"हम लोग सारा काम मुसलमानों के साथ करते आ रहे हैं। मेरे यहां दो मुसलमान काम करते हैं। साड़ी के फॉल-पिको से लेकर एम्ब्रॉयडरी तक का काम मुस्लिम भाई ही करते हैं। मेरी दुकान में तो ज्यादातर मेरी पत्नी ही बैठती हैं। मेरे यहां के दोनों सेल्समैन से हमें कोई शिकायत नहीं है। हमारे यहां जो महिलाएं खरीदारी करने आती हैं, उन्हें कोई शिकायत नहीं है, तो मैं कैसे किसी को उसके धर्म के आधार पर निकाल दूं?"

साभार : बीबीसी हिंदी
मध्यप्रदेश के इंदौर के कपड़ा बाजार में मुस्लिम सेल्समैनों और व्यापारियों को काम करने से रोका जा रहा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह कोई आधिकारिक या प्रशासनिक आदेश नहीं है, बल्कि इंदौर-4 विधानसभा सीट से भाजपा विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ द्वारा जारी किया गया एक 'निजी फरमान' बताया जा रहा है।
इस मामले पर बीबीसी ने एकलव्य गौड़ से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया।
शीतलामाता कपड़ा बाजार की अध्यक्ष हेमा पंजवानी ने बताया कि 25 अगस्त को एक बंद कमरे की बैठक में एकलव्य सिंह गौड़ ने व्यापारियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी। इसी बैठक के दौरान शीतलामाता कपड़ा बाजार के व्यापारियों के लिए यह फरमान जारी किया गया।
बाद में एकलव्य सिंह गौड़ ने स्थानीय मीडिया को कई बार दिए गए बयानों में कहा, "मेरे पास कई बार लव जिहाद से जुड़ी शिकायतें आई हैं। यह कोई कल्पना या मनगढ़ंत बात नहीं है, बल्कि एक षड्यंत्र है। हमारे कपड़ा बाजार में ज्यादातर ग्राहक महिलाएं होती हैं और मुस्लिम सेल्समैन उन्हें लव जिहाद में फंसा लेते हैं।"
हालांकि एकलव्य सिंह गौड़ स्वयं निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं, लेकिन कपड़ा बाजार में उनकी बातों को व्यापक प्रभाव और अहमियत दी जाती है।
शीतलामाता कपड़ा बाजार की अध्यक्ष हेमा पंजवानी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "हमारे एकलव्य भैया का आदेश था कि बाजार से मुस्लिम सेल्समैन और व्यापारियों को बाहर निकाला जाए। उनके पास कई बार लोग लव जिहाद के मुद्दे को लेकर शिकायतें लेकर गए थे।"
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एजाज़ अंसारी ने कहा कि वे फिलहाल टूर पर हैं और लौटने के बाद इस मामले को विस्तार से समझने के बाद उचित कदम उठाएंगे।
इंदौर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बीबीसी को बताया कि अब तक उनके पास इस संबंध में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
वहीं, इस मामले पर भाजपा विधायक मालिनी गौड़, मेयर पुष्यमित्र भार्गव, इंदौर भाजपा अध्यक्ष सुमित शर्मा और वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
इस बीच "जिहादी मानसिकता से छुटकारा दिलाने के लिए धन्यवाद" के पोस्टर इंदौर के बाजार में कुछ और हकीकत बयां कर रहे हैं।
करीब 200 मुस्लिम कर्मचारियों की रोजी रोटी का संकट
जब बीबीसी की टीम 25 सितंबर को इस मामले की पड़ताल के लिए इंदौर पहुंची, तो पता चला कि कई मुस्लिम सेल्समैन को पहले ही उनकी नौकरियों से हटा दिया गया था। वहीं, कई मुस्लिम व्यापारी अपनी दुकानें खाली कर चुके थे या उन्हें खाली करने की तैयारी में थे।
मुसलमानों को बाजार से निकाले जाने के कथित 'फरमान' के बाद नौकरी गंवा चुके सलमान (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से बातचीत में अपनी व्यथा साझा की। उन्होंने कहा, "हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। हमारी परेशानी ये है कि बच्चों की स्कूल की फीस भरनी है, घर का राशन लाना है, लोन चुकाना है। अगर हमें काम करने से ही रोक दिया जाएगा तो हम अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे?"
