"सिर्फ 3-4 साल के थे तभी पड़ोसी एनएम नाम के एक व्यक्ति ने उन पर यौन शोषण शुरू कर दिया। एनएम को वे भाई और रिश्तेदार की तरह मानते थे और वह आरएसएस-बीजेपी का सक्रिय कार्यकर्ता था।"

केरल के कोट्टायम जिले के थंपलाकड़ इलाके से ताल्लुक रखने वाले 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर आनंदु अजी की आत्महत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अपनी मौत से ठीक पहले उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के कुछ सदस्यों पर बचपन से ही यौन शोषण करने का गंभीर आरोप लगाया है। यह पोस्ट अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, आनंदु अजी का शव गुरुवार शाम तिरुवनंतपुरम के तम्पानूर इलाके के एक लॉज के कमरे में लटका मिला। पुलिस ने इसे अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आनंदु ने अपनी 15 पेज की पोस्ट में साफ कहा कि उनकी आत्महत्या का कारण कोई प्रेम प्रसंग, कर्ज या अन्य समस्या नहीं, बल्कि चिंता, अवसाद और दवाओं के साइड इफेक्ट्स हैं। लेकिन उन्होंने मुख्य रूप से आरएसएस पर निशाना साधा, जहां उनके पिता ने उन्हें बचपन में शामिल कराया था।
अपने पोस्ट में आनंदु ने खुलासा किया कि वह जब सिर्फ 3-4 साल के थे तभी पड़ोसी एनएम नाम के एक व्यक्ति ने उन पर यौन शोषण शुरू कर दिया। एनएम को वे भाई और रिश्तेदार की तरह मानते थे और वह आरएसएस-बीजेपी का सक्रिय कार्यकर्ता था। आनंदु ने लिखा, "वह लगातार मुझे शोषित करता रहा। मैं उसके लिए सेक्स टूल की तरह था।" बाद में आरएसएस के आईटीसी और ओटीसी कैंपों में भी कई सदस्यों ने उन्हें यौन और शारीरिक शोषण का शिकार बनाया। उन्होंने कहा, "मुझे नाम याद नहीं, लेकिन आईटीसी और ओटीसी कैंपों में यौन शोषण हुआ। साथ ही बिना वजह डंडों से पीटा भी गया।"
आनंदु ने अपनी मानसिक बीमारी ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) की जड़ भी बचपन में हुए यौन शोषण को बताया। उन्होंने लिखा कि वे पिछले डेढ़ साल से थेरेपी ले रहे थे और छह महीनों से दवाईयां भी खा रहे थे, जिससे उनकी एकाग्रता पर असर पड़ रहा था। अपने पोस्ट में आनंदु ने आरएसएस को लेकर चेतावनी दी: "आरएसएस के सदस्यों से कभी दोस्ती न करें। चाहे वे आपके पिता, भाई या बेटा ही क्यों न हों, उन्हें अपने जीवन से अलग कर दें। वे जहर फैलाते हैं, असली अपराधी वही हैं।"
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनके पास कोई भौतिक सबूत नहीं हैं, लेकिन लिखा, "मेरा जीवन ही सबूत है।"
आनंदु ने अपनी आखिरी पोस्ट में माता-पिता को विशेष संदेश देते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को ‘अच्छे और बुरे स्पर्श’ के बारे में जागरूक करें, उनके साथ समय बिताएं और एक ऐसा भरोसेमंद रिश्ता बनाएं जिससे बच्चे डर या शर्म के कारण चुप न रहें। उन्होंने लिखा, "बचपन का ट्रॉमा कभी पूरी तरह खत्म नहीं होता, वह जीवनभर साथ रहता है। मेरी कामना है कि दुनिया का कोई बच्चा वह दर्द न सहे जो मैंने सहा।" उन्होंने अपनी बहन अम्मू का भी बचाव किया और साफ किया कि उनकी आत्महत्या का उसकी इंटरकास्ट शादी या उसके किसी फैसले से कोई संबंध नहीं है। आर्थिक पहलू पर आनंदु ने लिखा कि वे स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड और डिजिटल गोल्ड में निवेश से अपना कर्ज चुकाना चाहते थे।
