नोटबंदी पर कुछ बोलिए महाराज? आख़िर आप भी तो मुँह में ज़ुबान रखते हैं।

Written by Dilip Mandal | Published on: November 19, 2016
यह मोदी सरकार का पहला ऐसा बड़ा क़दम है जिसकी RSS ने तारीफ नहीं की है, न ही बीजेपी ने इसके समर्थन में देश में कहीं भी पोस्टर-होर्डिंग लगाए हैं। 

Mohan Bhagwat


इसके बावजूद, सारे के सारे टीवी चैनल कह रहे हैं कि जनता इस फ़ैसले से बेहद ख़ुश है। 





 


इस वक़्त देश की किस एक कंपनी के पास आधार कार्ड की सबसे ज़्यादा फ़ोटोकॉपी है। आज की तारीख में चार करोड़ आधार कार्ड की फ़ोटोकॉपी रिलायंस के पास है। आप जानते हैं न कि इन काग़ज़ों की आज क्या क़ीमत है।
अगर बैंक किसी को अरबों के नए नोट देना चाहे तो उसे ढेर सारे आधारकार्ड की फ़ोटोकॉपी सबूत के तौर पर रखनी होगी।
जानते हैं कि नहीं?

 
Mallya
एक गाँव में एक ग़रीब ब्राह्मण रहता था। गंदी आदतों और फिजूलखर्ची की वजह से उसे गाँव छोड़ना पड़ा। राजा को दया आई। उसने ग़रीब ब्राह्मण का 1201 करोड़ रुपए का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाल दिया। अब राजा पब्लिक से उस पैसे की वसूली कर रहा है। 
यह सब देखकर देवताओं ने आसमान से फूल बरसाए और फिर सभी सुख से रहने लगे।



प्रधानमंत्री के घर में 32,700 रुपए कैश हुआ करता था। पता नहीं बेचारे कैसे मैनेज कर रहे होंगे? आटा, दाल, सब्ज़ी, दूध, चाय, टूथपेस्ट, डिटर्जेंट।
वैसे उन्हें यह रक़म बैंक में जमा भी करानी है। 
मैंने आज ATM से दो हज़ार निकाले हैं। देशहित में एक हज़ार उन्हें उधार दे सकता हूँ। इसका मतलब यह नहीं है कि आप भी माँगने लग जाए। मोदी जी बिजी आदमी हैं। एक दिन में चार बार ड्रेस बदलना कोई आसान बात है ?
फ़ोटो- बनारस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते समय जमा एफिडेविट से।

4,000 का 4,500 किया। और फिर 4,500 का 2,000 कर दिया। 
क्या ये मानसिक असंतुलन के लक्षण नहीं हैं।
 
देश का 9,000 करोड़ रुपए लूटने वाले ज़िंदगी की सबसे शानदार पार्टी कर रहे हैं और आप? 
माल्या को मोदी से डर क्यों नहीं लगता?
विजय माल्या के सुपुत्र सिद्धार्थ माल्या (सबसे बाएँ) ने अपनी यह तस्वीर इसी 3 नवंबर को इंस्टाग्राम पर डाली है। लिखते हैं कि अब तक की सबसे शानदार हेलोविन पार्टी। यह लंदन के एनाबेल नाइट क्लब की तस्वीर है।
इसे देखकर क्या आपको लगता है कि माल्या परिवार को किसी तरह की कोई फ़िक्र है?



भारत और ब्रिटेन के बीच अपराधियों के प्रत्यर्पण की संधि है। 1993 में दोनों देशों ने Extradition Treaty पर दस्तखत किए थे। 
अगर मोदी सरकार में थोड़ी भी शर्म होती तो पंडित विजय माल्या लंदन में बैठकर मौज नहीं कर रहा होता। 
तस्वीर 17 जून 2010 की। माल्या साहेब बीजेपी के समर्थन से राज्य सभा पहुँचे थे। जीत की ख़ुशी मनाते वेंकैय्या नायडू, अनंत कुमार, कर्नाटक के तब के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा।

एक घोटाला कंपनियों की क़र्ज़ माफ़ी की शक्ल में हो चुका है। दूसरा घोटाला नए साल पर उन्हें फिर से क़र्ज़ देने के रूप में होगा। 
इन दो घोटालों के बीच का जो समय है, उसमें भारत लाइन में खड़ा है, जबकि इंडिया में अगले ज़श्न की तैयारी हो रही है।

 
क्या आपको अब भी नोटबंदी का मतलब समझ में नहीं आ रहा है? 
यह पढ़िए। 
वित्त मंत्रालय का राज्यसभा में जवाब है। सवाल संख्या 2506. जवाब देने की तारीख 9 अगस्त, 2016. 
मोदी सरकार बनने के बाद सरकारी बैंकों की लूट किस तरह दोगुनी हो गई , यह सरकार ख़ुद बता रही है।
बाज़ार में कुल करेंसी लगभग 18 लाख करोड़ है। उसमें से लगभग पौने पाँच लाख करोड़ कंपनियों ने दबा लिए हैं, जिनके लौटने की उम्मीद भी नहीं है। 
इसकी भरपाई के लिए हुई है नोटबंदी।
 
मुंबई के धारावी के एक बैंक में नोट बदलने के लिए लगी लाइन। सुबह से लाइन में लगे होने की थकान इनके चेहरों पर साफ़ पढ़ी जा सकती है। मुकेश भाई का चेहरा तो देखिए।

 
नोटबंदी और यूपी चुनाव पर चंद लफ़्ज़। 
यूपी के चुनाव नतीजे अभी भविष्य के गर्भ में हैं। मैं अंदाज़ा लगाने का जोखिम नहीं ले रहा हूँ। 
लेकिन अगर कोई पार्टी इस मुग़ालते में है कि बीजेपी यूपी इसलिए हार जाएगी कि उसने नोटबंदी करा दी है तो वह शायद मुग़ालते में यानी भ्रम में है।
शतरंज की बाज़ी में एक चाल के बारे में नौसिखुए सोचते हैं। खिलाड़ी कई बार दस चाल आगे तक की सोचता है। 
फ़्रेम थ्योरी के हिसाब से यह बहुत महत्वपूर्ण है कि बहस का दायरा और विषय किसने तय किया है।
अगर फ़्रेम आपका नहीं है तो होंगे किसी बहस में आप पक्ष या विपक्ष में , लेकिन आखिर आप किसी और के तय किए हुए खेल को ही खेल रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या आप विरोधी को अपनी पिच पर खेलने के लिए मजबूर कर पा रहे हैं? 
नोटबंदी की पिच बीजेपी ने तय की है। 
 
 

 




अपने ह्वाइट पैसे पर फ़ेयरनेस क्रीम लगाती और ब्लीचिंग कराती भारत की जनता। 
शुक्रिया नरेंद्र मोदी जी।

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