सलमान कुछ क्षण के लिए रुक जाते हैं और दरवाजे की ओट में खड़ी अपनी पत्नी की ओर देखते हैं।
अपने जज्बात और आंसुओं पर काबू पाते हुए वे आगे कहते हैं, "कम से कम सुकून से कमाने और खाने तो दिया जाए। यह तो हमारा संवैधानिक अधिकार है।"
सलमान जैसे ही कई सेल्समैन
सलीम (बदला हुआ नाम), जो इस बाजार में पिछले कई वर्षों से काम कर रहे थे, उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैंने इस बाजार को करीब 16 साल दिए हैं। एक बच्चे से जवान हुआ हूं यहीं और अब दो बच्चों का बाप हूं। लेकिन पिछले 15–20 दिन से बेरोजगार हूं। कहां जाऊं? क्या करूं - समझ नहीं आता।"
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक देशदीप सक्सेना कहते हैं, "इस पूरे प्रकरण से यह सवाल उठता है कि आखिर सरकार क्या करना चाहती है? क्योंकि इस मामले में संवैधानिक मूल्यों का ह्रास और अधिकारों का हनन स्पष्ट है।"
"जीवन जीने का अधिकार, नौकरी या काम करने का अधिकार– एक समुदाय के लोगों से उनके धर्म के आधार पर छीना जा रहा है। समता, समानता और बंधुत्व जैसे मूल्यों का ह्रास और प्रशासन से लेकर शासन और वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।"
आदिल और सुखविंदर पार्टनरशिप में एक दुकान चलाते हैं। एकलव्य सिंह गौड़ के ‘फरमान’ के बाद इन्हें अपनी दुकान खाली करनी पड़ी। जब हम उनकी दुकान पर पहुंचे, तो वहां काम करने वाले छह सेल्समैन सारा सामान पैक कर रहे थे।
बीबीसी से बात करते हुए सुखविंदर कहते हैं, "मैं हिन्दू हूं और मेरा पार्टनर मुस्लिम है। हम 20 साल से साथ काम कर रहे हैं। एकलव्य सिंह गौड़ ने लव जिहाद का आरोप लगाया, लेकिन हम पूछते हैं कि अब तक ऐसा एक भी मामला सामने आया है क्या?"
आदिल कहते हैं, "हमारे कारण हमारे पार्टनर की भी रोजी रोटी छिन गई। अब हम क्या करेंगे?"
सुखविंदर ने आदिल के कंधे पर हाथ रखा और हमसे पलटकर कहा, "इस देश में कानून है, सरकार- प्रशासन है। एकलव्य सिंह गौड़ जी उनसे आगे चलकर अपना कानून तो नहीं चला सकते हैं न ?"
बाजार के चुने हुए अध्यक्ष क्या बोले?
इंदौर कपड़ा व्यापारी संघ के अध्यक्ष हेमा पंजवानी कहते हैं, "हिंद रक्षा संगठन के हमारे भैया एकलव्य सिंह गौड़ का आदेश था, हम उसका पालन कर रहे हैं। उन्होंने हर दुकानदार को बुलाकर समझाया कि बाजार में जो चल रहा है (लव जिहाद), उसको तुरंत बंद किया जाए। बहुत सारे मुस्लिम लोग अब यहां से जा चुके हैं।"
जब उनसे पूछा गया कि क्या किसी मुस्लिम कर्मचारी या दुकानदार के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत आई है, तो उनका जवाब था, "मेरे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।"
नौकरी से निकाले जा चुके एक मुस्लिम सेल्समैन ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "एकलव्य सिंह गौड़ हिंदू व्यापारियों पर दबाव बना रहे हैं ताकि खुद को हिंदूवादी नेता साबित कर सकें, चाहे इसमें मुस्लिमों और उनके परिवारों की जिंदगी बर्बाद ही क्यों न हो।"
प्रशासन और भाजपा नेताओं की चुप्पी क्या इशारा करती है?
इंदौर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया कहते हैं, "अब तक ऐसा कोई मामला हमारे पास नहीं आया है। अगर कोई शिकायत आएगी, तो हम उचित वैधानिक कार्रवाई करेंगे।"
हालांकि 15 सितंबर को मुस्लिम सेल्समैन और व्यापारियों ने मिलकर इंदौर के संभागायुक्त के नाम शिकायती ज्ञापन सौंपा था। इसके बावजूद पुलिस का यह बयान कि उनके पास कोई शिकायत लेकर नहीं आया, कई सवाल खड़े करता है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रदेश में सांप्रदायिकता बढ़ रही है और मुसलमानों को काम से रोकना कानूनन अपराध है, जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने इसे लेकर टिप्पणी से बचते हुए कहा, "पार्टी सबका साथ, सबका विकास के लक्ष्य पर काम कर रही है।"
इंदौर में मुस्लिम समुदाय के कर्मचारियों के बहिष्कार के फ़रमान पर अग्रवाल कहते हैं, "हम यह तय करेंगे कि किस मामले पर पार्टी अपना बयान या मत रखती है।"
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "कोई भी हिन्दूवादी एजेंडे से इतर नहीं दिखना चाहता है। यह कुछ ऐसा ही है कि अगर कोई सांप-सांप चिल्ला दे तो सब लोग वही चिल्लाएंगे, भले ही उन्हें ये मालूम हो कि सांप नहीं रस्सी पड़ी है। क्योंकि नेताओं में कट्टर राजनीति से अलग हटकर दिखने की हिम्मत नहीं बची है।."