सोशल मीडिया पर आनंदु की अंतिम पोस्ट ने झकझोर कर रख दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की प्रवक्ता प्रियंका भारती ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस खबर को साझा करते हुए कहा, "आरएसएस राष्ट्र के लिए खतरा है।" इस पोस्ट को हजारों यूजर्स ने रीट्वीट और शेयर कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सवाल उठाए हैं।
राजनीतिक हलकों में भी इस मामले को लेकर भारी विवाद पैदा हो गया है। केरल में सीपीआई-एम की युवा शाखा, डीवाईएफआई के राज्य उपाध्यक्ष वीके सनोज ने इस घटना की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, "आनंदु के अंतिम शब्द आरएसएस की अमानवीय विचारधारा को बेपर्दा करते हैं, जिसे समाज को पूरी तरह खारिज कर देना चाहिए। बच्चों को ऐसे कैंपों से दूर रखा जाना चाहिए।" सनोज ने आरएसएस के उन सदस्यों को जो अपराधी हैं, उन्हें कानून के कटघरे में लाने की भी मांग उठाई है। इस मामले पर फिलहाल आरएसएस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पुलिस ने आनंदु के परिवार की शिकायत पर यौन शोषण के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। यह मामला केवल एक व्यक्तिगत दर्दनाक अनुभव नहीं है, बल्कि संगठनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है। आनंदु की मौत ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मानसिक और भावनात्मक ट्रॉमा से जूझ रहे युवाओं की बेहतर देखभाल और सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए।
Related
भय का सितंबर: राजस्थान में ईसाइयों के खिलाफ लक्षित हिंसा ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ के बाद उत्पीड़न के पैटर्न को उजागर करती है
अलीगढ़ व्यापारी हत्याकांड: हिंदू महासभा की नेता पूजा शकुन पांडे गिरफ़्तार

केरल के कोट्टायम जिले के थंपलाकड़ इलाके से ताल्लुक रखने वाले 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर आनंदु अजी की आत्महत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अपनी मौत से ठीक पहले उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के कुछ सदस्यों पर बचपन से ही यौन शोषण करने का गंभीर आरोप लगाया है। यह पोस्ट अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, आनंदु अजी का शव गुरुवार शाम तिरुवनंतपुरम के तम्पानूर इलाके के एक लॉज के कमरे में लटका मिला। पुलिस ने इसे अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आनंदु ने अपनी 15 पेज की पोस्ट में साफ कहा कि उनकी आत्महत्या का कारण कोई प्रेम प्रसंग, कर्ज या अन्य समस्या नहीं, बल्कि चिंता, अवसाद और दवाओं के साइड इफेक्ट्स हैं। लेकिन उन्होंने मुख्य रूप से आरएसएस पर निशाना साधा, जहां उनके पिता ने उन्हें बचपन में शामिल कराया था।
अपने पोस्ट में आनंदु ने खुलासा किया कि वह जब सिर्फ 3-4 साल के थे तभी पड़ोसी एनएम नाम के एक व्यक्ति ने उन पर यौन शोषण शुरू कर दिया। एनएम को वे भाई और रिश्तेदार की तरह मानते थे और वह आरएसएस-बीजेपी का सक्रिय कार्यकर्ता था। आनंदु ने लिखा, "वह लगातार मुझे शोषित करता रहा। मैं उसके लिए सेक्स टूल की तरह था।" बाद में आरएसएस के आईटीसी और ओटीसी कैंपों में भी कई सदस्यों ने उन्हें यौन और शारीरिक शोषण का शिकार बनाया। उन्होंने कहा, "मुझे नाम याद नहीं, लेकिन आईटीसी और ओटीसी कैंपों में यौन शोषण हुआ। साथ ही बिना वजह डंडों से पीटा भी गया।"
