उत्तर प्रदेश: मथुरा में हिंदुत्ववादी नेता ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ 'कथित' रूप से खुलेआम हिंसा की धमकी दी

Written by sabrang india | Published on: June 9, 2025
अयोध्या के हिंदुत्ववादी नेता इंद्रेश कौशिक ने कहा, “अगर वे (मुसलमान) नहीं रुके, तो हम उनके सिर से सफेद टोपी हटा देंगे और उनकी दाढ़ी नहीं रहने देंगे।”


फोटो साभार : क्लेरिअन इंडिया

देशभर में ईद-अल-अजहा के शांतिपूर्ण माहौल के बीच मथुरा के बरसाना क्षेत्र से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने वातावरण को तनावपूर्ण बना दिया है। एक ईदगाह के पास कथित तौर पर गोवंश के अवशेष मिलने के बाद स्थिति बिगड़ गई। हालांकि पुलिस ने मामला दर्ज कर तुरंत कार्रवाई की है, लेकिन हिंदुत्व नेता इंद्रेश कौशिक के भड़काऊ बयान ने मुस्लिम समुदाय में डर और दहशत फैला दी है। मुस्लिमों का कहना है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और धमकियां दी जा रही हैं।

तीन दिनों के इस त्योहार के पहले दिन शनिवार को कई हिंदू समूह मथुरा की गोवर्धन-बरसाना रोड पर इकट्ठा हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां गायों की अवैध रूप से हत्या की गई है। खुद को 'गौरक्षक' बताने वाले इस समूह ने दावा किया कि मुस्लिम इबादतगाह के पास गोवंश के अवशेष मिले हैं।

हालांकि पुलिस ने भीड़ को तुरंत तितर-बितर कर दिया और 70 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, लेकिन स्थिति तब और गंभीर हो गई जब अयोध्या के हिंदुत्ववादी नेता इंद्रेश कौशिक ने मीडिया से बातचीत के दौरान मुस्लिम समुदाय के खिलाफ खुलेआम हिंसा की अपील की।

क्लेरिअन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नफरत और धमकी से भरे अपने बयान में कौशिक ने कहा, “हमारी गायों को मथुरा की सड़कों पर काटा गया है। गायों के अवशेष फेंके गए और खून चारों तरफ फैला मिला। यह बेहद दुखद और पीड़ादायक है। अब समय आ गया है उनके अंत का।”

कौशिक ने आगे कहा, “अगर वे (मुसलमान) नहीं रुके, तो हम उनके सिर से सफेद टोपी उतार देंगे और उनकी दाढ़ी हटा देंगे। हम युद्ध के लिए तैयार हैं।”

संवैधानिक रूप से किसी पद पर न होने के बावजूद खुद को हिंदू आध्यात्मिक नेता बताने वाले इंद्रेश कौशिक के इस बयान ने मथुरा ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में मुस्लिम समुदाय के बीच दहशत और गहरी नाराजगी को जन्म दे दिया है। उनके इस भड़काऊ और हिंसक बयान को लेकर मांग उठ रही है कि उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

मथुरा के निवासी मोहम्मद फहीम ने सवाल किया, “हम कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। फिर हमें इस तरह धमकाया क्यों जा रहा है?” उन्होंने कहा, “हमने बकरीद शांति से मनाई। पुलिस को जांच करनी चाहिए, लेकिन हमारी पहचान और हमारे धर्म को धमकी देना स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह स्पष्ट रूप से हेट स्पीच है।”

स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि इंद्रेश कौशिक के खिलाफ हिंसा भड़काने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

मथुरा के वरिष्ठ इस्लामी विद्वान मौलाना जुबैर आलम ने कहा, “भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की पूरी स्वतंत्रता देता है। किसी समुदाय की धार्मिक पहचान को हटाने की धमकी देना न केवल शर्मनाक है, बल्कि एक आपराधिक कृत्य भी है।” उन्होंने पूछा, “क्या अब क़ानून भी भीड़ के सामने झुक जाएगा?”

इस घटना ने देशभर में नफरत भरे भाषणों के बढ़ते सामान्यीकरण और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दिए गए ऐसे बयानों पर प्रशासन की चयनात्मक चुप्पी को लेकर बहस छेड़ दी है। कई सामाजिक संगठनों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और सरकार से जवाबदेही की मांग की है।

मथुरा पुलिस के प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि सांप्रदायिक तनाव के मामले में 70 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और साक्ष्यों की जांच की जा रही है।

गोवर्धन थाने के इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने कहा, “ईदगाह के पास कथित गोवंश अवशेष मिलने की शिकायत की जांच की जा रही है। यदि कोई दोषी पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन हम लोगों से अपील करते हैं कि वे कानून को अपने हाथ में न लें।”

हालांकि इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक इंद्रेश कौशिक की धमकी भरी टिप्पणियों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था। इस चुप्पी को लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक अधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने पूछा, “कौशिक या किसी अन्य व्यक्ति को यह अधिकार किसने दिया कि वह तय करे कि कोई नागरिक कैसे कपड़े पहने या दाढ़ी रखे?” उन्होंने कहा, “यह सिर्फ़ मुसलमानों पर हमला नहीं है, बल्कि भारत के लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है।”

वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी ने कहा, “एक खतरनाक चलन बन चुका है जहां मुसलमानों को लगातार बदनाम किया जाता है और हर बात के लिए उन्हें ही दोषी ठहराया जाता है। वे क्या खाते हैं, कैसे इबादत करते हैं - अब तो उनका त्योहार भी बिना किसी सबूत के निशाने पर है। यह राष्ट्रवाद नहीं है, यह संगठित नफरत है।”

अन्य लोगों ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि ऐसे बयान और धमकियां ऐसे समय में आ रही हैं जब अल्पसंख्यक समुदाय पहले से ही सामाजिक और राजनीतिक दबाव में है। इन घटनाओं ने भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं।

अलीगढ़ के एक कॉलेज छात्र फिरोज अहमद ने कहा, “अब तो हमारे त्योहार भी सुरक्षित नहीं रहे।” “पहले मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर सवाल उठे, फिर खुले मैदानों में नमाज पर आपत्ति हुई, और अब हमारी टोपी और दाढ़ी को निशाना बनाया जा रहा है। आखिर ये कब रुकेगा?”

विपक्षी नेता और AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस धमकी की कड़ी निंदा की। उन्होंने हैदराबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह व्यक्ति खुलेआम मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान कर रहा है। अगर कानून उसके खिलाफ लागू नहीं होता, तो हमें पूछना होगा - क्या कानून केवल अल्पसंख्यकों के लिए है?”

ओवैसी ने आगे कहा, “मुस्लिम युवाओं को क्या संदेश दिया जा रहा है कि वे अपने ही देश में दूसरे दर्जे के नागरिक हैं?”

बताया जा रहा है कि बरसाना के कई मुस्लिम परिवारों ने फिलहाल अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर भेजने का फैसला किया है जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती। बुजुर्गों और दुकानदारों में डर का माहौल है, और कई ने इस घटना के बाद अपने कारोबार नहीं खोले।

इलाके के रहमत अली ने कहा, “हम बस शांति से जीना चाहते हैं। मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे डर के माहौल में बड़े हों। हमने कोई गलती नहीं की है।”

माहौल अभी भी तनावपूर्ण बना हुआ है, हालांकि पुलिस ने पेट्रोलिंग तेज कर दी है।

सोशल मीडिया पर इंद्रेश कौशिक की गिरफ्तारी की मांग तेज हो गई है। उन्हें नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने वाले कानूनों के तहत कड़ी कार्रवाई करने की आवाज़ उठ रही है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि उनके बयान भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आपराधिक अपराध बनते हैं, जिनमें धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), धारा 153A (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना), और धारा 505 (सार्वजनिक अशांति फैलाने वाले बयान) शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा, “ये केवल खाली बातें नहीं हैं। इनमें भीड़ को भड़काने और वास्तविक नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है। इसलिए कानून नफरत फैलाने वाले भाषण को गंभीरता से लेता है।”

उन्होंने आगे बताया, “हम इंद्रेश कौशिक के खिलाफ नेशनल कमीशन फॉर माइनोरिटीज में शिकायत दर्ज करेंगे और स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लिए पुलिस सुरक्षा की भी मांग करेंगे।”

यह पहली बार नहीं है जब बहुसंख्यक समुदाय के किसी नेता ने मुसलमानों के खिलाफ धमकी भरे बयान दिए हों। हाल के वर्षों में सांप्रदायिक भाषणों, आर्थिक बहिष्कार की अपीलों और यहां तक कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, खासकर गाय से जुड़ी अफवाहों को लेकर।

लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता निदा खान ने सवाल किया, “भारत कब कहेगा कि अब बहुत हो गया?” उन्होंने आगे कहा, “हमारा देश विविधता में एकता का उदाहरण है। ये लोग धर्म के नाम पर इसे तोड़ रहे हैं।”

इंद्रेश कौशिक द्वारा दी गई धमकियां केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं हैं, बल्कि पूरे भारत में बढ़ते भय और नफरत के उस माहौल का प्रतिबिंब हैं जिन्हें अब सामान्य मान लिया गया है। अधिकारियों की चुप्पी, पक्षपातपूर्ण कार्रवाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ खुलेआम हिंसा की अपील भारत के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की भावना के लिए गंभीर खतरा है।

देशभर के मुसलमान सवाल पूछ रहे हैं कि “क्या हमें हमारी पहचान के लिए सुरक्षा मिलेगी, या सज़ा?”

जब तक नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती—चाहे वह कोई भी करे—भारत अपनी सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी का भरोसा खोने का खतरा उठाएगा और अपनी सामाजिक संरचना को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है।

Related

असम: शिक्षाविदों, वकीलों और विद्वानों ने बांग्लादेश की तरफ लोगों को ‘पुश बैक’ करने को लेकर निंदा की

बाकी ख़बरें