रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और पलायन रोकने की मांग को लेकर राजघाट पर रखा गया 'उपवास'

Written by एम. ओबैद | Published on: September 16, 2017




म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर शनिवार को राजघाट के सामने विभिन्न संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने एकजुट होकर उपवास किया। इसमें शामिल हुए लोगों ने मांग की कि रोहिंग्या लोगों के खिलाफ हो रही हिंसा और पलायन को फौरन रोका जाए।


ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिनों से म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा हो रही है जिसके चलते बड़ी संख्या में ये लोग बांग्लादेश और पड़ोसी देशों में पलायन कर रहे हैं। म्यांमार से अब तक करीब चार लाख लोगों के पलायन करने की खबर है। म्यांमार में जारी हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की सूचना है। इनमें महिलाएं, बच्चे, वृद्ध भी शामिल हैं। रोहिंग्या मुसलमान अपनी जान बचाने के लिए किसी तरह दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं।


राजघाट पर इस उपवास का आयोजन खुदाई खिदमतदगार, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, सद्भाव मिशन, नेशनल मूवमेंट फ्रंट और दिल्ली सॉलिडरिटी ग्रुप की ओर से आयोजित किया गया। लोगों को संबोधित करते हुए सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.प्रेम सिंह ने कहा कि म्यांमार में हो रही हिंसा बहुत ही निंदनीय है और इसे जल्द रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और म्यांमार सरकार रोहिंग्या समुदाय के प्रति मानवीय रुख अपनाए और विस्थापन को रोके। डॉ. सिंह ने कहा कि किसी भी मनुष्य के खिलाफ कोई अन्याय करता है तो मानो वह पूरी दुनिया के लोगों के खिलाफ अन्याय किया। सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का धर्म है।


उपवास में शामिल हुए छात्र नेता साहिल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार है कि वे म्यांमार सरकार पर रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति हो रही हिंसा को रोकने के लिए दबाव बनाएं। साहिल ने कहा कि आंग सॉन सू की को मानवता की खिदमत करने के बदले नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने इसकी जिम्मेदारी को पूरा नहीं किया, रोहिंग्या मुसलमानों पर हमला पूरी तरह से मानवाधिकार का हनन। साहिल का कहना था कि रोहिंग्या एक जनजाति है जिसमें हर धर्म के लोग हैं और दूसरे धर्म के लोगों पर हमला हो रहा है। साहिल ने आगे कहा कि भारत सरकार जब तिब्बतियों, पाकिस्तान से हिंदू समाज के लोगों और श्रीलंका के तमिलों को शरण दे सकती है तो रोहिंग्या मुसलमानों को मानवीय आधार पर क्यों नहीं शरण दे सकती है, म्यांमार में पूरी तरह मानवीयता पर हमला हो रहा है, इसे फौरन रोका जाना चाहिए।


सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के नेता चरण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में लोग रोहिंग्या को लेकर एक विशेष धर्म के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म और संप्रदाय के नाम पर जो लोग ऐसा कर रहे हैं उसे बढ़ावा दिया जा रहा है। चरण सिंह ने आगे कहा कि देश में शांति का माहौल बनाया जाए। उन्होंने कहा कि इंसानियत के खिलाफ हिंसा फैलाने वाले को हम मुंहतोड़ जवाब देंगे। चरण सिंह ने आगे कहा कि आज एक इंसान दूसरे इंसान को मार रहा है जो पूरे विश्व के लिए घातक है, अगर ऐसा रहा तो एक भाई दूसरे भाई का कत्ल करेगा।


राजघाट पर किए गए उपवास में बिहार से आए गांधी दर्शन के प्रचारक दिपेंद्र वाजपेयी ने एक कविता पढ़ी, ‘हम तो लड़ेंगे हम न डरेंगे, ए हाहाकार अत्याचार हम न सहेंगे: जहां हक न मिले तेरा-मेरा वहीं लड़ेंगे’।


उपवास पर बैठे लोगों को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता नीरज ने रोहिंग्या समुदाय पर म्यांमार में हो रहे अत्याचार पर कहा कि मानवता का हनन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नीरज ने कहा कि हम महात्मा गांधी, लोहिया जैसे महापुरूषों के देश में रहते हैं और ये लोग अहिंसा के पुजारी थें। नीरज ने कहा कि हमें भी अहिंसा का पुजारी होना होगा अगर ऐसा हम नहीं करते हैं तो हम अपने महापुरूषों के दिए गए शिक्षा का अपमान कर रहे हैं। संबोधन में नीरज ने कहा कि पूरे विश्व में जहां भी मनुष्यों के खिलाफ हिंसा हो रही उसे रोका जाए, हम भारत सरकार और बांग्लादेश सरकार से अपील करते हैं कि जो रोहिंग्या मुसलमान विस्थापित हुए हैं उनके लिए हर प्रकार के प्रबंध किए जाएं।


सभा को संबोधित करते हुए खुदाई खिदमतगार के नेता इनामुल हसन ने कहा कि गौतम बुदध ने हमें अहिंसा सिखाया है और उन्हीं के अनुयायी हिंसा कर रहे हैं। इनामुल ने आगे कहा कि हम इंसान तभी हो सकते हैं जब अपने दिल को बड़ा करेंगे, अगर दिल बड़ा नहीं करेंगे तो हम कभी इंसान नहीं बन सकते है।


महिला नेता वंदना ने रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन पर आंग सान सू की के उस बयान की आलोचना कि जिसमें सू की ने रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकवादी कहा था। वंदना ने अपने संबोधन में कहा कि आंग सान सू कि कहती हैं कि ये लोग आतंकवादी हैं इसलिए उनपर हमले हो रहे हैं। साथ ही वंदना ने कहा कि लंबे समय कोई एक देश में रह रहा है और उसे वहां कोई अधिकार नहीं मिला। वंदना का कहना था कि रोहिंग्या आजादी के साथ म्यांमार में घूम नहीं सकते हैं, जो उनको अधिकार मिलना चाहिए वे नहीं मिले।


 

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