आनंदु ने अपनी मानसिक बीमारी ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) की जड़ भी बचपन में हुए यौन शोषण को बताया। उन्होंने लिखा कि वे पिछले डेढ़ साल से थेरेपी ले रहे थे और छह महीनों से दवाईयां भी खा रहे थे, जिससे उनकी एकाग्रता पर असर पड़ रहा था। अपने पोस्ट में आनंदु ने आरएसएस को लेकर चेतावनी दी: "आरएसएस के सदस्यों से कभी दोस्ती न करें। चाहे वे आपके पिता, भाई या बेटा ही क्यों न हों, उन्हें अपने जीवन से अलग कर दें। वे जहर फैलाते हैं, असली अपराधी वही हैं।"
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनके पास कोई भौतिक सबूत नहीं हैं, लेकिन लिखा, "मेरा जीवन ही सबूत है।"
आनंदु ने अपनी आखिरी पोस्ट में माता-पिता को विशेष संदेश देते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को ‘अच्छे और बुरे स्पर्श’ के बारे में जागरूक करें, उनके साथ समय बिताएं और एक ऐसा भरोसेमंद रिश्ता बनाएं जिससे बच्चे डर या शर्म के कारण चुप न रहें। उन्होंने लिखा, "बचपन का ट्रॉमा कभी पूरी तरह खत्म नहीं होता, वह जीवनभर साथ रहता है। मेरी कामना है कि दुनिया का कोई बच्चा वह दर्द न सहे जो मैंने सहा।" उन्होंने अपनी बहन अम्मू का भी बचाव किया और साफ किया कि उनकी आत्महत्या का उसकी इंटरकास्ट शादी या उसके किसी फैसले से कोई संबंध नहीं है। आर्थिक पहलू पर आनंदु ने लिखा कि वे स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड और डिजिटल गोल्ड में निवेश से अपना कर्ज चुकाना चाहते थे।
सोशल मीडिया पर आनंदु की अंतिम पोस्ट ने झकझोर कर रख दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की प्रवक्ता प्रियंका भारती ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस खबर को साझा करते हुए कहा, "आरएसएस राष्ट्र के लिए खतरा है।" इस पोस्ट को हजारों यूजर्स ने रीट्वीट और शेयर कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सवाल उठाए हैं।
राजनीतिक हलकों में भी इस मामले को लेकर भारी विवाद पैदा हो गया है। केरल में सीपीआई-एम की युवा शाखा, डीवाईएफआई के राज्य उपाध्यक्ष वीके सनोज ने इस घटना की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, "आनंदु के अंतिम शब्द आरएसएस की अमानवीय विचारधारा को बेपर्दा करते हैं, जिसे समाज को पूरी तरह खारिज कर देना चाहिए। बच्चों को ऐसे कैंपों से दूर रखा जाना चाहिए।" सनोज ने आरएसएस के उन सदस्यों को जो अपराधी हैं, उन्हें कानून के कटघरे में लाने की भी मांग उठाई है। इस मामले पर फिलहाल आरएसएस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पुलिस ने आनंदु के परिवार की शिकायत पर यौन शोषण के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। यह मामला केवल एक व्यक्तिगत दर्दनाक अनुभव नहीं है, बल्कि संगठनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है। आनंदु की मौत ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मानसिक और भावनात्मक ट्रॉमा से जूझ रहे युवाओं की बेहतर देखभाल और सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए।
Related
भय का सितंबर: राजस्थान में ईसाइयों के खिलाफ लक्षित हिंसा ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ के बाद उत्पीड़न के पैटर्न को उजागर करती है
अलीगढ़ व्यापारी हत्याकांड: हिंदू महासभा की नेता पूजा शकुन पांडे गिरफ़्तार