जब चारों तरफ से मुस्लिम समुदाय के कर्मचारियों के लिए जीवन यापन का संकट गहराता जा रहा है, ऐसे में कुछ हिन्दू व्यापारी इस फरमान का विरोध भी कर रहे हैं।
फरमान का हिंदू व्यापारी कर रहे विरोध
सुरेंद्र जैन दशकों से मुसलमान कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं। वो कहते हैं, "हम लोग सारा काम मुसलमानों के साथ करते आ रहे हैं। मेरे यहां दो मुसलमान काम करते हैं। साड़ी के फॉल-पिको से लेकर एम्ब्रॉयडरी तक का काम मुस्लिम भाई ही करते हैं। मेरी दुकान में तो ज्यादातर मेरी पत्नी ही बैठती हैं। मेरे यहां के दोनों सेल्समैन से हमें कोई शिकायत नहीं है। हमारे यहां जो महिलाएं खरीदारी करने आती हैं, उन्हें कोई शिकायत नहीं है, तो मैं कैसे किसी को उसके धर्म के आधार पर निकाल दूं?"
उनकी पत्नी राजकुमारी जैन कहती हैं, "20 साल से ये लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं लेकिन कोई शिकायत नहीं आई। हमारे लिए तो ये बच्चे जैसे हैं।"
शीतलामाता बाजार में दशकों से हिंदू और मुसलमान साथ-साथ व्यापार करते रहे हैं। लेकिन अब माहौल बदल रहा है। स्थानीय नेताओं के बयानों और वरिष्ठ भाजपा नेताओं की चुप्पी ने इस तनाव को तेज कर दिया है।
मुसलमान सेल्समैन और व्यापारियों को रोजगार खोने का डर और सामाजिक असुरक्षा शहर के माहौल को नुकसान पहुंचा रहा है।
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साभार : बीबीसी हिंदी
मध्यप्रदेश के इंदौर के कपड़ा बाजार में मुस्लिम सेल्समैनों और व्यापारियों को काम करने से रोका जा रहा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह कोई आधिकारिक या प्रशासनिक आदेश नहीं है, बल्कि इंदौर-4 विधानसभा सीट से भाजपा विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ द्वारा जारी किया गया एक 'निजी फरमान' बताया जा रहा है।
इस मामले पर बीबीसी ने एकलव्य गौड़ से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया।
शीतलामाता कपड़ा बाजार की अध्यक्ष हेमा पंजवानी ने बताया कि 25 अगस्त को एक बंद कमरे की बैठक में एकलव्य सिंह गौड़ ने व्यापारियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी। इसी बैठक के दौरान शीतलामाता कपड़ा बाजार के व्यापारियों के लिए यह फरमान जारी किया गया।
बाद में एकलव्य सिंह गौड़ ने स्थानीय मीडिया को कई बार दिए गए बयानों में कहा, "मेरे पास कई बार लव जिहाद से जुड़ी शिकायतें आई हैं। यह कोई कल्पना या मनगढ़ंत बात नहीं है, बल्कि एक षड्यंत्र है। हमारे कपड़ा बाजार में ज्यादातर ग्राहक महिलाएं होती हैं और मुस्लिम सेल्समैन उन्हें लव जिहाद में फंसा लेते हैं।"
हालांकि एकलव्य सिंह गौड़ स्वयं निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं, लेकिन कपड़ा बाजार में उनकी बातों को व्यापक प्रभाव और अहमियत दी जाती है।
शीतलामाता कपड़ा बाजार की अध्यक्ष हेमा पंजवानी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "हमारे एकलव्य भैया का आदेश था कि बाजार से मुस्लिम सेल्समैन और व्यापारियों को बाहर निकाला जाए। उनके पास कई बार लोग लव जिहाद के मुद्दे को लेकर शिकायतें लेकर गए थे।"
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एजाज़ अंसारी ने कहा कि वे फिलहाल टूर पर हैं और लौटने के बाद इस मामले को विस्तार से समझने के बाद उचित कदम उठाएंगे।
