दिल्ली कूच: हरियाणा सीमा पर बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश कर रहे किसानों पर दागे आंसू गैस के गोले

Written by Navnish Kumar | Published on: December 6, 2024
"...एक किसान को हिरासत में लिया गया। खास है कि किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 9 महीने यानी 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। उधर, सरकार ने कहा है कि वे किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं।"



"हरियाणा सीमा पर बैरिकेड तोड़ने की कोशिश कर रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए जिससे वहां अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है। किसानों ने नौ महीने से अधिक समय के बाद पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा से अपना 'दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू किया और भारी सुरक्षा के बीच बैरिकेड्स तोड़ दिए। एक किसान को हिरासत में लिया गया। खास है कि किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 9 महीने यानी 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। उधर, सरकार ने कहा है कि वे किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं।"

किसान मुख्य रूप से फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसी को लेकर पूर्व में 13 फरवरी और 21 फरवरी को किसानों ने दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था। हालांकि, पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू और खनौरी में सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था। तभी से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान तब से शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसान नेता सुरजीत सिंह फूल, सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह चौटाला, बलजिंदर सिंह चड़ियाला और मंजीत सिंह के नेतृत्व में 101 किसानों के एक समूह ने दोपहर 1 बजे संसद की ओर मार्च शुरू किया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर विरोध स्थल पर हैं। वह राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने वाले 101 किसानों में शामिल नहीं थे। कूच के दौरान हाथों में तिरंगा और अपने-अपने किसान संघों के झंडे लहराते हुए किसानों ने बैरिकेडिंग की एक परत तोड़ दी, लेकिन भारी सुरक्षा के साथ कंक्रीट के ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। दिल्ली संसद की ओर मार्च करने की कोशिश करते समय किसानों द्वारा बैरिकेड्स तोड़ने के बाद हरियाणा पुलिस ने और अधिक बैरिकेड्स लगा दिए।

अंबाला में इंटरनेट ठप, पुलिस और किसानों के अपने अपने दावे

प्रदर्शन को देखते हुए अंबाला में 9 दिसंबर तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इस बीच पुलिस और किसान नेताओं के अपने अपने दावे हैं। पुलिस ने कहा है कि किसानों से निपटने के लिए उनके पास पर्याप्त बल है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। भारी बैरिकेडिंग की गई है और अंबाला प्रशासन ने पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उधर, किसान नेता पंधेर ने कहा कि किसान ट्रैक्टर लेकर नहीं बल्कि पैदल मार्च करेंगे। पंधेर ने कहा, "हम पिछले नौ महीनों से यहां बैठे हैं। हमारे ट्रैक्टरों के मॉडिफाइड होने के आरोपों के जवाब में हमने पैदल ही दिल्ली तक मार्च करने का फैसला किया है।" उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को खाप पंचायतों और व्यापारिक समुदाय के सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। कहा आज का मार्च केंद्र सरकार के साथ महीनों से ठप पड़े संवाद के बाद हो रहा है। किसानों ने सरकार से आग्रह किया है कि बिना किसी व्यवधान के मार्च को आगे बढ़ने दिया जाए। पंधेर ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार हमें विरोध करने के हमारे लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने दे।"

पंधेर ने किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए नए सिरे से चर्चा करने का आह्वान करते हुए कहा, "फरवरी में हमने चार दौर की बातचीत की, लेकिन 18 फरवरी के बाद से कोई और चर्चा नहीं हुई।" पंधेर ने कहा कि किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अंबाला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) से सोमवार को मुलाकात की थी और पुलिस को 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर उनके विरोध मार्च के बारे में जानकारी दी थी। वहीं, प्रदर्शन से पहले अंबाला के एसपी और पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) ने गुरुवार शाम को शंभू सीमा का दौरा किया था। अर्धसैनिक बलों, ड्रोन और वाटर कैनन की तैनाती सहित सुरक्षा उपाय किए गए हैं। सीमा पर व्यवस्थाओं की निगरानी करने के बाद अंबाला के एसपी सुरेंद्र भोरिया ने कहा कि सभी सुरक्षा उपाय किए गए हैं और किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, "अगर किसान दिल्ली जाना चाहते हैं, तो उन्हें पहले दिल्ली पुलिस से अनुमति लेनी चाहिए।" किसानों के मार्च को देखते हुए आज अंबाला में सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद कर दिए गए हैं।

किसानों की क्या मांग हैं?

एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने की मांग कर रहे हैं। वे 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं। 

उधर, केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है और उन्हें अपने मुद्दों पर चर्चा के लिए आगे आना चाहिए। चौधरी ने कहा, "हमारे दरवाजे हमेशा किसानों के लिए खुले हैं। उन्हें दिल्ली की ओर मार्च करने के बजाय आकर अपने मुद्दों पर हमसे बात करनी चाहिए।"

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