संतों ने किया हंगामा तो नास्तिक सम्मेलन करना पड़ा रद्द

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: October 15, 2016
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में शुक्रवार को धर्माचार्यों ने आखिरकार नास्तिकों का सम्मेलन नहीं होने दिया। सम्मेलन के लिए देश भर से पांच सौ से ज्यादा लोग जुटे थे, लेकिन विश्व हिंदू परिषद और धर्मरक्षा सभा जैसे संगठनों के लोगों के हमले और कड़े विरोध के बाद नास्तिक सम्मेलन रद्द करना पड़ा।

Sadhu protest
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में नास्तिक सम्मेलन का विरोध करते लोग. Image: Hindi BBC

कभी प्रवचन करने वाले और अब नास्तिक हो चुके स्वामी बालेंदु ने इस नास्तिक सम्मेलन का आयोजन किया था। उनका और सम्मेलन के लिए आए अन्य लोगों ने आरोप लगाया है कि उनके साथ मारपीट की गई।

सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट के जरिये बताया है कि हिंदुत्ववादी संगठनों ने सम्मेलन में आए लोगों पर हमला किया। यहाँ तक कि महिलाओं की भी पिटाई की गई और उनके कपड़े फाड़ दिए गए। उन्होंने बताया कि प्रशासन के एक बड़े अधिकारी ने आयोजकों से पूछा कि वे लोग ये राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ क्यों कर रहे हैं।

हिमांशु कुमार ने सवाल उठाया है कि क्या नास्तिक होना देशद्रोह हो गया है। शहीद भगत सिंह भी नास्तिक थे, तो क्या वे राष्ट्रद्रोही थे?

स्वामी बालेंदु ने भी कहा कि वो सम्मेलन रद्द होने से निराश जरूर हैं लेकिन इसे अपनी सफलता के तौर पर देखते हैं। वे अपनी मुहिम जारी रखने का ऐलान करते हैं। उनका कहना है कि नास्तिक होना कोई गुनाह नहीं है, और संविधान ने उन्हें भी उतने ही अधिकार दिए हैं जितने कि किसी आस्तिक को दिए हैं।

स्वामी बालेंदु का कहना है, “समाज में ईश्वर और धर्म अंधविश्वास फैलाने का कारण हैं। लोग इनसे दूर होंगे तो बेहतर समाज बनाया जा सकता है।”

सम्मेलन का विरोध करने वालों में शामिल विश्व हिंदू परिषद की वृंदावन नगर इकाई के पूर्व अध्यक्ष और धर्म रक्षा संघ के प्रमुख सौरभ गौड़ का कहना है कि वृंदावन में ऐसा कोई कार्यक्रम होने नहीं दिया जा सकता है क्योंकि वृंदावन धार्मिक नगरी है, भगवान कृष्ण की लीला भूमि है, और करोड़ों लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।

सम्मेलन निरस्त होने को अपनी बड़ी सफलता बताते हुए सौरभ गौड़ ने ये भी कहा कि कार्यक्रम का रद्द होना बेहतर है वरना कोई बड़ा कांड हो जाता।

नास्तिक सम्मेलन का विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि आयोजक बालेंदु स्वामी ने मंदिर, मस्जिद और गिरिजाघर को धर्मगुरुओं की ऐशगाह बताया था। जिसके बाद साधु-संत गुस्सा हो गए। कार्यक्रम स्थल के बाहर संतों और उनके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया। स्थिति को देखते हुए वहां पुलिस बल तैनात करना पड़ा। संतों ने इस संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देकर बालेंदु स्वामी की गिरफ्तारी की माँग भी की।

बाकी ख़बरें