इंदौर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बीबीसी को बताया कि अब तक उनके पास इस संबंध में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
वहीं, इस मामले पर भाजपा विधायक मालिनी गौड़, मेयर पुष्यमित्र भार्गव, इंदौर भाजपा अध्यक्ष सुमित शर्मा और वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
इस बीच "जिहादी मानसिकता से छुटकारा दिलाने के लिए धन्यवाद" के पोस्टर इंदौर के बाजार में कुछ और हकीकत बयां कर रहे हैं।
करीब 200 मुस्लिम कर्मचारियों की रोजी रोटी का संकट
जब बीबीसी की टीम 25 सितंबर को इस मामले की पड़ताल के लिए इंदौर पहुंची, तो पता चला कि कई मुस्लिम सेल्समैन को पहले ही उनकी नौकरियों से हटा दिया गया था। वहीं, कई मुस्लिम व्यापारी अपनी दुकानें खाली कर चुके थे या उन्हें खाली करने की तैयारी में थे।
मुसलमानों को बाजार से निकाले जाने के कथित 'फरमान' के बाद नौकरी गंवा चुके सलमान (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से बातचीत में अपनी व्यथा साझा की। उन्होंने कहा, "हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। हमारी परेशानी ये है कि बच्चों की स्कूल की फीस भरनी है, घर का राशन लाना है, लोन चुकाना है। अगर हमें काम करने से ही रोक दिया जाएगा तो हम अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे?"
सलमान कुछ क्षण के लिए रुक जाते हैं और दरवाजे की ओट में खड़ी अपनी पत्नी की ओर देखते हैं।
अपने जज्बात और आंसुओं पर काबू पाते हुए वे आगे कहते हैं, "कम से कम सुकून से कमाने और खाने तो दिया जाए। यह तो हमारा संवैधानिक अधिकार है।"
सलमान जैसे ही कई सेल्समैन
सलीम (बदला हुआ नाम), जो इस बाजार में पिछले कई वर्षों से काम कर रहे थे, उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैंने इस बाजार को करीब 16 साल दिए हैं। एक बच्चे से जवान हुआ हूं यहीं और अब दो बच्चों का बाप हूं। लेकिन पिछले 15–20 दिन से बेरोजगार हूं। कहां जाऊं? क्या करूं - समझ नहीं आता।"
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक देशदीप सक्सेना कहते हैं, "इस पूरे प्रकरण से यह सवाल उठता है कि आखिर सरकार क्या करना चाहती है? क्योंकि इस मामले में संवैधानिक मूल्यों का ह्रास और अधिकारों का हनन स्पष्ट है।"
"जीवन जीने का अधिकार, नौकरी या काम करने का अधिकार– एक समुदाय के लोगों से उनके धर्म के आधार पर छीना जा रहा है। समता, समानता और बंधुत्व जैसे मूल्यों का ह्रास और प्रशासन से लेकर शासन और वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।"
आदिल और सुखविंदर पार्टनरशिप में एक दुकान चलाते हैं। एकलव्य सिंह गौड़ के ‘फरमान’ के बाद इन्हें अपनी दुकान खाली करनी पड़ी। जब हम उनकी दुकान पर पहुंचे, तो वहां काम करने वाले छह सेल्समैन सारा सामान पैक कर रहे थे।
बीबीसी से बात करते हुए सुखविंदर कहते हैं, "मैं हिन्दू हूं और मेरा पार्टनर मुस्लिम है। हम 20 साल से साथ काम कर रहे हैं। एकलव्य सिंह गौड़ ने लव जिहाद का आरोप लगाया, लेकिन हम पूछते हैं कि अब तक ऐसा एक भी मामला सामने आया है क्या?"
आदिल कहते हैं, "हमारे कारण हमारे पार्टनर की भी रोजी रोटी छिन गई। अब हम क्या करेंगे?"
सुखविंदर ने आदिल के कंधे पर हाथ रखा और हमसे पलटकर कहा, "इस देश में कानून है, सरकार- प्रशासन है। एकलव्य सिंह गौड़ जी उनसे आगे चलकर अपना कानून तो नहीं चला सकते हैं न ?"
बाजार के चुने हुए अध्यक्ष क्या बोले?
