हमने फिल्म को बैन नहीं किया है। सिनेमाघर मालिक ही फिल्म को नहीं दिखाना चाहते। चूंकि निकाय चुनाव होने हैं इसलिए इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। मुजफ्फरनगर में नोवल्टी सिनेमा चलाने वाले रमेश गुप्ता ने बताया कि पश्चिम यूपी के पांच जिलों के सिनेमाघर मालिकों को प्रशासन से मौखिक आदेश मिला है कि फिल्म को न दिखाएं। सवाल है कि अब किसकी बात पर यकीन किया जाए। एक तरफ सिनेमा घर मालिक कह रहे हैं कि उन्हें फिल्म न दिखाने का आदेश मिला हुआ है और दूसरी तरफ प्रशासन कह रहा है कि ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है। लेकिन कड़वी सचाई यह कि योगी प्रशासन हकीकत बयां करने वाली एक फिल्म से डर गया है।
 

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