पटाखा फोड़ने को लेकर जहां उत्तर प्रदेश में दलित महिला और उसके परिवार पर कथित तौर पर हमला किया गया वहीं मध्य प्रदेश में एक दलित परिवार ने इसी तरह की घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज की है।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के भीती रावत गांव में शुक्रवार रात पटाखों को लेकर हुए विवाद के बाद एक दलित महिला और उसके परिवार पर कथित तौर पर हमला किया गया। इस घटना से पूरे गांव में तनाव और गुस्सा है।
रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता, मनोज कुमार की पत्नी संजना भारती, घर पर थी जब विरोधी पक्ष के युवकों ने उनके घर के सामने पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए। जब उसने विरोध किया, तो आरोपी कथित तौर पर भड़क गए और उनके दरवाजे पर चढ़ गए। शोर सुनकर उनका भाई बीच-बचाव करने आया, जिसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं और संजना और उनके भाई दोनों से मारपीट की।
संजना भारती ने तुरंत सहजनवा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उनकी रिपोर्ट के बाद, पुलिस ने चार लोगों: धर्मेंद्र पाल, छोटाई पाल, संतोष पाल और अंशु पाल के खिलाफ मामला दर्ज किया। थाना प्रभारी ने पुष्टि की कि जांच शुरू हो गई है और आरोपियों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उधर मध्य प्रदेश में भी इसी तरह की घटना सामने आई है। सागर जिले के केसली गांव के दलित परिवारों ने आरोप लगाया है कि दिवाली की रात पटाखे फोड़ने को लेकर हुए विवाद के बाद राजपूत (क्षत्रिय) समुदाय के कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। कई महिलाओं समेत पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) से लिखित शिकायत कर सुरक्षा और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
शिकायतकर्ताओं के हवाले से मुस्लिम मिरर ने लिखा, यह घटना पिछले हफ्ते की शुरुआत में हुई जब दलित परिवारों के बच्चे पटाखे जलाकर दिवाली मना रहे थे। इसको लेकर उसी गांव के एक राजपूत परिवार के सदस्य नाराज हो गए, जिसके बाद हिंसक झड़प हुई।
एक पीड़ित ने सागर एसपी कार्यालय के बाहर पत्रकारों को बताया, "वे हमारे घरों में घुस आए, हमें पीटा और हमारी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया।"
उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने जातिसूचक गालियां भी दीं और हमें अंजाम भुगतने की धमकी दी।"
स्थानीय महिला पिंकी अहिवार के नेतृत्व में प्रभावित लोगों के एक समूह ने गुरुवार को पुलिस मुख्यालय जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में अहिवार को सीधे मुख्यमंत्री मोहन यादव से केसली में दलित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए देखा जा सकता है।
आरोपों का जवाब देते हुए सागर एसपी कार्यालय के एक पुलिस अधिकारी ने पुष्टि की कि दलित समुदाय से शिकायतें मिली हैं। अधिकारी ने मीडिया को बताया, "स्थानीय पुलिस को मामले की गहन जांच करने और सभी प्रभावित परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।"
यह परेशान करने वाला मामला ग्वालियर में बिल्ली से संबंधित एक और घटना के कुछ ही दिनों बाद सामने आया है, जहां भिंड जिले के सोनू नाम के एक दलित व्यक्ति को गाड़ी चलाने से इनकार करने पर तीन ऊंची जाति के लोगों ने पीटा और उसे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया। ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक संजीव पाठक के हस्तक्षेप के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
एक के बाद एक लगातार दो घटनाएं मध्य प्रदेश और देश भर में दलित समुदायों की दुर्दशा, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां जातिगत जड़ें गहरी हैं उजागर करती हैं।
उन्होंने राज्य सरकार से जल्द न्याय सुनिश्चित करने और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का सख्ती से पालन कराने का आग्रह किया है।
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रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता, मनोज कुमार की पत्नी संजना भारती, घर पर थी जब विरोधी पक्ष के युवकों ने उनके घर के सामने पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए। जब उसने विरोध किया, तो आरोपी कथित तौर पर भड़क गए और उनके दरवाजे पर चढ़ गए। शोर सुनकर उनका भाई बीच-बचाव करने आया, जिसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं और संजना और उनके भाई दोनों से मारपीट की।
संजना भारती ने तुरंत सहजनवा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उनकी रिपोर्ट के बाद, पुलिस ने चार लोगों: धर्मेंद्र पाल, छोटाई पाल, संतोष पाल और अंशु पाल के खिलाफ मामला दर्ज किया। थाना प्रभारी ने पुष्टि की कि जांच शुरू हो गई है और आरोपियों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उधर मध्य प्रदेश में भी इसी तरह की घटना सामने आई है। सागर जिले के केसली गांव के दलित परिवारों ने आरोप लगाया है कि दिवाली की रात पटाखे फोड़ने को लेकर हुए विवाद के बाद राजपूत (क्षत्रिय) समुदाय के कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। कई महिलाओं समेत पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) से लिखित शिकायत कर सुरक्षा और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
शिकायतकर्ताओं के हवाले से मुस्लिम मिरर ने लिखा, यह घटना पिछले हफ्ते की शुरुआत में हुई जब दलित परिवारों के बच्चे पटाखे जलाकर दिवाली मना रहे थे। इसको लेकर उसी गांव के एक राजपूत परिवार के सदस्य नाराज हो गए, जिसके बाद हिंसक झड़प हुई।
एक पीड़ित ने सागर एसपी कार्यालय के बाहर पत्रकारों को बताया, "वे हमारे घरों में घुस आए, हमें पीटा और हमारी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया।"
उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने जातिसूचक गालियां भी दीं और हमें अंजाम भुगतने की धमकी दी।"
स्थानीय महिला पिंकी अहिवार के नेतृत्व में प्रभावित लोगों के एक समूह ने गुरुवार को पुलिस मुख्यालय जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में अहिवार को सीधे मुख्यमंत्री मोहन यादव से केसली में दलित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए देखा जा सकता है।
आरोपों का जवाब देते हुए सागर एसपी कार्यालय के एक पुलिस अधिकारी ने पुष्टि की कि दलित समुदाय से शिकायतें मिली हैं। अधिकारी ने मीडिया को बताया, "स्थानीय पुलिस को मामले की गहन जांच करने और सभी प्रभावित परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।"
यह परेशान करने वाला मामला ग्वालियर में बिल्ली से संबंधित एक और घटना के कुछ ही दिनों बाद सामने आया है, जहां भिंड जिले के सोनू नाम के एक दलित व्यक्ति को गाड़ी चलाने से इनकार करने पर तीन ऊंची जाति के लोगों ने पीटा और उसे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया। ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक संजीव पाठक के हस्तक्षेप के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
एक के बाद एक लगातार दो घटनाएं मध्य प्रदेश और देश भर में दलित समुदायों की दुर्दशा, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां जातिगत जड़ें गहरी हैं उजागर करती हैं।
उन्होंने राज्य सरकार से जल्द न्याय सुनिश्चित करने और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का सख्ती से पालन कराने का आग्रह किया है।
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