देश भर में गौरक्षकों के नाम पर बढ़ रही गुंडागर्दी की घटनाओं के बीच आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने इन गौरक्षकों की हिमायत करते हुए इन्हें अच्छे लोग बताया है। नागपुर में अपने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने जो बोला, वह प्रधानमंत्री के गौरक्षकों के बारे में दिए बयान से एकदम अलग था।
Image: ANI
प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि अधिकतर गौरक्षक अपराधी होते हैं, जो दिन में गौरक्षक बन जाते हैं और रात में अपराध करते हैं। प्रधानमंत्री की बात के उलट मोहन भागवत ने गौरक्षकों को कानून का पालन करने वाला बताया, जो बहुत अच्छी समाज-सेवा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जहाँ गौरक्षा को गोरखधंधा बता चुके हैं, वहीं मोहन भागवत आरएसएस के 91वें स्थापना दिवस पर वार्षिक संबोधन में गौरक्षा को समाजसेवा और गौरक्षकों को समाजसेवक बताया है।
वैसे प्रधानमंत्री के बयान के बाद आरएसएस के एक बड़े हिस्से में नाराजगी तो देखने को मिली थी, लेकिन बड़े स्तर पर किसी ने उनकी बात का प्रतिवाद इस तरह से नहीं किया था जिस तरह से मोहन भागवत ने किया है। प्रधानमंत्री के बयान के बाद पंजाब में एक गौरक्षक दल का प्रमुख गुंडागर्दी और अप्राकृतिक यौन शोषण के आरोप में पकड़ा भी गया था। हाल ही में राजस्थान में गौरक्षा के नाम पर अवैध वसूली करते हुए बजरंग दल की स्थानीय इकाई का अध्यक्ष पकड़ा गया। गुजरात में ऊना कांड ने तो साबित ही कर दिया था कि गौरक्षक पूरी तरह से असामाजिक और अमानवीय तत्व हैं।
ऐसे में गौरक्षकों और गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा का समर्थन करके मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री से कड़ी असहमति जताई है।
आइए, याद करते हैं, प्रधानमंत्री ने गौरक्षकों के बारे में क्या कहा था। प्रधानमंत्री ने कहा था- "कुछ लोग गौरक्षक के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं। मुझे इस पर बहुत ग़ुस्सा आता है।
कुछ लोग पूरी रात असामाजिक कार्यों में लिप्त रहते हैं और दिन में गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं। मैं राज्य सरकार से कहता हूं कि वे ऐसे लोगों का डोज़ियर बनाएं। गौरक्षकों में से 80 फ़ीसदी लोग गोरखधंधे में लिप्त हैं। गौरक्षक गाय को प्लास्टिक खाने से बचाएं, ये बड़ी सेवा होगी। कोई स्वयंसेवा किसी को दबाने के लिए नहीं होती।”
अब आइए, जानते हैं मोहन भागवत ने क्या कहा है। मोहन भागवत ने गौरक्षकों का हौंसला बढ़ाते हुए कहा है- “असामाजिक तत्वों और कानून का पालन करने वाले गौरक्षकों के बीच अंतर को समझा जाना चाहिए। गोरक्षक एक महत्वपूर्ण समाजसेवा कर रहे हैं। गोरक्षक अच्छे लोग होते हैं... देश में गोरक्षा के लिए कानून हैं... प्रशासन को ध्यान रखना होगा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो असामाजिक तत्व हैं, और कभी गोरक्षक नहीं हो सकते... उनके ज़रिये बेवकूफ न बनें... उन लोगों तथा गोरक्षकों में फर्क होता है... उन्हें एक साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए..."
Image: ANI
प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि अधिकतर गौरक्षक अपराधी होते हैं, जो दिन में गौरक्षक बन जाते हैं और रात में अपराध करते हैं। प्रधानमंत्री की बात के उलट मोहन भागवत ने गौरक्षकों को कानून का पालन करने वाला बताया, जो बहुत अच्छी समाज-सेवा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जहाँ गौरक्षा को गोरखधंधा बता चुके हैं, वहीं मोहन भागवत आरएसएस के 91वें स्थापना दिवस पर वार्षिक संबोधन में गौरक्षा को समाजसेवा और गौरक्षकों को समाजसेवक बताया है।
वैसे प्रधानमंत्री के बयान के बाद आरएसएस के एक बड़े हिस्से में नाराजगी तो देखने को मिली थी, लेकिन बड़े स्तर पर किसी ने उनकी बात का प्रतिवाद इस तरह से नहीं किया था जिस तरह से मोहन भागवत ने किया है। प्रधानमंत्री के बयान के बाद पंजाब में एक गौरक्षक दल का प्रमुख गुंडागर्दी और अप्राकृतिक यौन शोषण के आरोप में पकड़ा भी गया था। हाल ही में राजस्थान में गौरक्षा के नाम पर अवैध वसूली करते हुए बजरंग दल की स्थानीय इकाई का अध्यक्ष पकड़ा गया। गुजरात में ऊना कांड ने तो साबित ही कर दिया था कि गौरक्षक पूरी तरह से असामाजिक और अमानवीय तत्व हैं।
ऐसे में गौरक्षकों और गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा का समर्थन करके मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री से कड़ी असहमति जताई है।
आइए, याद करते हैं, प्रधानमंत्री ने गौरक्षकों के बारे में क्या कहा था। प्रधानमंत्री ने कहा था- "कुछ लोग गौरक्षक के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं। मुझे इस पर बहुत ग़ुस्सा आता है।
कुछ लोग पूरी रात असामाजिक कार्यों में लिप्त रहते हैं और दिन में गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं। मैं राज्य सरकार से कहता हूं कि वे ऐसे लोगों का डोज़ियर बनाएं। गौरक्षकों में से 80 फ़ीसदी लोग गोरखधंधे में लिप्त हैं। गौरक्षक गाय को प्लास्टिक खाने से बचाएं, ये बड़ी सेवा होगी। कोई स्वयंसेवा किसी को दबाने के लिए नहीं होती।”
अब आइए, जानते हैं मोहन भागवत ने क्या कहा है। मोहन भागवत ने गौरक्षकों का हौंसला बढ़ाते हुए कहा है- “असामाजिक तत्वों और कानून का पालन करने वाले गौरक्षकों के बीच अंतर को समझा जाना चाहिए। गोरक्षक एक महत्वपूर्ण समाजसेवा कर रहे हैं। गोरक्षक अच्छे लोग होते हैं... देश में गोरक्षा के लिए कानून हैं... प्रशासन को ध्यान रखना होगा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो असामाजिक तत्व हैं, और कभी गोरक्षक नहीं हो सकते... उनके ज़रिये बेवकूफ न बनें... उन लोगों तथा गोरक्षकों में फर्क होता है... उन्हें एक साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए..."