संभल हत्याकांड पर फेसबुक पोस्ट को लेकर यूपी पुलिस ने मुस्लिम कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद को गिरफ्तार किया, मिली जमानत 

Written by sabrang india | Published on: November 27, 2024
पुलिस ने उन्हें यूपी के प्रयागराज में उनके किराए के घर से बीएनएस की धारा 126, 135 और 117 के तहत गिरफ्तार किया और उन्हें पोस्ट हटाने के लिए कहा।


साभार : मकतूब मीडिया

उत्तर प्रदेश पुलिस ने रविवार रात को मुस्लिम कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद को फेसबुक पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया। इसमें उन्होंने संभल हत्याकांड को लेकर पोस्ट किया था जिसमें छह मुसलमानों की मौत हो गई थी। मोहम्मद की पोस्ट में संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का विरोध कर रहे मुसलमानों पर पुलिस की गोलीबारी की कथित तौर पर आलोचना गई।

मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने उन्हें यूपी के प्रयागराज में उनके किराए के घर से बीएनएस की धारा 126, 135 और 117 के तहत गिरफ्तार किया और उन्हें पोस्ट हटाने के लिए कहा।

यूपी सरकार के मुखर आलोचक जावेद को सोमवार को जमानत मिल गई, लेकिन दो जमानतदारों के साथ जमानत बॉन्ड जमा करने में विफल रहने के कारण उन्हें एक दिन जेल में बिताना पड़ा। 

58 वर्षीय जावेद पर अपने गृहनगर प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में भाजपा नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का “मास्टरमाइंड” होने का आरोप लगाया गया था। इन नेताओं ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्हें 10 जून 2022 को उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। 
इस साल मार्च में जमानत पर रिहा होने से पहले मोहम्मद ने 21 महीने जेल में बिताए थे। 

उनकी पत्नी और बेटी को उनकी गिरफ़्तारी की रात पुलिस ने "अवैध रूप से हिरासत में" रखा था। उन्हें यह आश्वासन मिलने के बाद रिहा कर दिया गया कि वे घर नहीं जाएंगे या अगले दिन उनके घर को गिराए जाने से नहीं रोकेंगे। 

जावेद मोहम्मद ने अपने खिलाफ सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने अपने घर को गिराए जाने को अदालत में चुनौती भी दी।

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के संभल में झड़प के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या बढ़कर छह हो गई है, जिसमें सभी मुस्लिम हैं और जिनकी उम्र बीस वर्ष के करीब है।

ज्ञात हो कि रविवार 24 नवंबर को उस समय हिंसा भड़क उठी, जब लोगों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा शाही जामा मस्जिद में भूमि सर्वेक्षण का विरोध किया। यह सर्वेक्षण मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर होने के दावों की जांच करने के लिए अदालत के आदेश के तहत किया गया था, जबकि 1991 का पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 15 अगस्त, 1947 को स्थलों के धार्मिक प्रकृति की रक्षा करता है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एएसआई टीम के साथ हिंदुत्ववादी समूहों के सदस्य भी थे, जिसका स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया। तनाव बढ़ने से पथराव हुआ, जिसके चलते पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं। तीन युवकों की मौके पर ही मौत हो गई, और कई अन्य घायल हो गए, जिनमें से दो घायलों की मौत बाद में हुई। 

इस घटना के बाद शाही जामा मस्जिद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जफर अली को अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाने के बाद मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जफर अली ने दावा किया था कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों ने भीड़ को शांत करने में मदद करने के लिए बुलाया था। 

हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने जिला महानिरीक्षक (डीआईजी), पुलिस अधीक्षक (एसपी) और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को मुस्लिम प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की योजना पर चर्चा करते हुए सुना। गिरफ्तारी से पहले अली ने कहा, "इन युवकों की मौत दुर्घटना नहीं बल्कि पूर्व नियोजित है।"

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