इंदौर कपड़ा व्यापारी संघ के अध्यक्ष हेमा पंजवानी कहते हैं, "हिंद रक्षा संगठन के हमारे भैया एकलव्य सिंह गौड़ का आदेश था, हम उसका पालन कर रहे हैं। उन्होंने हर दुकानदार को बुलाकर समझाया कि बाजार में जो चल रहा है (लव जिहाद), उसको तुरंत बंद किया जाए। बहुत सारे मुस्लिम लोग अब यहां से जा चुके हैं।"
जब उनसे पूछा गया कि क्या किसी मुस्लिम कर्मचारी या दुकानदार के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत आई है, तो उनका जवाब था, "मेरे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।"
नौकरी से निकाले जा चुके एक मुस्लिम सेल्समैन ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "एकलव्य सिंह गौड़ हिंदू व्यापारियों पर दबाव बना रहे हैं ताकि खुद को हिंदूवादी नेता साबित कर सकें, चाहे इसमें मुस्लिमों और उनके परिवारों की जिंदगी बर्बाद ही क्यों न हो।"
प्रशासन और भाजपा नेताओं की चुप्पी क्या इशारा करती है?
इंदौर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया कहते हैं, "अब तक ऐसा कोई मामला हमारे पास नहीं आया है। अगर कोई शिकायत आएगी, तो हम उचित वैधानिक कार्रवाई करेंगे।"
हालांकि 15 सितंबर को मुस्लिम सेल्समैन और व्यापारियों ने मिलकर इंदौर के संभागायुक्त के नाम शिकायती ज्ञापन सौंपा था। इसके बावजूद पुलिस का यह बयान कि उनके पास कोई शिकायत लेकर नहीं आया, कई सवाल खड़े करता है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रदेश में सांप्रदायिकता बढ़ रही है और मुसलमानों को काम से रोकना कानूनन अपराध है, जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने इसे लेकर टिप्पणी से बचते हुए कहा, "पार्टी सबका साथ, सबका विकास के लक्ष्य पर काम कर रही है।"
इंदौर में मुस्लिम समुदाय के कर्मचारियों के बहिष्कार के फ़रमान पर अग्रवाल कहते हैं, "हम यह तय करेंगे कि किस मामले पर पार्टी अपना बयान या मत रखती है।"
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "कोई भी हिन्दूवादी एजेंडे से इतर नहीं दिखना चाहता है। यह कुछ ऐसा ही है कि अगर कोई सांप-सांप चिल्ला दे तो सब लोग वही चिल्लाएंगे, भले ही उन्हें ये मालूम हो कि सांप नहीं रस्सी पड़ी है। क्योंकि नेताओं में कट्टर राजनीति से अलग हटकर दिखने की हिम्मत नहीं बची है।."
जब चारों तरफ से मुस्लिम समुदाय के कर्मचारियों के लिए जीवन यापन का संकट गहराता जा रहा है, ऐसे में कुछ हिन्दू व्यापारी इस फरमान का विरोध भी कर रहे हैं।
फरमान का हिंदू व्यापारी कर रहे विरोध
सुरेंद्र जैन दशकों से मुसलमान कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं। वो कहते हैं, "हम लोग सारा काम मुसलमानों के साथ करते आ रहे हैं। मेरे यहां दो मुसलमान काम करते हैं। साड़ी के फॉल-पिको से लेकर एम्ब्रॉयडरी तक का काम मुस्लिम भाई ही करते हैं। मेरी दुकान में तो ज्यादातर मेरी पत्नी ही बैठती हैं। मेरे यहां के दोनों सेल्समैन से हमें कोई शिकायत नहीं है। हमारे यहां जो महिलाएं खरीदारी करने आती हैं, उन्हें कोई शिकायत नहीं है, तो मैं कैसे किसी को उसके धर्म के आधार पर निकाल दूं?"
उनकी पत्नी राजकुमारी जैन कहती हैं, "20 साल से ये लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं लेकिन कोई शिकायत नहीं आई। हमारे लिए तो ये बच्चे जैसे हैं।"
शीतलामाता बाजार में दशकों से हिंदू और मुसलमान साथ-साथ व्यापार करते रहे हैं। लेकिन अब माहौल बदल रहा है। स्थानीय नेताओं के बयानों और वरिष्ठ भाजपा नेताओं की चुप्पी ने इस तनाव को तेज कर दिया है।
मुसलमान सेल्समैन और व्यापारियों को रोजगार खोने का डर और सामाजिक असुरक्षा शहर के माहौल को नुकसान पहुंचा रहा है।
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