वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में बड़ी संख्या में लोग जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए, ‘इसका मकसद वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना है’

Written by sabrang india | Published on: March 18, 2025
सोमवार को बड़ी संख्या में लोग प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में दिल्ली के जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए।



फोटो साभार : मकतूब 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में विभिन्न मुस्लिम संगठनों, विपक्षी दलों के सांसदों और विधायकों ने भाग लिया। इन लोगों ने इस विधेयक को “असंवैधानिक” बताया।

इस रैली में समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हुए और सरकार से विधेयक वापस लेने की मांग करते हुए नारे लगाए।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप, एआईएमआईएम, सीपीआई, सीपीआई(एमल), सीपीएम, आईयूएमएल, एनसीपी, टीएमसी, बीजेडी और डब्ल्यूपीआई सहित विपक्षी सांसदों का एक बड़ा गठबंधन भी शामिल हुआ, जिन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर नाराजगी जाहिर की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा अनुशंसित परिवर्तनों को शामिल करने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दे दी है।

इस मंजूरी से 10 मार्च से शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे चरण में विधेयक को संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया।

एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि यह विधेयक “भेदभाव” को दर्शाता है, क्योंकि इसमें वक्फ बोर्ड और परिषदों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को रखने की बात कही गई है, जबकि हिंदुओं और सिखों के बंदोबस्त के प्रबंधन में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

विधेयक पर बोलते हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एनडीए दलों- चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) और नीतीश कुमार की जेडी(यू) को चेतावनी दी कि मुसलमान उन्हें माफ नहीं करेंगे क्योंकि विधेयक "आपके समर्थन से पारित होगा।"

उन्होंने कहा, "इस असंवैधानिक विधेयक का समर्थन न करें। इस विधेयक के पीछे असली मकसद वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना है। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को याद रखना चाहिए कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो इतिहास उन्हें उनके मुस्लिम विरोधी रुख के लिए याद रखेगा।"

जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों ने अपनी नाराजगी और इस विधेयक को पेश करके सरकार द्वारा किए जा रहे उकसावे के प्रयासों को साझा किया।

विधेयक पर बोलते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के सांसद ई.टी. मुहम्मद बशीर ने कहा, "यह सरकार संविधान विरोधी काम कर रही है। जेपीसी चेयरमैन ने कहा कि यह आंदोलन गलत है और जेपीसी ने सभी को मौका दिया है। वह बेवजह इन बयानों से सभी को भड़का रहे हैं।"

वहीं एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह ने कहा, "मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश के मुसलमानों को जगा दिया है। यह सिर्फ वक्फ की रक्षा की लड़ाई नहीं है, बल्कि संविधान की रक्षा और अन्याय और उत्पीड़न का विरोध करने की लड़ाई भी है।"

उन्होंने कहा कि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए वे इस संघर्ष को तब तक जारी रखेंगे, जब तक जरूरी होगा। उन्होंने कहा, "अगर सरकार जबरन विधेयक पारित करने की कोशिश करती है, तो हम उसी के अनुसार जवाब देंगे।"

इसी तरह की बात साझा करते हुए, जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने वक्फ संशोधन विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए कहा, "वक्फ मुसलमानों को वही अधिकार देता है, जो अन्य धार्मिक समूहों को अपने संस्थानों पर है। अगर हर धर्म को अपने मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार है तो केवल मुसलमानों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?"

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन की निंदा करते हुए इसे संविधान पर सीधा हमला बताया।

उन्होंने इसे भारत के संस्थापकों द्वारा लोकतांत्रिक और आधुनिक राष्ट्र के लिए तैयार किए गए ढांचे को कमजोर करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा, "हमारे घरों, मस्जिदों और मदरसों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं और अब वे संविधान को ही ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं।"

मौलाना मदनी ने आगे जोर देकर कहा कि यह मुद्दा सिर्फ मुसलमानों का नहीं बल्कि पूरे देश का है। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक समुदाय की लड़ाई नहीं है बल्कि लोकतंत्र और संविधान में विश्वास रखने वाले सभी नागरिकों की लड़ाई है।"

कई नेताओं ने भी इस विधेयक का विरोध किया।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इसी तरह की बातें दोहराईं। उन्होंने अपनी पार्टी की नेता ममता बनर्जी और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में उनके प्रतिनिधियों द्वारा विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने सरकार को मुसलमानों के अधिकारों को छीनने के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि उनकी पार्टी सड़कों और संसद दोनों में लड़ाई जारी रखेगी।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने विरोध का समर्थन करते हुए कहा, "हम संसद से लेकर सड़कों तक लड़ेंगे और विरोध करेंगे। हमने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और अपने संघर्ष को और तेज करेंगे।"

महाराष्ट्र की सांसद डॉ. फौजिया ने कहा, "यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है। लोकतंत्र सभी का है, लेकिन सरकार सत्ता को केंद्रीकृत करना चाहती है और मुसलमानों से उनके अधिकार छीनना चाहती है।"

विरोध ने मुस्लिम समुदाय के भीतर बढ़ती चिंताओं को उजागर किया कि वे इसे अपने अधिकारों पर अंकुश लगाने और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण करने के प्रयास के रूप में देखते हैं। राजनीतिक दलों और धार्मिक संगठनों के बढ़ते विरोध के साथ, वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर विवाद और बढ़ने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भाजपा नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली जेपीसी द्वारा सुझाए गए अधिकांश बदलावों को शामिल कर लिया है। पैनल ने 27 जनवरी को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 14 बदलावों को अपनाते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी।

विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा, "वे (एआईएमपीएलबी) देश के लोगों में नफरत पैदा करने और संसद के कानून बनाने के अधिकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं।"

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